अगले साल के शुरुआत में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए सभी पार्टियों ने अपनी चुनावी प्रचार की शुरुआत कर दी है. एक तरफ आम आदमी पार्टी के सभी नेता पदयात्रा निकालकर लोगों के बीच जा रहे हैं तो वहीं बीजेपी ने भी अपने चुनावी कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार कर ली है. कांग्रेस की भी इसमें पीछे नहीं है. दिल्ली में कांग्रेस ने न्याय यात्रा की शुरुआत कर दी है. इस न्याय यात्रा के जरिये कांग्रेस अपने खोये हुये वोट बैंक को साधने की एक बार फिर कोशिश कर रही है. 


कांग्रेस की इस न्याय यात्रा की बात करें तो इसके पहले चरण में 16 विधानसभाओं में 8 नवंबर से 13 नवंबर तक यात्रा चलेगी. दूसरे चरण में 18 विधानसभाओं में 15 नवंबर से 20 नवंबर तक यात्रा चलेगी. तीसरे चरण में 16 विधानसभाओं में 22 नवंबर से 27 नवंबर तक यात्रा चलेगी. चौथे चरण में 20 विधानसभाओं में 29 नवंबर से 4 दिसंबर तक यात्रा चलेगी.


AAP को घेरने के लिए कांग्रेस की न्याय यात्रा


कांग्रेस की इस न्याय यात्रा का मकसद सीधे तौर पर दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार को घेरना है. न्याय यात्रा के दौरान आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार की विफलताओं को गिनाने की कोशिश की जा रही है ताकि वो वोटर, जो दिल्ली में कांग्रेस से AAP की तरफ शिफ्ट हो गए उन्हें वापस कांग्रेस के साथ जोड़ा जा सके, लेकिन इस न्याय यात्रा को लेकर कई सावल भी उठ रहे हैं. 


एक दूसरे पर आरोपों की बौछार कर रही कांग्रेस और AAP


मसलन देश में लोकसभा चुनाव के दौरान जो इंडिया गठबंधन बना उस गठबंधन में दोनों ही पार्टियां साथ हैं. दिल्ली में लोकसभा चुनाव भी दोनों पार्टियों ने साथ मिलकर लड़ा और इसके अलावा कई राज्यों में भी दोनों के बीच गठबंधन देखा गया, लेकिन जब बात दिल्ली की आयी तो दोनों ने अलग अलग रास्ते चुन लिए. दोनों ही पार्टियां दिल्ली में एक दूसरे के साथ गठबंधन की बात सिरे से नकार रहे हैं और अब एक दूसरे पर आरोपों की बौछार कर रहे हैं. ऐसे में BJP भी ये सवाल उठा रही है कि क्या गठबंधन मतलब के लिये तैयार किया गया था. 


बीजेपी और AAP ने दिल्ली में नहीं किया कोई काम- कांग्रेस 


ऐसे में जब इसी गठबंधन की गुत्थी को लेकर दोनों ही पार्टियों से सवाल पूछा गया तो इसके जवाब में न्याय यात्रा निकाल रहे दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कहा कि केंद्र में BJP और दिल्ली में आम आदमी दोनों ने ही कोई काम नहीं किया है. दिल्ली की जनता इनके वादों से इनके झूठी बातों से पूरी तरह से विमुख हो चुकी है और नए बदलाव की ओर देख रही है. 


AAP की वजह से लोकसभा में हारी कांग्रेस


वहीं आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन की गुत्थी के सवाल पर देवेंद्र यादव ने कहा कि निश्चित ही हमारा गठबंधन था एक बड़ी लड़ाई के लिए गठबंधन था, लेकिन हमें महसूस हुआ कि चुनाव में हम जो सीटें जीत सकते थे वो इसलिये हार गये क्योंकि आम आदमी पार्टी ने जो वादे  दिल्ली के लोगों से किए थे वो पूरे नहीं किए, जिसका खामियाजा कांग्रेस को भी गठबंधन में भुगतना पड़ा. देवेंद्र यादव ने कहा कि इसलिए कांग्रेस ने तय किया है कि सभी 70 विधानसभा सीटों पर हम अकेले चुनाव लड़ेंगे और दोबारा कांग्रेस की सरकार बनाएंगे


दिल्ली में कोई गठबंधन नहीं होगा - संजय सिंह


वहीं कांग्रेस की इस न्याय यात्रा और कांग्रेस की ओर से आम आदमी पार्टी पर उठाए जा रहे सवालों के बारे में जब AAP के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ नेता संजय सिंह से पूछा गया तो उन्होंने भी जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस एक राजनीतिक दल है. उनको चुनाव लड़ना है तो विरोध करने दीजिए. वही गठबंधन के सवाल पर संजय सिंह ने कहा कि दिल्ली में कोई गठबंधन नहीं होगा. दिल्ली में AAP अकेले चुनाव लड़ेगी


गठबंधन को लेकर एक दूसरे से किनारा कर रही AAP और कांग्रेस


दिल्ली में आम आदमी पार्टी को लगता है कि कांग्रेस का जो वोट बैंक हुआ करता था वही अब उनके पास है. ऐसे में उन्हें कांग्रेस की जरूरत नहीं. तो वहीं कांग्रेस को भी ये पता है कि जिस वोट बैंक के आधार पर दिल्ली में वो कभी सत्ता हासिल करते रहे वो AAP ने ही उससे छीना है. ऐसे में दोनों ही पार्टियां गठबंधन को लेकर एक दूसरे से किनारा कर रही है. 


पिनराई विजयन ने प्रियंका गांधी पर खड़े किए सवाल


कांग्रेस के साथ गठबंधन के दलों की नाराजगी सिर्फ AAP की तरफ से ही नहीं बल्कि CPIM की तरफ से भी साफ नजर आ रही है. हाल ही में केरल के मुख्यमंत्री और CPIM नेता पिनराई विजयन ने केरल की वायनाड सीट से उपचुनाव लड़ रही प्रियंका गांधी पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि प्रियंका गांधी जमात ए इस्लामी के समर्थन में चुनाव लड़ रही है. इसे लेकर कांग्रेस का क्या रुख है? हमारा देश जमात ए इस्लामी से अपरिचित नहीं है जमात का नज़रिया लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के पक्ष में नहीं हैं. वह इस्लामी शासन के पक्ष में है. 


हिमाचल के मुख्यमंत्री ने CPIM को दिया जवाब


वहीं इस पर कांग्रेस की तरफ से हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने जवाब देते हुए कहा कि केरल में तो कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार है. ऐसी बात करके राजनीतिक लाभ नहीं राजनीतिक रोटी सेक रहे हैं. केरल की जनता इस पर ध्यान नहीं देगी. 


कांग्रेस के खिलाफ नजर आ रहा गठबंधन


साफ़ है कि जिन दलों के साथ कांग्रेस ने गठबंधन कर लोकसभा चुनाव में BJP के खिलाफ चुनाव लड़ा. आज वही गठबंधन के दल कांग्रेस पर ही निशाना साधते हुए नज़र आ रहे है और विधानसभा चुनावों में एक दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में भी नज़र आ रहे हैं.


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