(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Assembly Election Results 2023: कैसे वोटों की गिनती को अंजाम दिया जाता है, किनकी मौजूदगी और हस्ताक्षर हैं जरूरी, पढ़ें- काउंटिंग की पूरी प्रोसेस
Counting of Vote In India's Elections: मतदान होते हुए तो आपने देखी होगी. आपको कभी ये उत्सुकता भी हुई होगी कि आखिर गिनती को कैसे शुरू किया जाता है और अंजाम तक पहुंचाया जाता है. पढ़ें- पूरी प्रोसेस
The Process of Vote Counting In India's Elections: दुनिया में भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र है और यहां चुनाव किसी उत्सव से कम नहीं होते हैं. चुनाव की अधिसूचना जारी होने से लेकर राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों के चुनाव, नामांकन के साथ मतदान और फिर सबसे अहम दिन मतगणना का आता है. ये दिन चुनावी मैदान में उतरे उम्मीदवारों के साथ ही जनता की धड़कने भी बढ़ाता है.
गिनती में एक-एक वोट के बढ़ने से जाम छलकते हैं और चेहरों पर मायूसी के रंग उभरते हैं. कुछ ऐसा सुरूर होता है वोटों की गिनती यानी काउंटिंग का. क्या आप नहीं जानने चाहेंगे कि स्ट्रॉन्ग रूम से निकलने के बाद वोट कैसे गिने जाते हैं? वोटों की गिनती की इसी पूरी प्रक्रिया से हम आपको रूबरू कराने जा रहे हैं. तो चलिए देखते हैं कैसे गिनती के बाद आपका एक वोट कैसे सरकार बनाने और गिराने की ताकत रखता है.
पहले होती है पुख्ता टेस्टिंग
किसी भी विधान सभा के लिए या फिर किसी भी वोटिंग बूथ के लिए ईवीएम और वीवीपैट की पुख्ता जांच की जाती है. ये इसलिए किया जाता है कि किसी भी तरह की गड़बड़ी या अनहोनी से बचा जा सके. इसके लिए ईवीएम और वीवीपैट को बूथों में रवाना करने से पहले ईवीएम मैनेजमेंट सिस्टम (ईएमएस) के इस्तेमाल से उसकी रैंडम सलेक्शन या फिर नमूने के जरिए जांच की जाती है. इनकी लिस्ट राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को भी मुहैया करवाई जाती है.
ईवीएम और वीवीपैट की कमिशनिंग
चुनाव लड़ने जा रहे उम्मीदवारों की आखिरी और फाइनल लिस्ट बनने के बाद उन उम्मीदवारों की मौजूदगी में ईवीएम और वीवीपैट की कमिशनिंग यानी उम्मीदवारों के नाम मशीन में सेट किए जाते हैं. इस दौरान पारदर्शिता बनाए रखने के लिए कमिशनिंग हॉल में टीवी या मॉनिटर लगाए जाते हैं.
इसके बाद नोटा सहित हर उम्मीदवार को छद्म (Mock) वोटिंग के जरिए एक वोट दिया जाता है. इसके बाद 5 फीसदी ईवीएम और वीवीपैट के1000 वोटों का मॉक पोल होता है. इसके बाद पेपर में गिनती के साथ इलेक्ट्रॉनिक नतीजों का मिलान किया जाता है.
मतदान के दिन भी रखी जाती है खास सावधानी
हकीकत में मतदान शुरू होने के 90 मिनट पहले हर बूथ पर कम से कम 50 वोट डालकर फिर मॉक पोल किया जाता है. इसके बाद कंट्रोल यूनिट के इलेक्ट्रॉनिक नतीजों और वीवीपैट पर्चियों की गणना का मिलान करके दिखाया जाता है. इसके तुरंत बाद कंट्रोल यूनिट के क्लियर बटन को दबाया जाता है ताकि मॉक वोटिंग का डाटा मिट जाता हैं. दरअसल कंट्रोल यूनिट मतदान प्रक्रिया को नियंत्रित करती है. यह पीठासीन अधिकारी या प्रथम मतदान अधिकारी संचालित करते हैं.
इससे ये साफ हो जाता है कि कंट्रोल यूनिट में कोई वोट दर्ज नहीं है. पीठासीन अधिकारी वास्तविक वोटिंग शुरू होने से पहले मॉक वोटिंग में इस्तेमाल पर्चियों को पहले ही अलग मार्क किए गए लिफाफों में रख देते हैं. असल में वोटिंग शुरू होने से पहले ईवीएम और वीवीपैट को पोलिंग एजेंट की मौजूदगी में सील बंद किया जाता है.
ईवीएम और वीवीपैट का स्ट्रॉन्ग रूम में स्टोरेज
मतदान यानी वोटिंग के दिन डाले गए कुल वोट, सील (विशिष्ट नंबर) वोटिंग सेंटर और वीवीपैट की क्रम संख्याओं के ब्यौरे वाले फार्म 17-सी की एक कॉपी उम्मीदवारों के पोलिंग एजेंट को दी जाती है. वोटिंग खत्म होने के तुरंत बाद ईवीएम और वीवीपैट पोलिंग एजेंट की मौजूदगी में उनसे संबंधित कैरिंग केस (Carrying Cases) में सील बंद की जाती है. इस सील पर पोलिंग एजेंट के साइन लिए जाते हैं.
दरअसल भारत के निर्वाचन आयोग के मुताबिक फार्म 17 सी में वोटिंग में इस्तेमाल ईवीएम मशीन का नंबर, पोलिंग बूथ की संख्या, कुल डाले गए वोट और बचे वोटों की संख्या का पूरा ब्यौरा भरकर देना होता है. इसके साथ ही इसकी एक प्रमाणित की गई कॉपी पोलिंग एजेंट को देने की व्यवस्था की गई है.
इस फार्म के पार्ट-2 में उम्मीदवारों को पड़े वोट दर्ज किए जाते हैं. इस पर काउंटिंग एजेंट के साइन भी होते हैं. वोटिंग में इस्तेमाल ईवीएम और वीवीपैट उम्मीदवारों और उनके प्रतिनिधियों की मौजूदगी में वीडियोग्राफी के साथ डबल लॉक सिस्टम में स्ट्रॉन्ग रूम में स्टोर करने के लिए सख्त पहरे के साथ ले जाई जाती है. उम्मीदवार या उनके प्रतिनिधि स्ट्रॉन्ग रूम के सामने ठहर भी सकते हैं.
24 घंटे होती है स्ट्रॉन्ग रूम की स्ट्रॉन्ग पहरेदारी
स्ट्रॉन्ग रूम सुरक्षा की सभी आधुनिक सुविधाओं से चाक- चौबंद होता है. इस रूम की सीसीटीवी सुविधाओं के साथ कई स्तरों में 24X7 पहरेदारी की जाती है.
ऐसे लाई जाती हैं ईवीएम मतगणना केंद्रों पर
मतगणना यानी काउंटिंग के दिन स्ट्रॉन्ग रूम वीडियोग्राफी के साथ उम्मीदवारों, आरओ और प्रेक्षक यानी ऑर्ब्जवर की मौजूदगी में खोला जाता है. वोट रखे ईवीएम सीसीटीवी कवरेज में पूरी सुरक्षा के साथ उम्मीदवारों और उनके एजेंट की मौजूदगी में मतगणना केंद्रों तक लाए जाते हैं.
लगातार सीसीटीवी की निगरानी में राउंड वाइज कंट्रोल यूनिट (सीयू) स्ट्रॉन्ग रूम से टेबलों पर लाई जाती है. काउंटिंग के दिन कंट्रोल यूनिट से नतीजे प्राप्त करने से पहले चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों डेप्यूट यानी नियुक्त किए गए काउंटिंग एजेंट के सामने सील का सत्यापन करते हैं. इस दौरान सीयू की विशिष्ट क्रम संख्याओं का मिलान किया जाता है.
अब आती है काउंटिंग की बारी
मतगणना यानी काउंटिंग के दिन काउंटिंग एजेंट सीयू में दिखाए जा रहे डाले गए वोट का फार्म 17 सी के तहत सत्यापन कर सकते हैं. चुनावों के नतीजों को चुनौती देने वाली याचिका दायर करने के वक्त के खत्म होने तक ईवीएम और वीवीपैट को उम्मीदवारों उनके एजेंट की मौजूदगी में स्ट्रॉन्ग रूम में वापस स्टोर किया जाता है.
पूर्वोत्तर के 3 राज्यों में वीवीपैट पेपर पर्चियों सत्यापन है जरूरी
भारत के सुप्रीम कोर्ट ने 08 अप्रैल 2019 आदेश में चुनाव आयोग को मेघालय, नागालैंड और त्रिपुरा विधानसभा के लिए अधिदेश (अनिवार्य तौर पर पालन किए जाने वाला) दिया है. इसके तहत रिटर्निंग अधिकारी के मेघालय,नागालैंड और त्रिपुरा विधानसभा के प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में रैंडम तरीके से चुने गए पांच (5) मतदान केंद्रों की वीवीपैट पर्चियों की गिनती ड्रा ऑफ लॉट के जरिए उम्मीदवारों की मौजूदगी में करेंगे ताकि कंट्रोल यूनिट से मिले नतीजों का सत्यापन किया जा सके.
ये हर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में पांच (5) मतदान केंद्रों की वीवीपैट पर्ची की गिनती का यह अनिवार्य सत्यापन, निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961 के नियम 56(D) के प्रावधानों के अतिरिक्त होगा.
नोटा का विकल्प रहता है हमेशा
चुनावों में हमेशा ईवीएम वीवीपैट और पोस्टल बैलेट में 'इनमें से कोई नहीं ' यानी (नोटा) का विकल्प हमेशा की तरह होगा. बैलेट यूनिटों में आखिरी उम्मीदवार के नाम के नीचे नोटा विकल्प का बटन होगा ताकि वे वोटर जो किसी भी उम्मीदवार को वोट नहीं देना चाहते इसका इस्तेमाल कर सकें. इसी तरह से पोस्टल बैलेट पर भी आखिरी उम्मीदवार के के नाम के बाद नोटा पैनल भी होगा. नोटा पैनल के सामने नोटा का सिंबल दिया होगा. ये सिंबल में वर्गाकार बॉक्स में क्रॉस है.
ईवीएम बैलेट पेपर पर उम्मीदवारों की फोटो भी जरूरी
वोटर्स को उम्मीदवारों की पहचान करने में सुविधा देने के लिए, आयोग ने ईवीएम (बैलेट यूनिट) पर प्रदर्शित किए जाने वाले मतपत्र और पोस्टल बैलेट पेपर पर भी चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों की तस्वीर छापने के प्रावधान को जोड़ा है. ये उन हालातों में वोटर की मदद करेगा जब एक ही नाम के उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे होंगे. यही वजह है कि आयोग ने चुनाव लड़ने जा रहे सभी उम्मीदवारों को रिटर्निंग ऑफिसर को अपना हाल का स्टैम्प साइज फोटोग्राफ मुहैया कराने को कहा है.