हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019: विधानसभा चुनाव में गुटबाजी से जूझ रही मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. पूर्व मंत्री और 6 बार विधायक रहे संपत्त सिंह ने कांग्रेस पार्टी छोड़ने का फैसला किया है. संपत्त सिंह नलवा विधानसभा सीट से टिकट नहीं मिलने की वजह से पार्टी से नाराज चल रहे थे. संपत्त सिंह ने टिकट नहीं मिलने का ठिकरा कुलदीप बिश्नोई के सिर फोड़ा है.


कांग्रेस छोड़ने के बाद संपत्त सिंह ने कहा, ''मैं टिकट नहीं मिलने की वजह से काफी दुखी हूं, इसलिए मैंने पार्टी से अलग होने का फैसला किया है.'' देवीलाल और ओमप्रकाश चौटाला की सरकार में मंत्री रहे संपत्त सिंह ने कांग्रेस में सम्मान नहीं मिलने का आरोप भी लगाया. नलवा से कांग्रेस ने कुलदीप बिश्नोई के नजदीकि रणधीर पनीहार को टिकट दिया है.


पुरानी है कुलदीप-संपत्त की लड़ाई


संपत्त सिंह ने कुलदीप बिश्नोई को टिकट ना मिलने के लिए जिम्मेदार ठहराया है. नलवा से टिकट चाहने वाले संपत्त सिंह ने कहा कि हिसार जिले के टिकट बंटवारे में हुड्डा की कोई भूमिका नहीं थी. 30 साल तक देवीलाल परिवार के करीबी रहे संपत्त सिंह 2009 में कांग्रेस में शामिल हुए थे और उन्हें पार्टी ने नलवा से उम्मीदवार बनया था. 2009 में नलवा से विधायक बनने वाले संपत्त सिंह को 2014 में हार का सामना करना पड़ा था.


संपत्त सिंह और कुलदीप बिश्नोई के बीच टकराव काफी पुराना है. 2009 में संपत्त सिंह के खिलाफ कुलदीप बिश्नोई ने अपनी मां जसमा देवी को उनके खिलाफ मैदान में उतारा था. हालांकि संपत्त सिंह उस समय बाजी मारने में कामयाब हुए. 2014 में नलवा सीट पर संपत्त सिंह, चंद्रमोहन और रणबीर सिंह गंगवा के बीच टक्कर थी. 2014 में संपत्त सिंह और पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन दोनों को हार का सामना करना पड़ा.


पार्टी छोड़ने के बाद संपत्त सिंह ने आदमपुर सीट पर कुलदीप बिश्नोई के खिलाफ प्रचार करने का फैसला किया है. आदमपुर से बीजेपी उम्मीदवार सोनाली फोगाट संपत्त सिंह से समर्थन मांगने भी पहुंची थी. बता दें कि हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए 21 अक्टूबर को वोटिंग होनी है.


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