नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव परिणाम से पहले विपक्षी दलों के नेताओं के बीच मुलाकातों का दौर जारी है. विपक्षी दलों का दावा है कि इस चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए को पूर्ण बहुमत नहीं मिलेगा. ऐसे में विपक्षी पार्टियां एक मंच पर आकर सरकार बनाने के लिए 272 के आंकड़े को जुटा लेगी. इन्हीं उम्मीदों और आगे की रणनीति तैयार करने को लेकर बैठकें हो रही है.


तेलगू देशम पार्टी (टीडीपी) प्रमुख और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायड़ू आज कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात करेंगे. सूत्रों के मुताबिक, गैर-बीजेपी गठबंधन बनाने के लिए क्षेत्रीय दलों को एकजुट करने में जुटे टीडीपी अध्यक्ष नायडू आज लखनऊ में बीएसपी अध्यक्ष मायावती से भी मुलाकात कर सकते हैं.


शुक्रवार शाम को नायडू ने सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी से मुलाकात की थी. नायडू ने शुक्रवार को ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की थी. आम आदमी पार्टी ने इसे ‘‘शिष्टाचार भेंट’’ बताया है. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और आप के वरिष्ठ नेता संजय सिंह भी इस दौरान मौजूद थे.


सूत्रों के अनुसार, नायडू और केजरीवाल के बीच चुनाव परिणाम के बाद के हालात, उस वक्त दोनों पार्टियों (टीडीपी और आप) की भूमिका आदि पर चर्चा हुई. हालांकि आप का कहना है कि नायडू ने केजरीवाल से ‘‘शिष्टाचार भेंट’’ की.


करीब चार साल तक बीजेपी की सरकार में रहे चंद्रबाबू नायडू आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने की मांग को लेकर सरकार से अलग हुए थे. उसके बाद से ही नायडू बीजेपी के खिलाफ गठबंधन बनाने की कोशिश में जुटे हैं. नायडू ने पिछले दिनों पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी से मुलाकात की थी और उनके साथ चुनावी मंच पर नजर आए थे.


यही नहीं टीडीपी प्रमुख वीवीपीएपी पर्ची और ईवीएम के मिलान के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट गए. इस याचिका पर 21 दलों ने सहमति जताई थी. इस दौरान भी उन्हें विपक्ष के कई नेताओं से मुलाकात की थी.


तेलंगाना के मुख्यमंत्री और टीआरएस प्रमुख के चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने भी पिछले दिनों डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन और केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन से मुलाकात की थी. केसीआर गैर कांग्रेस और गैर बीजेपी सरकार के पक्षधर हैं.


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कांग्रेस को ये है उम्मीद
कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि वह एक प्रगतिशील और धर्मनिरपेक्ष सरकार के गठन को लेकर प्रतिबद्ध है और गठबंधन का नेतृत्व करने के लिए तैयार है. गौरतलब है कि 16 मई को पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि यदि कांग्रेस सबसे बड़े दल के रूप में उभरती है, तो तब भी उसे किसी क्षेत्रीय नेता का समर्थन करने से कोई गुरेज नहीं होगा.


सूत्रों का कहना है कि विपक्षी दलों को साथ लाने के लक्ष्य से संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने विश्वासपात्र नेताओं से कहा है कि वे 23 मई को चुनाव परिणाम की घोषणा के साथ ही एक बैठक बुलाएं.


आजाद ने गुरुवार को शिमला में कहा था, ‘‘मेरा पार्टी आलाकमान पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि कांग्रेस को किसी क्षेत्रीय पार्टी से प्रधानमंत्री बनाने में कोई गुरेज नहीं है.’’ हालांकि शुक्रवार को अपने रुख में कुछ बदलाव करते हुए आजाद ने कहा, ‘‘यह सच नहीं है कि कांग्रेस प्रधानमंत्री पद के लिए दावा नहीं करेगी. कांग्रेस सबसे बड़ी और पुरानी पार्टी है, यदि सरकार को पांच साल चलाना है तो उसे मौका मिलना चाहिए.’’


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आजाद की टिप्पणी के बारे में सवाल करने पर कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘‘राहुल गांधी और कांग्रेस नेतृत्व का मानना है कि वे भिन्न मतों वाले लोगों और राजनीतिक दलों को साथ लेकर चलना चाहेंगे. अगर जरूरत महसूस हुई तो हम उन्हें साथ लेकर चलने के लिए अपनी ओर से कोशिश करेंगे और मुझे लगता है कि गुलाम नबी जी जो कह रहे हैं, वह इससे अलग नहीं है.’’


उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपको आश्वासन देता हूं कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस देश में प्रगतिशील, उदारवादी, लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष सरकार के गठन के लिए प्रतिबद्ध है.’’ सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस को विश्वास है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी.


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