नई दिल्ली : कल लोग लंबी-लंबी कतारों में खड़े होकर आने वाले पांच साल कैसे होंगे, इसकी रूपरेखा तय करेंगे और यह आपके वोट से तय होगा. 11 अप्रैल यानी अब से कुछ घंटे बाद 17वीं लोकसभा चुनने के लिए पहले चरण की वोटिंग होगी. पहले चरण में 20 राज्यों की 91 सीटों पर मतदान होना है. यह चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भी बेहद खास है. इस चुनाव का परिणाम केंद्र सरकार के बीते पांच साल के कामकाज पर मुहर होगा. राफेल और बेरोजगारी के मुद्दे पर आक्रामक विपक्ष पीएम मोदी के विजय रथ को रोकने के लिए हर संभव कोशिश में जुटा हुआ है. चुनाव का बिगुल बजते ही वादों का सुरीला संगीत शुरू हुआ, आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला चल पड़ा. अब जनता के फैसले का पहला दिन कल है.


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पांच साल पर मुहर
2019 के लोकसभा चुनाव के बाद अगर दोबारा केंद्र में मोदी सरकार बनती है तो ये पिछले पांच सालों के उनके कामकाज पर मुहर होगी. यदि बीजेपी दोबारा सत्ता में आती है तो मोदी सरकार नोटबंदी, जीएसटी पर विपक्ष के आरोपों पर जोरदार पलटवार करेगी. इसे जनता की मुहर बताया जाएगा. राफेल और बेरोजगारी का मुद्दा भी बेअसर माना जाएगा. यदि हार होती है तो विपक्ष हमले और तेज कर देगा.


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एनडीए के बीच सियासी असर


यदि बीजेपी सरकार फिर सत्ता में वापस आती है तो सहयोगियों पर जोरदार दबाव बनेगा. पीएम मोदी के नेतृत्व का लोहा सभी  सहयोगी दल मानेंगे. चुनाव बाद किसी भी तरह की सियासी मोलभाव करने से बचेंगे. बीजेपी की सहयोगी दलों पर निर्भरता नहीं रहेगी. अपनी अर्थनीति समेत तमाम मुद्दों पर बीजेपी कदम उठाने में झिझकेगी नहीं. यदि बीजेपी की सीटों की संख्या कम होती है तो सहयोगी दलों के नखरे सहने पड़ सकते हैं.


बता दें कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार जाने के बाद एनडीए के सहयोगी दलों ने बीजेपी पर दबाव बनाना शुरू कर दिया था. शिवसेना, पासवान की पार्टी एलजेपी, जेडीयू जैसे सहयोगी दलों ने बीजेपी से अपने हिस्से की सीटों के लिए दबाव बनाए रखा. अब चुनाव बाद भी इस दबाव का असर बीजेपी के सीटों की संख्या पर निर्भर करता है.


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मजबूत मोदी के सामने विपक्ष धराशाई


यदि एक बार फिर मोदी सरकार बनती है. तो पीएम मोदी का जादू पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच सिर चढ़कर बोलेगा. सिर्फ सत्ता पर ही नहीं संगठन पर भी मजबूत पकड़ होगी. विपक्ष धराशाई हो जाएगा. प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे के सामने विपक्ष की तमाम घेरेबंदी और गठजोड़ बेअसर साबित होगा. अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी मोदी की जीत के बाद उनकी छवि मजबूत होगी.


यदि इस लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी बीजेपी को अकेले बहुमत दिलाने में असफल हो जाते हैं तो पार्टी के भीतर ही पीएम पद के कई दावेदार सामने आ सकते हैं. सहयोगी दलों की तमाम शर्तें सामने आ सकती हैं. संगठन पर भी पीएम मोदी की पकड़ ढ़ीली पड़ सकती है.


केंद्र की जीत का राज्य पर असर


केंद्र की जीत के बाद पश्चिम बंगाल, ओडिशा जैसे तमाम राज्य जहां बीजेपी दूसरे या तीसरे नंबर पर मानी जाती है वहां उसकी दावेदारी मजबूत होगी. बीजेपी अपने पांव पसारेगी इस तरह एनडीए का कुनबा भी बढ़ेगा.


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मोदी ब्रैंड पर असर


'ब्रांड मोदी' बीजेपी का ब्रह्मास्त्र है, जो 2014 से लगातार विरोधियों को परास्त कर रहा है. बीजेपी इसी के सहारे 2019 में भी वापसी का सपना देख रही है. यदि बीजेपी की जीत होती है तो एक बार फिर 'ब्रांड मोदी' का जादू बरकरार माना जाएगा. यदि जीत होती है तो  बीजेपी जिस प्रकार से लगभग हर चुनाव में पीएम मोदी को चुनावी चेहरा बनाती रही है ऐसे में एक बार फिर से मोदी लहर को नकार पाना विपक्ष के लिए मुश्किल होगा. और वे तमाम मुद्दे जिनके सहारे विपक्ष पीएम मोदी पर आक्रामक रूख अख्तियार किया हुआ है उनका प्रभाव कम हो जाएगा. लेकिन यदि चुनाव में हार होती है तो सबसे बड़ा धक्का ब्रांड मोदी को ही लगेगा.