नई दिल्लीः चुनाव आयोग ने शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को उसके द्वारा दिये गए नोटिस का जवाब देने के लिए सात मई तक का समय दे दिया. राहुल गांधी को उनकी इस टिप्पणी के लिए चुनाव आयोग ने नोटिस भेजा था कि नरेंद्र मोदी सरकार ने नये कानून को लागू किया है जो आदिवासियों को गोली मारने की अनुमति देता है.


राहुल गांधी ने पिछले दिनों मध्य प्रदेश के शहडोल में कहा था कि नरेंद्र मोदी सरकार ने एक नया कानून बनाया है जिसके तहत आदिवासियों को गोली मारी जा सकती है. इसी बयान को लेकर चुनाव आयोग ने उन्हें 1 मई को नोटिस जारी किया था. उन्हें नोटिस का जवाब देने के लिए 48 घंटे का समय दिया गया था जिसकी समयावधि शुक्रवार शाम को पूरी हो गई. इस पर राहुल गांधी ने जवाब के लिए सात मई तक का समय मांगा था जो आज उन्हें मिल गया है.






मध्य प्रदेश के शहडोल में 23 अप्रैल को उनके भाषण का हवाला देते हुए आयोग ने एक मई को गांधी को कारण बताओ नोटिस जारी करके आचार संहिता के उस प्रावधान पर प्रकाश डाला था जो राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ ‘‘बिना सत्यापन’’ के आरोपों पर पाबंदी लगाता है.


राहुल गांधी ने पिछले दिनों कहा था कि नरेंद्र मोदी सरकार ने एक नया कानून बनाया है जिसके तहत आदिवासियों को गोली मारी जा सकती है. राहुल गांधी ने 23 अप्रैल को कहा था, ''अब नरेंद्र मोदी ने एक कानून बनाया है. आदिवासियों के लिए एक नया कानून बनाया गया है, जिसमें एक पंक्ति लिखी हुई है कि अब आदिवासियों पर हमले किए जाएंगे, आपकी जमीन ली जएगी. आपका वन लिया जाएगा, आपका पानी छीना जाएगा.''


इस बयान की बीजेपी के दो कार्यकर्ताओं ने आयोग से शिकायत की थी जिसके बाद मध्य प्रदेश के चुनाव अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी गई. चुनाव आयोग ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने मध्यप्रदेश के शहडोल में 23 अप्रैल को एक जनसभा को संबोधित करते हुए एक बयान दिया था, जिससे राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों के लिए दिशानिर्देश के लिए आदर्श आचार संहिता के भाग (1) के अनुच्छेद (2) के तहत आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन हुआ है.


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