नई दिल्ली: आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 'डांडी मार्च' के 89 साल पूरे हो रहे हैं. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बापू को याद करते हुए ब्लॉग लिखा है जिसका शीर्षक है- 'जब एक मुट्ठी नमक ने अंग्रेजी साम्राज्य को हिला दिया!' इस ब्लॉग में पीएम मोदी ने बापू के बहाने के कांग्रेस के चाल, चरित्र और परिवारवाद पर निशाना साधा है.


प्रधानमंत्री ने कहा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस की संस्कृति गांधीवादी विचारधारा के बिल्कुल विपरीत हो चुकी है. बता दें कि आज ही कांग्रेस गुजरात में 58 साल बाद कार्यसमिति की बैठक कर रही है. राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी ने साबरमती आश्रम में बापू की फोटो पर माला चढ़ाकर श्रद्धांजलि दी.


कांग्रेस पर वंशवादी राजनीति का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि बापू वंशवादी राजनीति की निंदा करते थे, लेकिन ‘Dynasty First’ आज की कांग्रेस का मूलमंत्र बन चुका है.


प्रधानमंत्री ने लिखा, ''कांग्रेस ने हमेशा वंशवादी संस्कृति को बढ़ावा दिया. लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति उनकी कभी कोई आस्था नहीं रही है. गांधी जी कांग्रेस कल्चर को अच्छी तरह से समझ चुके थे. इसीलिए वे चाहते थे कि कांग्रेस को भंग कर दिया जाए, विशेषकर 1947 के बाद.''


प्रधानमंत्री ने लिखा, ''हमारी सरकार ने भ्रष्टाचारियों को सजा दिलाने के लिए कठोर क़दम उठाए हैं. लेकिन, देश ने देखा है कि कैसे ‘कांग्रेस’ और ‘भ्रष्टाचार’ एक-दूसरे के पर्याय बन गए हैं. आप किसी भी सेक्टर का नाम ले लीजिए, आपको वहां कांग्रेस का एक घोटाला नजर आ जाएगा. चाहे रक्षा, टेलिकॉम और सिंचाई का क्षेत्र हो या फिर खेल के आयोजनों से लेकर कृषि, ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्र, कोई भी सेक्टर कांग्रेस के घोटालों से अछूता नहीं है.''


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कांगेस पर सुविधावादी राजनीति का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री ने लिखा, ''बापू ने त्याग की भावना पर बल देते हुए यह सीख दी कि आवश्यकता से अधिक संपत्ति के पीछे भागना ठीक नहीं है. जबकि, कांग्रेस ने बापू की इस शिक्षा के विपरीत अपने बैंक खातों को भरने और सुख-सुविधाओं वाली जीवन शैली को अपनाने का ही काम किया. ये सुख-सुविधाएं गरीबों की मूलभूत आवश्यकताओं की कीमत पर जुटाई गईं.''


प्रधानमंत्री ने कहा, '' इसे विडंबना ही कहेंगे कि कांग्रेस ने देश को ‘आपातकाल’ दिया, यह वह वक्त था, जब हमारी लोकतांत्रिक भावनाओं को रौंद डाला गया था. यही नहीं कांग्रेस ने धारा 356 का कई बार दुरुपयोग किया. अगर कोई नेता उन्हें पसंद नहीं आता था तो वे उसकी सरकार को ही बर्खास्त कर देते थे.''


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