मित्रा पहले भी प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रह चुके हैं. 15वीं लोकसभा के सदस्य रह चुके मित्रा ने 2008 में कांग्रेस छोड़कर ‘प्रगतिशील इंदिरा कांग्रेस’ नाम से अपनी पार्टी बना ली थी. फिर 2009 में उन्होंने अपनी पार्टी का तृणमूल कांग्रेस में विलय करा दिया. 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले वह कांग्रेस में वापस आ गए.
पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रियरंजन दास मुंशी की पत्नी दीपा दासमुंशी, शंकर मालकर, नेपाल महतो और अबू हासिम खान चौधरी सहित 4 कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए हैं. प्रदीप भट्टाचार्य को समन्वय समिति का अध्यक्ष और शुभाकंर सरकार को संयोजक और अमिताभ चक्रवर्ती को संपर्क एवं संचार (आउटरीज एंड कम्युनिकेशन) विभाग का प्रमुख बनाया गया है.
इस नए फेरबदल की खास बात ये है कि प्रदेश अध्यक्ष से अधीर रंजन को ऐसा वक़्त हटाया गया जब कांग्रेस 2019 चुनाव में ममता बनर्जी से गठबंधन की संभावनाएं तलाश रही है, जबकि अधीर रंजन इस संभावित गठबंधन के सख्त खिलाफ रहे हैं.
पश्चिम बंगाल में कांग्रेस का बुरा हाल है. वापंथी पार्टी के इस गढ़ में जब तीन दशक के बाद साल 2012 में लेफ्ट का किला ढहा तब भी संजीवनी कांग्रेस को नहीं मिली, बल्कि तब से सत्ता ममता बनर्जी के हाथों में है और बीते 7 साल से ममता बनर्जी सूबे की सत्ता पर काबिज हैं.