UP By-Elections 2024: उप-चुनाव से पहले यूपी CM योगी आदित्यनाथ के दिल्ली दौरे का क्या है राज? समझें, अंदर की बात
CM Yogi Adityanath Delhi Visit: सीएम योगी आदित्यनाथ की सात लोक कल्याण मार्ग पर तीन नवंबर, 2024 को पीएम नरेंद्र मोदी के साथ सवा घंटे तक मुलाकात चली.
CM Yogi Adityanath Delhi Visit: उत्तर प्रदेश (यूपी) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार (तीन नवंबर, 2024) दिल्ली दौरे पर पहुंचे. राष्ट्रीय राजधानी में पीएम नरेंद्र मोदी से उनकी मुलाकात हुई, जिसके बाद वह बीजेपी चीफ और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से मिले. सूत्रों की मानें तो पीएम मोदी और सीएम योगी के बीच करीब सवा घंटे तक बात हुई. सीएम योगी आदित्यनाथ का यह दौरा ऐसे वक्त पर हुआ, जब राज्य की नौ सीटों पर कुछ समय में उप-चुनाव होने हैं. ऊपर से दौरा उसी दिन हुआ, जब उन्हें अज्ञात की ओर से जान से मारने की धमकी भी मिली. इस दौरे की अहमियत इसलिए बढ़ गई है क्योंकि राज्य में मीरापुर (मुजफ्फरनगर), कुंदरकी (मुरादाबाद), गाजियाबाद, खैर (अलीगढ़), करहल (मैनपुरी), सीसामऊ (कानपुर), फूलपुर (प्रयागराज), कटेहरी (अंबेडकर नगर) और मझवां (मिर्ज़ापुर) में उपचुनाव हो रहे हैं लेकिन सियासी गलियारों में इस मुलाकात के संदर्भ को तलाशने की कवायद फिलहाल जारी है.
वरिष्ठ पत्रकार आलोक त्रिपाठी ने फोन पर एबीपी न्यूज़ को सीएम योगी आदित्यनाथ के दिल्ली दौरे की संभावित वजहें बताई. उन्होंने कहा, "सूबे में उपचुनाव का माहौल है इसलिए दिल्ली गए होंगे. लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश भाजपा के लिए खासा अहम बन गई है. सबकी निगाहें चुनाव पर टिकी हुई हैं. जिस तरह लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यूपी में नुकसान हुआ है, ये सब बातों को ध्यान में रखते हुए सीएम योगी को दिल्ली दरबार बुलाया गया होगा. जिस तरह बटेंगे तो कटेंगे का नारा दिया गया और एक सकारात्मक माहौल बना उसे लेकर भी मंत्रणा के लिए दिल्ली आ सकते हैं."
इस बीच, यूपी की सियासत पर नजर रखने वाले सीनियर जर्नलिस्ट रतनमणि लाल की राय है, "ये कहना बहुत ठीक नहीं होगा कि योगी आदित्यनाथ उपचुनाव के मसलों पर चर्चा के लिए दिल्ली आएं हों. इसके पीछे का तर्क ये है कि उपचुनाव को लेकर सारी रणनीतियां पहले ही तय हो चुकी हैं. सभी प्रत्याशियों के नाम का ऐलान भी हो चुका है. यूपी के मुखिया के दिल्ली आने की वजह कुछ और है. यूपी में बड़े स्तर पर प्रशासनिक फेरबदल होने हैं. इसके अलावा पार्टी के अध्यक्ष का चुनाव होना है और क्योंकि योगी आदित्यनाथ दल के बड़े नेताओं में से एक हैं और देश के सबसे बड़े राज्य के सीएम हैं तो पार्टी किसी संभावित चर्चा के लिए उन्हें बुला सकती है. राज्य में कुछ वक्त पहले बहराइच में हुई हिंसा या फिर हवाई जहाजों को मिल रही लगातार धमकियां भी बैठक की एक वजह हो सकती है. दरअसल वजहें कई हो सकती हैं लेकिन उपचुनाव का मुद्दा सबसे निचले पायदान पर है."
केशव प्रसाद मौर्य के साथ 'खटपट' के लिए दिल्ली तलब?
यूपी में दावा किया जा रहा था कि सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच बात नहीं बन रही है. बीते महीनों दिल्ली से लखनऊ तक का दौरा हुआ. कुछ ऐसी बैठकें हुईं जिसमें मुख्यमंत्री तो गए लेकिन दोनों डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य नहीं गए. कथित मनमुटाव को लेकर तब मामला ठंडा पड़ गया था. वरिष्ठ पत्रकार आलोक त्रिपाठी ने आगे बताया, "लोकसभा चुनाव के नतीजें के बाद यूपी में जिस तरह का माहौल बना और केशव मौर्य दिल्ली गए, फिर योगी आदित्यनाथ भी दिल्ली गए थे. अब संभव है कि उपचुनाव से पहले इस मामले के निपटारे के लिए भी योगी जी दिल्ली गए हों. क्योंकि उपचुनाव में मौका दिया गया था कि इसके परफॉर्मेंस के आधार पर यूपी की सियासत में निर्भर करेगा."
रतनमणि लाल की इस मसले पर राय थोड़ी इतर है. उनका कहना था, "केशव मौर्य के साथ खटपट एक वाजिब वजह तो हैं लेकिन इस मामले पर तो उपचुनाव के बाद ही कोई बात हो सकती है. आज की तारीख़ में योगी जी का उत्तर प्रदेश में जो कद है. देश भर में उनका महत्व है. जिस तरह चुनाव जिताने में जो उनकी भूमिका है इसके चलते उनकी एक अलग भूमिका बन गई है. अब केशव प्रसाद जो फैक्टर है तभी सामने आएगा जब उपचुनाव में बीजेपी को यूपी उपचुनाव में संभावित सफलता न मिले. इसके बाद योगी जी के लिए मुश्किलें पैदा हो सकती हैं लेकिन क्योंकि अभी उपचुनाव का प्रचार चल रहा है. इसलिए अभी मुझे लगता है केशव मौर्य मामले का नतीजा अभी नहीं उपचुनाव के बाद आएगा."
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