ED Powers During Election: राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं. ऐसे समय में विपक्षी कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि केंद्र की बीजेपी सरकार के इशारे पर केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) विपक्षी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई कर रही हैं. इन पार्टियों ने केंद्रीय एजेंसियों पर लगाम लगाने की मांग चुनाव आयोग से की है.
नियम है कि चुनाव के समय वैधानिक शक्तियां चुनाव आयोग के हाथों में होती हैं. क्या आयोग केंद्रीय एजेंसियों को कार्रवाई से रोक सकता है? चलिए इस बारे में हम आपको यहां विस्तार से बताते हैं.
ईडी को कार्रवाई से नहीं रोक सकता चुनाव आयोग
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट की मानें तो विशेषज्ञों का मानना है कि चुनाव आयोग केंद्रीय एजेंसियों को संवैधानिक रीति के मुताबिक काम करने से नहीं रोक सकता. एक कानूनी विशेषज्ञ ने कहा कि खुफिया जानकारी जुटाना, जांच सुराग, तलाशी और जब्ती, एफआईआर दर्ज करना और गिरफ्तारियां आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम जैसे क्रिमिनल कोड द्वारा निर्देशित हैं. इन्हें किसी भी सूरत में नहीं रोका जा सकता.
चुनाव आयोग के पास है संवैधानिक शक्तियां
एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि चुनाव आयोग को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के हित में निर्देश जारी करने के लिए अनुच्छेद 324 के तहत शक्तियां मिली हैं. हालांकि ये शक्तियां एजेंसियों द्वारा की गई कार्रवाइयों को रोक नहीं सकतीं.
इन कार्रवाइयों पर रोक अथवा बदलने का एकमात्र अधिकार न्यायालय के पास है. निचली अदालत से या सीधे हाई कोर्ट से रिट या सीआरपीसी की धारा 482 के तहत 'पूर्वाग्रह' के आधार पर एफआईआर को रद्द करने की मांग की जा सकती है. इसके अलावा दूसरी कोई एजेंसी नहीं रोक सकती हैं.
कांग्रेस ने की है मांग
आपको बता दें कि कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को चुनावी राज्यों में ईडी की लगातार छापेमारी पर रोक लगाने की मांग चुनाव आयोग से की है. महादेव ऐप मामले में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ ईडी कार्रवाई कर रही है. कांग्रेस का कहना है कि राजनीतिक दबाव के चलते चुनाव के बीच इस तरीके से ये सब किया जा रहा है.
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