Chhattisgarh Congress Crisis: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की मुसीबत खत्म होती नहीं दिख रही है. हाल ही में विधानसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी को इस राज्य में एक और बड़ा झटका लगा है. छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ आदिवासी नेता नंद कुमार साय ने बुधवार (20 दिसंबर) को कांग्रेस का साथ छोड़ दिया. इस अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए बड़ा नुकसान बताया जा रहा है.


नंद कुमार साय इसी साल मई में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे. तब उन्होंने अपनी ही पार्टी के खिलाफ कई तरह के आरोप लगाए थे. अब अचानक से उनके कांग्रेस छोड़ने के बाद तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं. राजनीतिक एक्सपर्ट बताते हैं कि नंद कुमार का जाना कांग्रेस को काफी नुकसान पहुंचा सकता है. आइए जानते हैं कि कौन हैं नंद कुमार साय और कैसे कांग्रेस को इनके जाने से हो सकता है नुकसान.


कौन हैं नंद कुमार साय


नंद कुमार साय सरगुजा के आदिवासी क्षेत्र से आते हैं. वह सांसद और एक विधायक रह चुके हैं. यही नहीं, नंद कुमार साय राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. इस साल जब वह कांग्रेस में आए तो उन्हें छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम का अध्यक्ष बनाया गया था. यह राज्य कैबिनेट मंत्री रैंक का पद था. विधानसभा चुनाव से पहले साय ने कुनकुरी विधानसभा सीट से टिकट मांगा था, लेकिन पार्टी ने उन्हें मौका नहीं दिया. इसी निर्वाचन क्षेत्र से वर्तमान मुख्यमंत्री भाजपा के विष्णु देव साय जीते हैं.


सरगुजा में कांग्रेस के दिग्गज भी हारे


दरअसल, नंद कुमार राय सरगुजा क्षेत्र से आते हैं. सरगुजा आदिवासी बहुल इलाका है. बीजेपी ने इस एरिया में आने वाली सभी 14 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की है. इससे पहले कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव में सरगुजा क्षेत्र की सभी 14 सीटें जीती थीं. सरगुजा में 6 जिले हैं और इनके तहत ही 14 सीटें आती हैं. इन सीटों भरतपुर सोनहत, मनेंद्रगढ़, बैकुंठपुर, प्रेमनगर, भटगांव, प्रतापपुर, रामानुगंज, सामरी, लुंड्रा, अंबिकापुर, सीतापुर, जशपुर, कुनकुरी और पत्थलगांव शामिल हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव तक अपनी सीट नहीं बचा पाए.


इस तरह बिगड़ सकता है पूरा खेल


आदिवासी बहुल इलाके में जिस तरह कांग्रेस को बुरी तरह हार मिली है, उस स्थिति में उसके पास नंद कुमार साय के रूप में एक बड़ा आदिवासी चेहरा था. पार्टी उनके जरिये लोकसभा चुनाव में आदिवासी समाज के उन वोटरों को अपने खेमे में ला सकती थी, जिन्होंने विधानसभा में हाथ का साथ नहीं दिया था.


बीजेपी ने आदिवासी वोटरों को ध्यान में रखते हुए ही आदिवासी समाज से आने वाले विष्णुदेव साय को यहां का सीएम चुना है. ऐसे में नंद कुमार साय के रूप में कांग्रेस के पास एक ऐसा हथियार था जो पार्टी को फायदा जरूर पहुंचाता. नंद कुमार साय अगर बीजेपी के साथ जाते हैं तो कांग्रेस का बचा खुचा आदिवासी वोट भी जा सकता है.


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