नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में चुनावी लड़ाई पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर आ टिकी है. एक तरफ बीजेपी है जिसे वाजपेयी ने अपने खून-पसीने से सींचा था. वहीं दूसरी तरफ वाजपेयी का अपना खून करुणा शुक्ला हैं जो कांग्रेस की टिकट पर रमन सिंह के खिलाफ मैदान में हैं. अटल की विरासत पर किसका हक है और कौन उनकी उपलब्धियों का असली वारिस, राजनांदगांव में यही बहस छिड़ी है. राजनांदगांव में चुनाव प्रचार के दौरान चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों के बैनर-पोस्टर पर अटल बिहारी वाजपेयी को बराबर तरजीह दी गई है.


राजनांदगांव से छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह चुनाव मैदान में हैं. तो कांग्रेस ने अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला को रमन सिंह के खिलाफ टिकट देकर मुकाबला और रोचक बना दिया है. दोनों में होड़ वाजपेयी के लिए लोगों में सहानुभूति को भुनाने की है जो हार-जीत में निर्णायक साबित होगी.


हालांकि सहानुभूति की इस लड़ाई में बीजेपी थोड़ा आगे दिख रही है. चुनावों के एलान से पहले ही रमन सरकार ने नए रायपुर शहर का नाम अटल नगर करने का एलान कर दिया था. बीजेपी ने छत्तीसगढ़ के लिए जो घोषणा पत्र जारी किया है उसका नाम भी 'अटल' के नाम पर रखा है. रमन सिंह अटल विकास यात्रा भी राज्य में निकाल चुके हैं.


लेकिन कांग्रेस को उम्मीद है कि इस चुनावी रण में करुणा शुक्ला उनके तुरुप का इक्का साबित होंगी. वहीं बीजेपी को भी भरोसा है कि पार्टी के पितृपुरुष और छत्तीसगढ़ के निर्माता की ख्याति उसके विजय पथ का मार्ग और सशक्त बनाएगी.


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बता दें कि बीजेपी और करुणा शुक्ला के बीच विरासत की लड़ाई कुछ दिन पहले भी दिखी थी. जब खुद करुणा शुक्ला कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल के साथ अटल जी की अस्थियों को लेने रायपुर में बीजेपी मुख्यालय पहुंच गई थीं. इस दौरान दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं के बीच खूब धक्का-मुक्की भी हुई थी.


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