शिवसेना का 50-50 प्लान खटाई में, फडणवीस ने कहा- BJP सबसे बड़ी पार्टी इसलिए उसी के नेतृत्व में ही चलेगी सरकार
शिवसेना महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद की मांग कर रही है. इस बीच देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि जनादेश में बीजेपी, शिवसेना (और अन्य सहयोगियों) आरपीआई, आरएसपी और शिव संग्राम को स्पष्ट बहुमत मिला है.
मुंबई: महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद को लेकर शिवसेना-बीजेपी में तकरार जारी है. शिवसेना पांच साल के कार्यकाल में ढ़ाई साल के नेतृत्व की मांग पर अड़ी है. उद्धव ठाकरे ने शनिवार को दिन में अपने विधायकों के साथ बैठक की. इस दौरान विधायकों ने उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की. सूत्रों के मुताबिक, उद्धव ने भी 50-50 फॉर्मूले का जिक्र किया. साथ ही शिवसेना ने सत्ता में आधी हिस्सेदारी मिलने का आश्वासन लिखित में मांगा.
शिवसेना की बैठक के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जोर देकर कहा कि बीजेपी सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी है और “बीजेपी के नेतृत्व वाला गठबंधन” प्रदेश में स्थिर सरकार देगा. दिवाली के अवसर पर एकत्रित हुए पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए फडणवीस ने कहा, ''सरकार बनाने की प्रक्रिया दिवाली के बाद शुरू होगी.''
फडणवीस ने कहा, “जनादेश में बीजेपी, शिवसेना (और अन्य सहयोगियों) आरपीआई, आरएसपी और शिव संग्राम को स्पष्ट बहुमत मिला है. इस जनादेश का सम्मान किया जाएगा इसमें किसी को शंका नहीं होनी चाहिए.” उन्होंने कहा, “जनादेश के मुताबिक बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है. हम दिवाली के बाद विधायक दल का नेता चुनेंगे और उसके बाद जल्द ही नई सरकार का गठन होगा. बीजेपी के नेतृत्व वाला गठबंधन मजबूत और स्थिर सरकार देगा.”
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि बीजेपी का स्ट्राइक रेट 2014 से बेहतर रहा है. उन्होंने कहा कि बीजेपी ने 2014 में 260 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिसमें से 47 प्रतिशत सीटें जीती थीं और कुल मतों का 28 प्रतिशत प्राप्त किया था जबकि 2019 में भाजपा ने 150 सीटों पर चुनाव लड़ा जिसमें से 70 प्रतिशत सीटें जीतीं और 26 प्रतिशत मत प्राप्त किया.
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बता दें कि चुनाव में बीजेपी ने 105 सीटों पर जीत दर्ज की है जबकि शिवसेना के 56 उम्मीदवारों ने जीत का परचम लहराया. एनसीपी के 54 जबकि कांग्रेस के 44 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है. राज्य में विधानसभा की 288 सीट हैं. बीजेपी को 2014 की तुलना में इस चुनाव में 17 सीटों का नुकसान हुआ है और उसकी सीटों की संख्या 122 (साल 2014) से घट कर 105 पर आ गई है.
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक बीजेपी के खराब प्रदर्शन ने शिवसेना की सौदेबाजी करने की ताकत बढ़ा दी है. हालांकि, शिवसेना की सीटों की संख्या भी 2014 में 63 की तुलना में घट कर 56 पर आ गई हैं.