Elections 2022: उत्तर प्रदेश समेत 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान हो चुका है. टिकट बंट चुके हैं और जनता को लुभावने वादे भी विभिन्न पार्टियों और दलों ने कर दिए हैं. लेकिन इसी के साथ वही होने लगा, जो अकसर हर चुनाव से पहले होता है. बात हो रही है दलबदल की. चुनाव की आहट आते ही अवसरवाद की राजनीति फिर दिखने लगी है और विचारधारा गौण हो गई है. सिर्फ यूपी ही नहीं, उत्तराखंड और पंजाब की राजनीति में भी दलबदल खूब देखा जा रहा है. आइए आपको बताते हैं कौन-कौन हैं उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड की राजनीति के आया राम गया राम.
उत्तर प्रदेश के दलबदलू
दारा सिंह चौहान: प्रदेश की सरकार में वन मंत्री और मऊ की मधुबन सीट से विधायक दारा सिंह चौहान हाल ही में बीजेपी छोड़ सपा की साइकिल पर सवार हुए हैं. वह बसपा सरकार में सांसद भी रहे हैं.
स्वामी प्रसाद मौर्य: योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी सपा का दामन थामा है. वह कुशीनगर की पडरौना विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. वह पडरौना से साल 2009 के उपचुनावों में बसपा से विधायक चुने गए. 2012 में बसपा से ही विजय हासिल की. इसके बाद 2017 में बीजेपी प्रत्याशी के रूप में जीते. उनकी बेटी संघमित्रा बदायूं से बीजेपी सांसद हैं.
प्रमोद गुप्ता: सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के साढ़ू हैं. 2007 में सपा से टिकट नहीं मिलने के कारण निर्दलीय चुनाव लड़कर जीते. 2012 में सपा से लड़ने का मौका मिला और विधायक बने. हाल ही में बीजेपी का दामन थामा है.
विनय शंकर तिवारी: हाल ही में बसपा छोड़ सपा में गए हैं. गोरखपुर की चिल्लूपार सीट से विधायक हैं. वह सपा के टिकट से फिर चिल्लूपार से लड़ सकते हैं. वह पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी के छोटे बेटे हैं.
ललितेशपति त्रिपाठी: मिर्जापुर के मड़िहान से कांग्रेस के पूर्व विधायक और पूर्व सीएम दिवंगत कमलापति त्रिपाठी के प्रपौत्र तृणमूल कांगेस में शामिल हो गए हैं. उनके मड़िहान सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की चर्चा है.
धर्म सिंह सैनी: सहारनपुर की नकुड़ विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक और प्रदेश सरकार में मंत्री रहे धर्म सिंह सैनी सपा में शामिल हो गए हैं. वह 2002, 2007, 2012 में बसपा के टिकट पर नकुड़ से विधायक रहे. 2007 में वह बसपा सरकार में मंत्री भी रहे हैं. 2017 में भाजपा के टिकट पर विधायक बने थे.
अवतार सिंह भड़ाना: बीजेपी के टिकट से 2017 में मीरापुर से विधायक बने थे. अब रालोद जॉइन की है. सपा गठबंधन ने जेवर से प्रत्याशी बनाया है.
रामवीर उपाध्याय: हाथरस की सादाबाद सीट से बसपा विधायक थे. अब बीजेपी शामिल हो गए हैं और टिकट भी मिल गया है.
मसूद अख्तर: सहारनपुर देहात से कांग्रेस विधायक मसूद अख्तर अब सपा की साइकिल पर सवार हो गए हैं.
अब बात पंजाब की राजनीति के दलबदलुओं की
राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी: कांग्रेस में चार साल तक कैबिनेट मंत्री रहे. अब बीजेपी का दामन थामा है. कैप्टन अमरिंदर सिंह के करीबी हैं.
हरजोत कमल: 2017 में मोगा से चुनाव लड़े. सिद्धू के काफी करीबी माने जाते हैं. लेकिन कांग्रेस ने मालविका सूद को मोगा से टिकट दिया तो बीजेपी का साथ पकड़ लिया.
अमनदीप सिंह आशु बांगड़: आप ने फिरोजपुर देहाती से टिकट दिया था लेकिन उन्होंने कांग्रेस का हाथ थाम लिया. कांग्रेस ने भी फिरोजपुर देहाती से ही टिकट दिया है.
फतेहजंग बाजवा: कादियां से विधायक हैं. अमरिंदर के करीबी हैं. कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा के सगे भाई हैं. फतेहजंग अब बीजेपी के साथ हो गए हैं.
अब आते हैं उत्तराखंड पर...
हरकसिंह रावत: बीजेपी सरकार के बर्खास्त करने के बाद हरक सिंह रावत फिर कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. हरक सिंह रावत उन 9 विधायकों में शामिल थे, जिन्होंने साल 2016 में हरीश रावत की सरकार को पाला बदलकर खतरे में डाल दिया था.
यशपाल आर्य और संजीव आर्य: अक्टूबर में बीजेपी नेता यशपाल आर्य और उनके विधायक बेटे संजीव आर्य ने कांग्रेस जॉइन कर ली थी. 2017 में कांग्रेस से नाराज होकर बीजेपी में आए थे.
राजकुमार: पुरोला से कांग्रेस विधायक राजकुमार बीजेपी में शामिल हुए हैं. 2007 में वह बीजेपी में थे. 2012 में निर्दलीय लड़े और 2017 में कांग्रेस में शामिल हो गए थे.