EVM में 10 साल तक नतीजे सुरक्षित रहते हैं, जानिए- इसकी हर एक बड़ी खूबी
लोकसभा चुनाव 2019: ईवीएम मशीन के जरिए 2004 में पहली बार चुनाव हुए थे. लेकिन पिछले कुछ सालों में नतीजों के बाद ईवीएम को लेकर कई पार्टियों ने सवाल उठाए हैं.
लोकसभा चुनाव 2019: चुनाव आयोग ने 2019 में होने वाले 17वें लोकसभा चुनाव के लिए तारीखों का एलान कर दिया है. चुनाव आयोग ने इस बार मतदान की प्रक्रिया में थोड़ा बदलाव करते हुए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के साथ वोट वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रायल (vvpat) मशीन भी लगाने का फैसला किया है. ईवीएम को लेकर लगातार उठ रहे सवालों के बाद चुनाव आयोग ने इस बदलाव का फैसला किया है.
ईवीएम का सफर
चुनाव आयोग का ये कदम 1951-52 में हुए पहले आम चुनाव से लेकर 2019 के चुनावी सफर में मतदान की प्रक्रिया में तीसरा बड़ा बदलाव बदलाव है. 1951-52 से लेकर 1999 में हुए लोकसभा चुनाव बैलेट पेपर से ही करवाए गए थे. लेकिन गिनती की प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने के लिए चुनाव आयोग ने 2004 के लोकसभा चुनाव ईवीएम से करवाने का फैसला किया.
हालांकि इससे पहले ईवीएम ने एक दिलचस्प सफर तय किया है. ईवीएम मशीन 1982 में ही आ चुकी थी. लेकिन भारत के लोकतंत्र में ईवीएम से चुनाव करवाने का प्रावधान नहीं था. इसके बाद जनप्रतिनिधित्व कानून में संशोधन के जरिए ईवीएम मशीन से चुनाव करवाने की बात जोड़ी गई.
2004 के बाद से देशभर में लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव ईवीएम मशीनों के जरिए ही हुए हैं. लेकिन पिछले कुछ सालों में ईवीएम को लेकर विपक्षी पार्टियों ने कई बार आपत्ति दर्ज करवाई. इसी को देखते हुए चुनाव आयोग ने इस बार ईवीएम के साथ वीवीपैट मशीन लगाने का फैसला किया है.
ईवीएम के बारे में
बात अगर ईवीएम की करें तो इसे इस तरह से बनाया गया है कि बिना पढ़े-लिखे वोटर भी चुनाव चिह्न के आगे लगे बटन को दबा कर वोट डाल सकें. साथ ही इस बार ईवीएम पर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार की फोटो भी लगी होगी. हर ईवीएम के अंदर एक छह वोल्ट की अल्कलाइन बैटरी होती है जो बिजली न होने पर भी मशीन को चालू रखती है.
एक ईवीएम अधिकतम 3840 वोट दर्ज कर सकती है. वहीं किसी भी पोलिंग बूथ पर 1500 से अधिक वोटर नहीं होते. ईवीएम पर अधिकतम 64 प्रत्याशी दर्ज किए जा सकते हैं. अगर किसी लोकसभा क्षेत्र में 64 से ज़्यादा प्रत्याशी होने पर चुनाव आयोग काग़ज़ के बैलट का इस्तेमाल करने के लिए बाध्य है.
पहली बार हर ईवीएम में अंतिम बटन 'नोटा' या 'ऊपर दिए नामों में से कोई नहीं' ही होगा. ईवीएम के अंदर 10 सालों तक परिणामों को सुरक्षित रखा जा सकता है. अब ईवीएम के साथ वीवीपैट मशीन जोड़ने के वोटिंग के बाद कागज की पर्ची भी निकलेगी.
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