मुंबई: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव परिणाम आए नौ दिन बीत चुके हैं लेकिन अभी तक यह साफ नहीं है कि सरकार किसकी बनेगी और कैसे बनेगी. इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हुसैन दलवई ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कहा है कि शिवसेना की ओर से सरकार बनाने के लिए समर्थन मांगा जाता है तो देना चाहिए. बीजेपी और शिवसेना में फर्क है.


दलवई के पत्र लिखे जाने को लेकर शिवसेना ने कहा कि हम इसका स्वागत करते हैं. शिवसेना सांसद संजय राउत ने आज कहा, ''हुसैन दलवई समाजवादी नेता हैं. प्रोग्रेसिव परिवार से आते है. खत का स्वागत होना चहिए.'' राउत ने एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार से बातचीत को लेकर कहा कि महाराष्ट्र में जिस तरह की स्थिति चल रही है, शिवसेना और बीजेपी को छोड़कर सभी राजनीतिक दल एक-दूसरे से बात कर रहे हैं.


हुसैन दलवई ने क्या कहा?
कांग्रेस नेता ने कहा कि पहले कई मौकों पर शिवसेना ने हमें (कांग्रेस) साथ दिया है. दलवई ने प्रतिभा पाटिल और प्रणब मुखर्जी के नामांकन की याद दिलाई. उन्होंने कहा, ''जैसा कि आप अच्छी तरह से जानते हैं कि विधानसभा चुनावों में हमारे कई विधायक और अन्य नेता बीजेपी में चले गए. अगर बीजेपी सरकार बनाने में सक्षम होती है, तो वे फिर से और अधिक तेजी से ऐसा करना शुरू कर देंगे. लेकिन अगर हम शिवसेना के साथ सरकार बनाते हैं, तो इसे रोका जा सकता है. हम अपने आधार को मजबूत कर पाएंगे.''


समर्थन देने पर मतभेद
शिवसेना को समर्थन देने के मुद्दे पर कांग्रेस नेताओं की अलग-अलग राय है. पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे ने शुक्रवार को कहा कि कांग्रेस सरकार नहीं बनाने जा रही है. शिंदे ने कहा, ''मैं ये स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि कांग्रेस एक सेक्युलर पार्टी है. कांग्रेस कभी भी धर्म या जाति के विचारों पर चलने वाली पार्टियों को समर्थन नहीं देगी. जनता ने हमें विपक्ष में बैठने का जनादेश दिया है. हम उसका पालन करेंगे.''


एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार भी किसी भी नए समीकरण से इनकार कर चुके हैं. एनसीपी और कांग्रेस के समर्थन से शिवसेना की सरकार बनने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर पवार ने शुक्रवार को कहा कि इस संबंध में उनकी पार्टी में कोई चर्चा नहीं हुई है. उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास स्पष्ट बहुमत नहीं है. जनता ने हमें विपक्ष में बैठने को कहा है. हम उस जनादेश को स्वीकार करते हैं और ध्यान रखेंगे कि हम उस भूमिका को प्रभावी ढंग से निभाएं.’’


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शिवसेना है हमलावर
फड़णवीस सरकार में वित्तमंत्री सुधीर मुनगंटीवार के बयान पर पलटवार करते हुए शिवसेना ने सामना में लिखा है कि क्या राष्ट्रपति आपकी जेब में हैं? इससे पहले सुधीर मुनगंटीवार ने कहा था कि अगर राज्य में सात नवंबर तक नई सरकार नहीं बनती है तो महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार गठन में मुख्य बाधा शिवसेना की ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद की मांग है.


बता दें कि 24 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव नतीजों की घोषणा हुई थी. इस चुनाव में बीजेपी को 17 सीटों का नुकसान हुआ था. पार्टी शिवसेना के साथ गठबंधन कर 105 सीटें जीती. वहीं शिवसेना 56 सीट जीतने में कामयाब रही. एनसीपी ने 54 तो कांग्रेस ने 44 सीटों पर कब्जा जमाया. सूबे में सरकार बनाने के लिए 145 सीटों की जरूरत होती है.


बीजेपी की कम होती सीटों को शिवसेना ने एक बड़े मौके के तौर पर देखा और मुख्यमंत्री पद की मांग उठा दी. शिवसेना का कहना है कि लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे के साथ बैठक के दौरान दावा किया था कि हम विधानसभा में 50-50 फॉर्मूले पर काम करेंगे. शिवसेना के मुताबिक 50-50 फॉर्मूले का मतलब है ढाई साल बीजेपी का और ढाई साल शिवसेना का मुख्यमंत्री होगी. वहीं बीजेपी इससे साफ-साफ इनकार कर चुकी है.


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