हिमाचल प्रदेश की 68 विधानसभा सीटों पर काउंटिंग जारी है. लंबे चुनाव अभियान और मतदान के बाद इस राज्य की कमान किसके हाथ में होगी आज इसकी तस्वीर दोपहर तक साफ हो सकती है. अब तक के रुझानों को देखें तो कांग्रेस और बीजेपी में कांटे की टक्कर है. एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी 32 सीटों पर आगे चल रही है तो वहीं दूसरी तरफ भी कांग्रस भी 31 सीटों पर है. जबकि निर्दलीय और अन्य उम्मीदवार 4 सीटों पर आगे चल रहे हैं.
अब तक जो नतीजे सामने आ रहे हैं उससे ये संभावना जताई जा रही है कि इस बार हिमाचल में कांग्रेस या बीजेपी के किस्मत का फैसला आज 4 सीटों पर आगे चल रहे निर्दलीय उम्मीदवार के हाथ में हो सकता है. अगर ऐसा होता है और बीजेपी निर्दलीय उम्मीदवार के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने में कामयाब होती है तो प्रदेश में 37 साल पुरानी परंपरा टूट जाएगी और ये चुनाव परिणाम प्रदेश की इतिहास में दर्ज किया जाएगा.
दरअसल हिमाचल प्रदेश में साल 1985 के बाद से कोई पार्टी अपनी सरकार 5 साल से ज्यादा चलाने में कामयाब नहीं हो पाई है. इस बार के नतीजों को देखे तो भाजपा और कांग्रेस एक दूसरे को कांटे का टक्कर दे रही है. जिसे देखते हुए अब सबकी नजर इसी बात पर टिकी हुई है कि क्या हिमाचल का ये ट्रेंड बदलने वाला है. क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकप्रियता के सहारे बीजेपी उस रिवाज तोड़ने में कामयाब हो पाएगी जो पिछले 37 साल से कायम है.
37 साल में कोई पार्टी दोबारा नहीं कर पाई वापसी
हिमाचल प्रदेश में विधानसभा की कुल 68 सीटें हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने वहां जीत दर्ज की थी. पिछले कुछ दशकों में इस पहाड़ी राज्य में सत्ताधारी पार्टी का फिर से सत्ता में लौटने में विफल रहने का इतिहास रहा है. हिमाचल में 55,07,261 योग्य मतदाता हैं. इनमें 27,80,208 पुरुष और 27,27,016 महिला मतदाता हैं. इनमें से 1,86,681 मतदाता ऐसे हैं जो पहली बार मतदान करेंगे. ये सभी 18 से 19 वर्ष के आयु वर्ग के हैं. मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि 100 साल से अधिक उम्र के मतदाताओं की संख्या 1,184 है जबकि 80 साल से अधिक उम्र के मतदाताओं की संख्या 1.22 लाख के करीब है.