Election 2022: भारतीय नागरिक होने के बावजूद कब-कब मताधिकार से वंचित कर दिया जाता है
जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस रवींद्र भट और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की खंडपीठ ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 62(5) को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया, जो कैदियों को वोट देने से रोकता है.
देश में दो राज्यों के विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. हिमाचल में 12 नवंबर को वोटिंग है तो वहीं गुजरात में कब मत डाले जाएंगे इसको लेकर अभी चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान नहीं किया है. दोनों राज्यों के नतीजे आठ दिसंबर को घोषित किए जाएंगे.
इसी बीच चीफ जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस रवींद्र भट और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की खंडपीठ ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 62(5) को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया, जो कैदियों को वोट देने से रोकता है. अब ऐसे में आपके मन में भी सवाल उठा होगा कि आखिर भारत में वोट का अधिकार किसे है और किसे नहीं.
आइए, चुनाव से पहले ये जान लेते हैं कि भारतीय नागरिक होने के बावजूद कब-कब मताधिकार से वंचित कर दिया जाता है?
कौन वोट कर सकता है?
देश में सभी नागरिकों को, उनकी जाति, रंग, धर्म आदि के आधार पर बिना भेदभाव किए नागरिकता अधिनियम के तहत मतदान करने का अधिकार है. भारत के चुनाव आयोग के अनुसार, नागरिक निम्नलिखित शर्तों के तहत मतदाता बनने का पात्र हैं:
1-प्रत्येक नागरिक जो 18 वर्ष का हो
2-उस व्यक्ति का निवास स्थान पर ही वोटर के तौर पर नामांकन होगा.
3- वोटिंग का अधिकार एक जगह का ही होगा.
4-पासपोर्ट में दिए गए पते के आधार पर प्रवासी भारतीय को सामान्य रूप से निवासी माना जाता है और उनका वोटिंग अधिकार होता है.
कौन वोट नहीं कर सकते
1- जेल में बंद कैदी
देश में जितने कैदी हैं चाहे वो दोषी करार दिए गए हों या और विचाराधीन कैदी हो, चुनाव में मतदान नहीं कर सकते हैं. हालाँकि, इसमें एक अपवाद है. जिन लोगों को गुंडा अधिनियम, राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) और विदेशी मुद्रा संरक्षण और तस्करी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम के तहत हिरासत में लिया गया है, वे जेल से ही अपना वोट डाल सकते हैं. जेल में बंद व्यक्ति को एक बैलेट पेपर भेजा जाता है और वह अपना वोट वहीं से डाल सकता है. बैलेट पेपर को जेल विभाग द्वारा रिटर्निंग अधिकारियों को वापस भेज दिया जाता है.
भारत उन कुछ देशों में से एक है जो कैदियों को वोट देने की अनुमति नहीं देता है. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 62(5) के तहत, पुलिस की कानूनी हिरासत में और कारावास की सजा काटने वाले व्यक्ति मतदान नहीं कर सकते. इसके खिलाफ याचिकाएं दायर की गई हैं और कुछ कार्यकर्ता भारत में बंदियों को वोट देने का अधिकार दिलाने के लिए लड़ रहे हैं.
2-एनआरआई
मतदाता के रूप में पंजिकृत होने के लिए व्यक्ति को एक विशेष निर्वाचन क्षेत्र का निवासी होना जरूरी है. यही कारण है कि एनआरआई को मतदान प्रक्रिया में भाग लेने से प्रतिबंधित किया गया है. यदि एनआरआई भारत सरकार के अधीन कार्यरत एक भारतीय नागरिक है और वर्तमान में विदेशों में तैनात है, तो वह मतदाता के रूप में पंजीकृत हो सकता है. हालांकि, एनआरआई भारत से बाहर होने के कारण मतदाता के रूप में पंजीकरण करा सकते हैं. व्यक्ति को फॉर्म 6ए भरना होगा.
3-भ्रष्ट आचरण के दोषी पाए जाने वाले
इसके अलावा वे नागरिक जिन्हें कानून द्वारा भ्रष्ट आचरण या चुनाव से संबंधित किसी भी अवैध कार्य के कारण मतदाता बनने के हकदार सो वंचित कर दिया जाता है वो चुनाव में वोट नहीं कर सकते हैं.
मतदाता के रूप में पंजीकरण करने के लिए, आपको निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता होगी:
1-एक मतदाता पंजीकरण फॉर्म जिसे आपको भरना होगा
2-निवास के प्रमाण पत्र
3-उम्र और पहचान के प्रमाण की प्रति
4-दो हालिया पासपोर्ट साइज फोटो