नई दिल्ली: साल 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर का प्रभाव ऐसा रहा कि देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया. कई ऐसे क्षेत्रीय दल जो राज्यों में खास अहमियत रखते थे वो इस चुनाव में खाता भी नहीं खोल पाए हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा और कई पूर्व मुख्यमंत्री लोकसभा का चुनाव हार गए हैं. हम ऐसे ही कुछ नेताओं के बारे में बताने जा रहे हैं जो इस चुनाव में अपनी सीट नहीं बचा पाए.


राहुल गांधी
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कांग्रेस के गढ़ और अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी से लोकसभा का चुनाव हार गए हैं. राहुल गांधी लगातार तीन बार से इस सीट पर चुनाव जीत कर यहां के मौजूदा सांसद थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की स्मृति ईरानी ने करीब 56 हजार वोटों से राहुल गांधी को शिकस्त दी. बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने इसी सीट पर स्मृति ईरानी को हराया था.


अमेठी लोकसभा सीट पर सबसे पहले चुनाव 1967 के आम चुनाव के दौरान हुए. जहां कांग्रेस के विद्याधर वाजपाई ने इस सीट पर जीत दर्ज की. इसके बाद कांग्रेस लगातार इस सीट पर जीत हासिल करती रही. मगर 1977 में ऐसा पहली बार हुआ जब कांग्रेस यहां से जीत दर्ज नहीं कर पाई. 1977 में यहां से जनता दल के रविंद्र प्रताप सिंह ने जीत हासिल की. इमरजेंसी के बाद 1977 में संजय गांधी इस सीट से चुनाव लड़े थे मगर वह अपनी सीट गंवा बैठे.


एच डी देवगौड़ा
देश के पूर्व प्रधानमंत्री और कर्नाटक के पूर्व सीएम एच डी देवगौड़ा भी मोदी की लहर में अपनी सीट बचा पाने में नाकामयाब दिखे. कर्नाटक की तुमकुर सीट से चुनाव लड़ रहे देवगौड़ा को भारतीय जनता पार्टी के जी एस बसवाराज ने हराया. देवगौड़ा कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार थे. उन्होंने अपना गढ़ और हासन सीट अपने पोते प्रज्ज्वल रेवन्ना के लिए छोड़ने के बाद आखिरी क्षणों में तुमकुर से चुनाव लड़ने का विकल्प चुना था.


मल्लिकार्जुन खड़गे
लोकसभा चुनाव में कर्नाटक से कांग्रेस के दिग्गज नेता मल्लिकार्जुन खड़गे चुनाव हार गए हैं. खड़गे गुलबर्गा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार थे. बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे उमेश जाधव ने उन्हें शिकस्त दी है. जाधव ने 95 हजार से अधिक वोटों से खड़गे को चुनाव में हराया है. नौ बार विधायक और दो बार लोकसभा सदस्य रह चुके मल्लिकार्जुन खड़गे को कभी चुनाव में हार का सामना नहीं करना पड़ा था. लोकसभा चुनाव में यह खड़गे की पहली हार है.


शीला दीक्षित
दिल्ली की तीन बार मुख्यमंत्री रह चुकीं शीला दीक्षित भी इन चुनावों में हार गईं. शीला दीक्षित नॉर्थ ईस्ट दिल्ली की सीट से चुनाव लड़ रही थीं. इस सीट पर उनका मुकाबला बीजेपी के मनोज तिवारी से था. शीला दीक्षित को कांग्रेस ने एन वक्त पर चुनावों में उतारा था और उन्हें इस सीट से अपना कैंडिडेट बनाया था. लेकिन मोदी लहर के आगे शीला दीक्षित नहीं टिक पाईं. बीजेपी के मनोज तिवारी इस सीट पर जीतने में कामयाब रहे.


भूपेंद्र सिंह हुड्डा
हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हु्ड्डा अपने गढ़ सोनीपत सीट से चुनाव लड़ रहे थे. उन्हें बीजेपी प्रत्याशी रमेशचंद्र कौशिक से हार का सामना करना पड़ा.


दिग्विजय सिंह
कांग्रेस के दिग्विजय सिंह बीजेपी की साध्वी प्रज्ञा से 3 लाख से ज्यादा मतों से हार गए हैं. बता दें कि दिग्विजय सिंह एक बार नहीं बल्कि दो बार मध्य प्रदेश के सीएम रहे हैं.


बाबूलाल मरांडी
झारखंड के पहले मुख्यमंत्री रहे बाबूलाल मरांडी भी इन चुनावों में अपनी सीट हार गए. झारखंड विकास मोर्चा के बाबूलाल चार बार सांसद रहे हैं. लेकिन इस बार बीजेपी की अन्नपूर्णा देवी से उन्हें हराया.


हरीश रावत
कांग्रेस के हरीश रावत भी इस बार मोदी लहर के आगे पस्त होते नजर आए. 2014 से 2017 तक उतराखंड के मुख्यमंत्री रहे हरीश रावत को भारतीय जनता पार्टी के अजय भट्ट ने मात दी है.


अशोक च्वहाण
कांग्रेस के दिग्गज नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री रहे अशोक च्वहाण भी इस बार अपनी सीट नहीं बचा पाए. अशोक च्वहाण की गिनती कांग्रेस के बड़े नेताओं में होती है और वो महाराष्ट्र में खासा प्रभाव रखते हैं. लेकिन इन चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ता दिख रहा है.


सुशील कुमार शिंदे
पूर्व केंद्रीय मंत्री और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे सुशील कुमार शिंदे इस बार लोकसभा चुनावों में हार गए. महाराष्ट्र की सोलापुर से चुनाव लड़ रहे सुशील कुमार शिंदे को बीजेपी के डॉक्टर जय सिद्धेश्वर ने हराया.


मुकुल संगमा
मेघालय के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के नेता मुकुल संगमा भी अपनी सीट नहीं बचा पाए. मुकुल संगमा मेघालय की तुरा सीट से लड़ रहे थे. उन्हें नेशनल पीपुल पार्टी के अगथा संगमा ने हराया है.


नवाम टुकी
कांग्रेस के नेता और अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे नवाम टुकी इस बार हार गए हैं. नवाम टुकी को बीजेपी के किरेण रिजिजू ने हराया.


वीरप्पा मोइली
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के नेता वीरप्पा मोइली को भी मोदी लहर के चलते हार का सामना करना पड़ा है. वो कर्नाटक की चिकबलपुर सीट से चुनाव लड़ रहे थे. उन्हें इस सीट पर बीजेपी के बीएन बचे गौड़ा ने मात दी है.


ज्योतिरादित्य सिंधिया
मध्य प्रदेश में कांग्रेस के सबसे मजबूत और सुरक्षित लोकसभा क्षेत्रों में से एक गुना से मौजूदा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया चुनाव मैदान में थे. गुना संसदीय क्षेत्र पर सिंधिया राजघराने के सदस्यों का लंबे अरसे से कब्जा है. लेकिन इस बार के चुनाव में राजघराने के ज्योतिरादित्य सिंधिया, बीजेपी के के पी यादव (KP Yadav) से हार गए हैं.


मीसा भारती
बिहार की पाटलिपुत्र सीट से लालू यादव की बेटी मीसा भारती एक बार फिर मैदान में थी. पिछले बार उन्हें बीजेपी के रामकृपाल यादव ने हरा दिया था लेकिन इस बार वे पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरीं. उनके लिए तेजस्वी यादव से लेकर राहुल गांधी ने प्रचार किया. इसके बावजूद भी नतीजे मीसा भारती के पक्ष में नहीं हैं. रामकृपाल यादव एक बार फिर जीत दर्ज कर संसद पहुंचेंगे.


डिंपल यादव
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव और बीजेपी के सुब्रत पाठक के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली. डिंपल यादव बीजेपी के सुब्रत पाठक से 12,086 वोटों से हार गईं. इस हार के बाद समाजवादी पार्टी में मायूसी छाई है. बीजेपी ने कन्नौज लोकसभा सीट पर जीत दर्ज कर सपा को गहरा घाव दिया है. सपा-बसपा गठबंधन मिलकर भी डिंपल की सीट नहीं बचा सका. समाजवादी पार्टी की कन्नौज लोकसभा सीट सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती थी.


शत्रुघ्न सिन्हा
पटना साहिब सीट से केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद चुनाव जीत गए हैं. यहां से उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी और बीजेपी छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए शत्रुघ्न सिन्हा को हरा दिया है. चुनाव आयोग के मुताबिक रविशंकर प्रसाद ने शत्रुघ्न सिन्हा को 2,84,657 वोटों से हराया है. इस चुनाव में जहां रविशंकर प्रसाद को 6,07,506 वोट मिले हैं वहीं शत्रुघ्न सिन्हा को 3,22849 वोट मिले हैं.


मीरा कुमार
सासाराम सुरक्षित सीट से छेदी पासवान ने पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार को हरा दिया है.


चौधरी अजित सिंह
मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से चौधरी अजित सिंह हार गए हैं. बीजेपी के संजीव बालियान ने उन्हें मात दी. चौधरी अजित के हारने से आरएलडी समेत महागठबंधन दल बसपा और सपा के नेता भी सकते में हैं. इस सीट पर उनके जीतने की पूरी संभावनाएं थी.


जयंत चौधरी
चौधरी अजित सिंह के अलावा उनके बेटे आरएलडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी भी चुनाव हार गए है. केन्द्रीय मंत्री डॉक्टर सत्यपाल सिंह ने उन्हें 20 हजार से ज्यादा मतों से पराजित कर दिया है.


दुष्यंत चौटाला
हिसार संसदीय सीट से बीजेपी उम्मीदवार बृजेन्द्र सिंह ने वर्तमान सांसद जेजेपी के दुष्यंत चौटाला को तीन लाख 14 हजार 68 मतों से पराजित किया. यहां से कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के पोते भव्य बिश्नोई तीसरे स्थान पर रहे. बृजेन्द्र सिंह केंद्रीय मंत्री बीरेन्द्र सिंह के पुत्र हैं और वह हाल में बीजेपी में शामिल हुए थे.


मनोज सिन्हा
रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा को छोड़कर उत्तर प्रदेश की कई सीटों से चुनाव लड़े बाकी सभी केन्द्रीय मंत्री चुनाव जीतने में कामयाब रहे. प्रदेश से कुल नौ केन्द्रीय मंत्री चुनाव लड़े थे, जिनमें से आठ के सिर जीत का सेहरा बंधा.