Delhi MCD Election 2022: विधायक से कैसे अलग है पार्षद का पावर, यहां जानिए
दिल्ली नगर निगम के एक होने से मेयर की ताकत मुख्यमंत्री के जितनी हो गई है. मेंयर के पास टैक्स कलेक्शन से लेकर, नक्शों की मंजूरी और सफाई, शिक्षा, स्वास्थ्य की जिम्मेंदारी होती है.
Delhi MCD Election 2022: गुजरात, हिमाचल विधानसभा चुनावों की जितनी चर्चा हो रही है ठीक उतनी चर्चा दिल्ली नगर निगम चुनाव की भी है. दिल्ली नगर निगम के 250 वार्डो के लिए 4 दिसंबर को मतदान करया जाएगा तो वहीं मतों की गणना 7 दिसंबर को कराई जाएगी. नगर निगम चुनावों में पार्षद की सबसे अहम भूमिका होती है तो वहीं विधानसभा के चुनावों में मुख्यमंत्री और विधायक की अहम भूमिका होती है लेकिन विधायक और पार्षद दोनों की ही ताकतें और काम अलग अलग है.
दिल्ली नगर निगम के चुनावों में 250 वार्ड में से 1400 से अधिक उम्मीदवारों ने अपना नामंकन दाखिल किया है. बता दें कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है इसलिए यहां सीएम, विधायक, मेयर तीनों की ही ताकत और काम अलग अलग हैं. राजधानी होने के नाते यहां केंद्र सरकार, राज्य सरकार और नगर निगम भी दखल दें सकती है.इसलिए यहां ताकतों को लेकर भी जंग चलती रहती है.
पार्षद को दिया जाता है 50 लाख का फंड
नगर निगम का पार्षद अपने इलाके का प्रमुख होता है इसलिए उसके पास अपने इलाके या वार्ड की जिम्मेदारी होती है. लेकिन अब दिल्ली में तीनों नगर निगमों के एक होने से मेयर की ताकतें सीएम के बराबर हो गई है. दिल्ली की नगर निगम व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए पार्षद को सालाना 50 लाख का फंड दिया जाता है. नगर निगम के एक ना होने के पहले दिल्ली में 272 वार्ड थे जिसमें से 104-104 वार्ड साउथ और नॉर्थ दिल्ली में थे जबकि 64 वार्ड ईस्ट दिल्ली में थे. लेकिन अब सब मिलाकर 250 वार्ड हो गए हैं.
किन- किन क्षेत्रों पर है पार्षद का अधिकार
दिल्ली का 97 फीसदी इलाका एमसीडी के अंडर में आता है. जबकि, बाकी का तीन फीसदी इलाका नई दिल्ली नगर परिषद (NDMC) और दिल्ली कंटन्मेंट बोर्ड के पास होता है. नगर निगम के पार्षद के पास आम लोगों से जुड़े सभी मुद्दे पार्षद के अधिकार क्षेत्र में आते हैं. दिल्ली नगर निगम सफाई, स्कूल, अस्पताल, डिस्पेंसरी, टैक्स कलैक्शन से लेकर सड़को के रख- रखाव की जिम्मेदारी नगर निगम के पास होती है. विस्तार से जाने कौन कौन से कामों पर पार्षज निगरानी रखता है.
सफाई- दिल्ली के कॉलोनियों की साफ-सफाई , कूड़ा इकट्ठा और उसका निपटारा करना शामिल है.
शिक्षा, मेडिकल, डिस्पेंसरी- प्राइमरी शिक्षा के लिए स्कूल, डिस्पेंसरी और कुछ अस्पतालों की देख रेख नगर निगम के पास होती है.
टैक्स कलेक्शन- दिल्ली की लगभग 50 लाख संपत्तियों पर लगने वाले प्रॉपर्टी टैक्स की वसूली नगर निगम के पास होती है.
नक्शों को मंजूरी- दिल्ली में अगर कोई घर बनाना है या बिल्डिंग का निर्माण होना है तो उसका नक्शा एमसीडी ही पास करती है. बिल्डिंग अवैध बनी है और उसे तोड़ना है तो उसका काम भी नगर निगम ही तय करती है.
सड़कों की देखभाल- नगर निगम सड़कों की साफ-सफाई तो करती ही है, साथ ही स्ट्रीट लाइट का जिम्मा भी इसी के पास होता है. दिल्ली के पार्कों का रखरखाव का काम भी नगर निगम के पास होता है. तो यह सब अधिकारों का मालिक होता है दिल्ली नगर निगम का मेयर.