Chhattisgarh Prominent Seats to Watch Out: छत्तीसगढ़ में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए 7 नवंबर (20 सीटें) और 17 नवंबर (70 सीटें) को दो चरणों में मतदान होना है. तारीखों के ऐलान के बाद राजनीतिक दलों ने अब सारा फोकस चुनाव प्रचार पर कर दिया है. नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ में अभी कांग्रेस की सरकार है और भूपेश बघेल मुख्यमंत्री हैं. कांग्रेस ने 2018 में 15 साल से सत्ता में बैठी बीजेपी को हराकर कुर्सी हासिल की थी.
90 सीटों वाली छत्तीसगढ़ विधानसभा के चुनाव पर भी सबकी नजर है. यह चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण है. राज्य में कई हाई-प्रोफाइल विधानसभा सीटें हैं, जिन पर टॉप के लीडर्स इस बार ताल ठोक रहे हैं. ऐसे में लोगों की नजर इन सीटों पर है. यहां हम आपको बताएंगे कुछ ऐसी ही सीटों के बारे में.
1. पाटन
सीएम भूपेश बघेल वर्तमान में दुर्ग जिले के इस ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. कांग्रेस के टिकट पर भूपेश बघेल 1993 से इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. वह यहां से पांच बार जीत भी दर्ज कर चुके हैं. सिर्फ 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में वह भतीजे विजय बघेल से हार गए थे. बीजेपी ने इसे ध्यान में रखते हुए एक बार फिर उनके सामने दुर्ग जिले से सांसद और उनके भतीजे विजय बघेल को मैदान में उतारा है.
2. राजनांदगांव
राजनांदगांव जिले की इस शहरी सीट को बीजेपी के वरिष्ठ नेता और तीन बार सीएम रहे रमन सिंह का गढ़ माना जाता है. वह यहां से विधायक हैं. रमन सिंह 2008 से इस सीट पर लगातार जीत दर्ज कर रहे हैं.
3. अंबिकापुर
उत्तरी छत्तीसगढ़ की यह आदिवासी बहुल सीट वर्तमान में उपमुख्यमंत्री टीएस सिंह देव के पास है. सिंह देव तीन बार के विधायक हैं, जिन्होंने 2008 में पहली बार इस सीट से जीत हासिल की थी.
4. कोंटा (ST)
अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित यह सीट दक्षिण छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में आती है. यह वर्तमान में उद्योग और उत्पाद शुल्क मंत्री कवासी लखमा के पास है, जो राज्य के सबसे प्रभावशाली आदिवासी नेताओं में से एक हैं. लखमा 1998 से लगातार पांच बार कोंटा से जीत चुके हैं.
5. कोंडागांव (एसटी)
यह सीट दक्षिण छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में आती है और वर्तमान में यह सीट छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रमुख मोहन मरकाम के पास है. उन्होंने 2013 और 2018 में यहां से बीजेपी की प्रमुख आदिवासी महिला नेता और पूर्व मंत्री लता उसेंडी को हराया था.
6. रायपुर शहर दक्षिण
एक शहरी निर्वाचन क्षेत्र जो भाजपा के प्रभावशाली नेता और पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के पास है. सात बार के विधायक 1990 से इस सीट पर अजेय हैं.
7. दुर्ग ग्रामीण
दुर्ग जिले की यह ग्रामीण सीट वर्तमान में मंत्री ताम्रध्वज साहू के पास है, जो एक प्रमुख ओबीसी नेता हैं. इनके बारे में माना जाता है कि इन्होंने 2018 में साहू मतदाताओं को कांग्रेस के पक्ष में एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
8. आरंग (एससी)
रायपुर जिले का यह अर्ध-शहरी निर्वाचन क्षेत्र वर्तमान में शहरी प्रशासन मंत्री शिव कुमार डहरिया के पास है, जो प्रभावशाली सतनामी संप्रदाय के नेता हैं. डहरिया पहली बार 2003 में पलारी से और फिर 2008 में बिलाईगढ़ सीट से छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए चुने गए थे.
9. खरसिया
यह सीट उत्तरी छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में आती है. उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल वर्तमान में इस सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो कांग्रेस का गढ़ रहा है. नंदकुमार पटेल खरसिया से पांच बार जीतकर सदन पहुंच चुके हैं.
10. जांजगीर-चांपा
मुख्य रूप से ओबीसी आबादी वाले इस निर्वाचन क्षेत्र में हर चुनाव में विधायक बदलने की परंपरा है. वरिष्ठ भाजपा नेता नारायण चंदेल, कुर्मी, इस सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं. वह इस सीट से तीन बार (1998, 2008 और 2018 में) जीत चुके हैं.
11. सक्ती
इस सीट का भी काफी खास महत्व है. यहां से अभी छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष चरणदास महंत विधायक हैं. चरणदास की गिनती कांग्रेस के एक प्रमुख ओबीसी नेता के रूप में होती है. चरणदास चार बार विधायक रहने के अलावा तीन बार लोकसभा सांसद भी रह चुके हैं. मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल में वह केंद्रीय राज्य मंत्री भी थे.
12. कवर्धा
कबीरधाम जिले की यह सीट वर्तमान में प्रमुख मुस्लिम नेता और राज्य सरकार के मंत्री मोहम्मद अकबर के पास है. उन्होंने 2018 में पहली बार इस सीट से चुनाव लड़ा और भाजपा के अशोक साहू को 59,284 वोटों के बड़े अंतर से हराया. अकबर चार बार विधायक रह चुके हैं.
13. साजा
बेमेतरा जिले का यह निकटवर्ती निर्वाचन क्षेत्र वर्तमान में राज्य के कृषि मंत्री रवींद्र चौबे के पास है. रवींद्र चौबे को एक प्रभावशाली ब्राह्मण नेता माना जाता है. वह सात बार विधायक रह चुके हैं.
ये भी पढ़ें