दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020: आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने अपने करीबी गोपाल राय को एक बार फिर से बाबरपुर विधानसभा सीट से मैदान में उतारा है. आप की दिल्ली यूनिट के संयोजक और मंत्री गोपाल राय तीसरी बार बाबरपुर से किस्मत आजमाने के लिए तैयार हैं. आप के दिग्गज नेता को चुनौती देने के लिए बीजेपी ने चार बार के पूर्व विधायक नरेश गौर को मैदान में उतारा है. हालांकि 5 साल पहले विधायक बने गोपाल राय ने आंदोलन और राजनीति की दुनिया में एक लंबा सफर तय किया है.


अन्ना आंदोलन का थे हिस्सा


गोपाल राय ने स्टूडेंट पॉलिटिक्स से ही अपने सफर का आगाज किया. 1992 में लखनऊ यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान गोपाल राय लेफ्ट की ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन का हिस्सा बने. गोपाल राय लखनऊ यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान AISA के साथ जुड़े रहे. लखनऊ यूनिवर्सिटी में छात्र राजनीति के दौरान गोपाल राय को लखनऊ यूनिवर्सिटी के एक और छात्र राकेश शर्मा ने इन पर गोली चलाई. दो साल तक गोपाल राय का लखनऊ के मेडिकल कॉलेज में ईलाज चला. इसके बाद वह करीब 10 साल तक लखनऊ में ही रहे और 2009 में दिल्ली आ गए. दिल्ली आकर गोपाल राय एक एनजीओ के साथ जुड़ गए और 2011 में अन्ना आंदोलन के साथ जुड़ने का फैसला किया.


अन्ना आंदोलन के दौरान गोपाल राय इंडिया अगेंस्ट करप्शन की कौर टीम के सदस्थ थे और वह टीवी पर अन्ना टीम का पक्ष रखते हुए नज़र आते थे. 2012 जुलाई-अगस्त में गोपाल राय अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के साथ अनशन पर भी बैठे. जब अरविंद केजरीवाल ने पार्टी बनाने का फैसला किया तो गोपाल राय ने उनका साथ देने का फैसला किया. आम आदमी पार्टी की सबसे अहम पॉलिटिक्ल अफेयर्स कमेटी में गोपाल राय को जगह मिली.



2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में गोपाल राय को आम आदमी पार्टी ने बाबरपुर विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारने का फैसला किया. हालांकि अपने पहले ही चुनाव में गोपाल राय को हार का सामना करना पड़ा. गोपाल राय को 22 फीसदी वोट मिले और वह तीसरे नंबर पर रहे. बीजेपी नेता नरेश गौर ने 29 फीसदी वोट के साथ जीत हासिल की.


2015 में केजरीवाल लहर में गोपाल राय को बाबरपुर से बड़ी जीत मिली. गोपाल राय ने 36 हजार वोट के अंतर से नरेश गौर को हराया. गोपाल राय को 59 फीसदी वोट मिले, जबकि चार बार के विधायक नरेश गौर 31 फीसदी वोट के साथ दूसरे नंबर पर रहे.


दिल्ली सरकार में मिले अहम पद


दूसरी बार सीएम बनने पर गोपाल को केजरीवाल ने दिल्ली सरकार में ट्रांसपोर्ट और ग्रामीण विकास जैसे अहम मंत्रालय दिए. हालांकि 2016 में जब उनका गोली निकालने के लिए ऑपरेशन हुआ तो उन्होंने ट्रांसपोर्ट मंत्रालय छोड़ दिया. हालांकि वह दिल्ली सरकार में मंत्री बने रहे और ग्रामीण मंत्रालय उनके पास ही रहा.


2017 में दिल्ली यूनिट के संयोजक बने


एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेते हुए दिलीप पांडे ने संयोजक पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद पार्टी के सीनियर नेता होने के चलते गोपाल राय को दिल्ली यूनिट का संयोजक बन दिया गया.


एक बार फिर नरेश गौर से टक्कर


गोपाल राय का मुकाबला करने के लिए बाबरपुर से बीजेपी ने चार बार के पूर्व विधायक नरेश गौर को ही मैदान में उतारा है. नरेश गौर ने बाबरपुर के सभी 6 विधानसभा चुनाव में हिस्सा लिया है. नरेश गौर को 2015 के अलावा 2003 में हार का सामना करना पड़ा था.


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