चरणजीत चन्नी : 111 दिन तक चमकने के बाद डूबा सियासी सितारा
पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री के रूप में चरण जीत सिंह चन्नी 111 दिन तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विवादों से घिरे रहे.चुनाव के दौरान यूपी दे भैये टिप्पणी के लिए भी चन्नी को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा
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पंजाब में कुछ दिनों पहले तक अमरिंदर सिंह सरकार में चरणजीत सिंह चन्नी केवल एक मंत्री थे. जब पार्टी ने चन्नी को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया, तो वह दौड़ में शामिल स्वाभाविक दावेदारों की सूची तक में नहीं थे. लेकिन उन्होंने उत्साह के साथ मुख्यमंत्री पद संभाला और चुनाव की घोषणा होने के पहले वह 111 दिन तक इस कुर्सी पर रहे.
इस दौरान चन्नी रियायतों के ऐलान, पूरे पेज के विज्ञापन और हॉकी खेल में शामिल होने के कारण चर्चा में रहे. अमरिंदर सिंह को सत्ता से बेदखल करने में अहम भूमिका निभाने वाले पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही खुद को पार्टी का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करने की मांग की, लेकिन कांग्रेस ने चन्नी को चुना.
चमकौर साहिब और भदौर से लड़ा था चुनाव
पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री के रूप में उनकी साख मदद करती दिखी, क्योंकि राज्य की 30 प्रतिशत से अधिक आबादी दलित है. कांग्रेस ने चन्नी को दो सीट- रूपनगर में चमकौर साहिब और बरनाला में भदौर से मैदान में उतारा. इससे यह साफ हो गया कि कांग्रेस उन पर कितना भरोसा कर रही थी.
लेकिन वह दोनों जगह से हार गए. कांग्रेस को आम आदमी पार्टी (आप) से हार का सामना करना पड़ा. करीब चार महीने तक तक मुख्यमंत्री रहने के बाद चन्नी अब सापेक्षिक दृष्टि से भी अज्ञातवास की ओर बढ़ रहे हैं. खरड़ के भजौली गांव में वर्ष 1963 में जन्मे चन्नी ने वर्ष 1992 में राजनीति में कदम रखा जब वे पार्षद चुने गए.
लंबा रहा है राजनीतिक सफर
वह वर्ष 2003 में खरड़ नगर परिषद के अध्यक्ष बने. उन्होंने वर्ष 2007 में चमकौर साहिब से निर्दलीय विधायक के रूप में राज्य विधानसभा में जगह बनाई. उन्होंने वर्ष 2012 में इसी सीट से कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की और सदन में नेता प्रतिपक्ष बने.
वर्ष 2017 में लगातार तीसरी बार विधायक चुने जाने के बाद उन्हें अमरिंदर सिंह के मंत्रालय में जगह मिली. उन्होंने तकनीकी शिक्षा, औद्योगिक प्रशिक्षण, रोजगार सृजन और पर्यटन और संस्कृति मामलों के विभागों को संभाला. पिछले साल राज्य में चन्नी और तीन अन्य मंत्रियों ने अमरिंदर सिंह के खिलाफ विद्रोह कर दिया. इसके बाद चन्नी ने राज्य इकाई के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के साथ जाने का फैसला किया.
पंजाब विश्वविद्यालय से की है एलएलबी
चन्नी के पास बीए की डिग्री है. पंजाब विश्वविद्यालय से एलएलबी और पंजाब तकनीकी विश्वविद्यालय से एमबीए भी किया है. वह अब पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से पीएचडी करने जा रहे हैं. मंत्री के रूप में चन्नी वर्ष 2018 में तब विवादों में आये, जब एक महिला आईएएस अधिकारी ने उन पर आपत्तिजनक संदेश भेजने का आरोप लगाया. हालांकि चन्नी ने अनजाने में संदेश भेजने की बात कहकर अधिकारी से माफी मांग ली.
यूपी के लोगों को कहा था 'यूपी दे भैये'
चुनाव प्रचार के दौरान भी वह विवादों से घिरे रहे. प्रवर्तन निदेशालय ने उनके भतीजे के घर पर छापा मारा. चन्नी राज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिरोजपुर में एक राजनीतिक रैली को संबोधित किए बिना वापस चले गए. चुनाव के दौरान ‘यूपी दे भैये’ टिप्पणी के लिए भी चन्नी को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा.
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