पीलीभीत: लोकसभा चुनाव के नजदीक आते ही देशभर में राजनैतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. सत्ता के इस महासमर में एक बार फिर से गांधी परिवार चर्चा के केंद्र में है. कांग्रेस ने इस बार बड़ा दाव चलते हुए प्रियंका गांधी को भी चुनावी मैदान में उतार दिया. राहुल और प्रियंका को लेकर चल हो रही चर्चा के बीच गांधी परिवार के एक और महत्वपूर्ण सदस्य वरुण गांधी ने सात साल बाद किसी टीवी चैनल को इंटरव्यू दिया. एबीपी न्यूज़ को दिए इस खास इंटरव्यू में वरुण ने कांग्रेस में जाने की खबरों से लेकर राहुल और प्रियंका गांधी तक पर खुलकर चर्चा की. इस एक्सक्लूसिव चर्चा में वरुण गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी से अपने संबंध, बीजेपी में अपनी स्थिति, कांग्रेस में जाने लेकर उठी खबरें और राहुल गांधी-प्रियंका गांधी सभी मुद्दों से जुड़े सवालों के जवाब दिए...यहां पढ़ें एबीपी न्यूज़ संवाददाता आशीष कुमार सिंह से वरुण गांधी की खास बातचीत.
सवाल:- अचानक कैसे बदल गई सीट, गठबंधन से मुकाबला कैसे करेंगे?
वरुण गांधी:- जब आप एक दल में होते हैं तो कई सारे निर्णय आपको नेतृत्व पर छोड़ने होते हैं. मुझसे कहा गया कि आप वहां से नहीं यहां से लड़िए तो मैं आ गया . सच बात तो ये है कि वो (सुल्तानपुर) भी घर है और ये (पीलीभीत) भी घर है. एक चीज होती है समीकरण की राजनीति और एक होती है आशावादी राजनीति, मैं आशावादी राजनीति का पूरक हूं. मैं ये सोचता हूं कि समाज का अंतिम व्यक्ति अपने बच्चों के लिए उज्वल भविष्य की कामना करता है और आपको उसके लिए रास्ता मानता है. यहां के बहुत से वोट जो महागठबंधन का हिस्सा माने जाते हैं, हमें अपेक्षा है कि वो हमारा साथ देंगे, हमें आशीर्वाद देंगे.
सवाल:- क्या वरुण गांधी एक बार फिर हिंदू-मुस्लिम के ढर्रे पर चलेंगे?
वरुण गांधी:- हेट स्पीच के जो भी हेट स्पीच के जो भी केस मेरे पर लगे वो मैंने जीते. ना सिर्फ जीते बल्कि उत्तर प्रदेश शासन को मुझसे औपचारिक रूप से माफी मांगनी पड़ी. मेरी सौम्यता है कि मैंने उसको कभी मुद्दा नहीं बनाया. मैं एक हिंदू हूं, मैं अपने दिन की शुरुआत हनुमान चालीसा से करता हूं लेकिन मेरे धर्म का मेरी राजनीति से कोई लेना देना नहीं है. राजनीति मुद्दों और देश के विकास के ढांचे को स्थापित करने के लिए है.
सवाल:- आप सात साल तक थे कहां, क्या कर रहे थे?
वरुण गांधी:- मैंने दो किताबें लिखीं हैं, मैंने किसानों के लिए काम किया, बहुत बड़ा किसान आंदोलन चलाया. 26 करोड़ रुपये उन किसानों के लिए इकट्ठे किए जो आत्महत्या की कगार पर हैं. मैंने ये सोचा कि जब आपके पास कुछ बोलने के लिए हो तभी बोलना चाहिए. एक समय होता है जब आदमी को लगता है कि मैं अपना काम करूं, इज्जत कमाऊं और अपने अंदर गंभीरता लाऊं. मैं उन लोगों को बहुत गंभीरता से नहीं लेता जो एक हफ्ते में चार इंटरव्यू करते हैं.
सवाल:- प्रधानमंत्री से आपकी क्या दूरियां थीं?
वरुण गांधी:- प्रधानमंत्री हों, राष्ट्रीय अध्यक्ष हों या पूरी पार्टी हो, ये एक सच्चाई है कि मेरा और मेरी मां का मान सम्मान हमेशा पूरा रखा गया है. हर समय आप प्रमुख भूमिका में हों, ये संभव नहीं. लेकिन पिछले पांच साल मेरी मां मंत्री रहीं, मैं सांसद रहा और शायद मैं गलत नहीं हूं तो बीजेपी में एक ही परिवार है जिसके दो लोगों को चुनाव लड़ाया जा रहा है. मैं जितनी बार प्रधानमंत्री से मिला मैंने ना सिर्फ उन्हें एक अच्छा नेता पाया बल्कि एक अच्छा इंसान भी पाया. प्रधानमंत्री बहुत नर्म ह्रदय के हैं. जब जब मेरे जीवन में कोई संकट आया वो मेरे साथ पिता की तरह खड़े रहे. जब मेरी पहली बेटी का देहांत हुआ, मैं बहुत टूट गया था. उस समय सबसे पहला फोन उनका (प्रधानमंत्री) का ही आया था. उन्होंने कहा कि देखो भगवान परीक्षा लेता है, भगवान ने एक देवी ली है तो एक देवी देगा भी. दो साल बाद मेरी बेटी अनुसुइया पैदा हुई. मेरे मन में उनके प्रति बहुत सम्मान है.
सवाल:- आप कभी कांग्रेस में शामिल नहीं होंगे?
वरुण गांधी:- इसका सवाल ही नहीं उठता, करीब दस लाख लोग कह चुके हैं कि मैं कांग्रेस में शामिल हो रहा हूं. जबकि मेरा स्वभाव एक नाव पर सवार होने वाला है. मैं बीजेपी में 15 साल पहले आया, जिस दिन मुझे बीजेपी छोड़नी होगी मैं सार्वजनिक जीवन से संन्यास ले लूंगा.
सवाल:- राष्ट्रीय अध्यक्ष (अमित शाह) के साथ संबंध कैसा है?
वरुण गांधी:- सम्मानजनक...ये लोग आयु में मुझसे बहुत बड़े हैं, इसलिए मेरे इनके संबंध मित्रवत नहीं हो सकते. ऐसे हो सकते हैं जैसे छोटों के बड़ों के साथ होते हैं. मेरी मां मंत्री रहीं, मैं दो बार सांसद रहा, तीसरी बार बनने जा रहा हूं. मेरी मां आठवीं या नौवीं बार सांसद बनने जा रही हैं. पार्टी ने हमें मौका दिया, हमें टिकट दिया सम्मान दिया. ये अपेक्षा कोई करे कि हर दम कोई आपके परिवार का उच्च पद पर रहेगा तो ये पार्टी के साथ नाइंसाफी होगी.
सवाल:-प्रधानमंत्री से आपकी आखिरी बार मुलाकात कब और कैसे हुई?
वरुण गांधी:- ये सारी बातें नहीं बोलनी चाहिए क्योंकि थोड़ी अशिष्टता होगी लेकिन टिकट मिलने के बाद मैंने उनका आशीर्वाद लिया. राष्ट्रीय अध्यक्ष का भी, नितिन जी का भी, सुषमा जी का भी और जो भी शीर्ष नेता हैं उन सभी का आशीर्वाद मिला.
सवाल:-मोदी स्टाइल ऑफ फंक्शनिंग पर सवाल उठते हैं, कहा जाता है सांसदों पर भी दबाव रहता है, ये कहां तक सही है?
वरुण गांधी:- ऐसा नहीं है...जो एक पिता होता है वो अपने बच्चों के लिए अच्छा चाहता है वो मार्गदर्शक भी होता है और रक्षक भी होता है. वो हमेशा चाहता है कि घर में सब सही हो, उसको आप दबाव मानें तो गलत है. आपको साफ साफ बताता हूं, जब से मोदी जी चुनाव लड़ें हैं हम लोग चुनाव जीते हैं. अगर हम ये सोचें कि हमारी बहुत बड़ी ताकत है, इसलिए हम यहां हैं तो ये गलत होगा.
सवाल:-कांग्रेस पार्टी की ओर से आपके संबंध साधा गया था?
वरुण गांधी:- ये 100 प्रतिशत झूठ है, मेरी इस परिवार में एक ही गुरू हैं और हैं मेरी मां. जो 23 साल की उम्र में विधवा हो गईं, जिन्होंने आजीवन मेरे लिए संघर्ष किया. मैं अपनी गर्दन काट लूंगा लेकिन अपनी मां के आत्म सम्मान में कोई कमी नहीं आने दूंगा. इस परिवार के साथ मेरे औपचारिक रिश्ते रहे हैं, पारिवारिक नहीं रहे. आप ये बताइए क्या मेरी कभी रुचि थी, मीडिया में ये हलचल थी कि वरुण गांधी शांत है तो शांत क्यों है. लेकिन किसी ने जानने की कोशिश नहीं की. मैं बहुत संतुष्ट हूं और नेतृत्व पर पूरा भरोसा है, मेरे साथ न्याय हुआ और आगे भी न्याय होगा.
सवाल:-क्या यूपी चुनाव के वक्त कांग्रेस ने सीएम फेस बनाने के लिए आपसे संपर्क किया ?
वरुण गांधी:- मैं जिस दिन बीजेपी को छोड़ने का निर्णय करूंगा उस दिन बोरिया बिस्तर बांध कर चला जाऊंगा. आज जो मेरे पास वो मेरे माता पिता के सम्मान की वजह से है. इस वक्त मेरे पास गुरू, मां और पिता सबके रूप में मेरी मां हैं. 2014 में मैंने अमित शाह जी से कहा कि मैं लिखाई-पढ़ाई का काम करना चाहता हूं, तीन किताबें लिखना चाहता हूं, उन्होंने कहा कि ठीक है.
सवाल:-प्रियंका गांधी के आपसे संबंध कैसे हैं?
वरुण गांधी:- मेरे संबंध औपचारिक हैं, कभी हमारे परिवार में या उनके परिवार में कोई दुखद घटना हुई तो...ये भी ना हो तो बचपना है. इससे एक कदम आगे बढ़कर कुछ भी नहीं है. दुश्मनी की कोई गुंजाइश नहीं है.
सवाल:-कांग्रेस अध्यक्ष कहते हैं कि चौकीदार चोर हैं, वो झूठ बोलते हैं?
वरुण गांधी:- ये गलत बात है, ऐसे नहीं बोलना चाहिए. प्रधानमंत्री इस वक्त देश लोकप्रियता, कद और गंभीरता में पहले नंबर पर हैं. आज मोदी जी हैं बीस साल बाद कोई और होगा लेकिन किसी भी प्रधानमंत्री के बारे में आप ये कहें कि चोर हैं तो ये गलत हैं.
सवाल:-राहुल गांधी में मोदी जी मुकाबले देश को नेतृत्व करने की क्षमता है?
वरुण गांधी:- नहीं...मुझे ऐसा लगता है कि जो खाली जगह है वो मोदी जी और बीजेपी से भरी हुई है. कांग्रेस 72000 रुपये देने की बात करती है लेकिन उसके लिए सोशल जस्टिस की सारी योजनाएं खत्म कर देंगे. मैं आपको सोने की चैन दूं लेकिन सारे कपड़े आपके ले लूं तो आप उसका करेंगे क्या. देश में पैसा तो इतना ही है, या तो आप नोट छापने की मशीन लगा दें, लेकिन उससे महंगाई बढ़ जाएगी?
सवाल:- सपा-बसपा गठबंधन के सामने इस बीजेपी की क्या स्थिति होगी?
वरुण गांधी:- बीजेपी इस बार बहुत तगड़ा लड़ेगी इस बार, मैं कोई ज्योतिष नहीं हूं लेकिन बीजेपी इस बार देशभर से स्पष्ट बहुत से आएंगे.
सवाल: बीजेपी में वरिष्ठ नेताओं को जानबूझ कर दरकिनार किया गया?
वरुण गांधी:- मुझे नहीं लगता... नाना जी देशमुख ने हम लोगों के लिए बहुत बड़ा मार्ग बनाया, राजनीति से संन्यास लेते हुए कहा कि अब सामाजिक जीवन के लिए काम करूंगा. एक आयु होती है जिसमें सक्रिय राजनीति की कुछ जरूरतें होती हैं. मैं अपना उदाहरण ही देता हूं, मैं 39 साल का हूं. मेरी एनर्जी लेवल अब वो नहीं है जो 29 साल की उम्र में था. जब मैं 69 का होऊंगा तो फिर एनर्जी लेवल कम हो जाएगा. सक्रिया राजनीति की जरूरत बहुत उग्र हैं.
सवाल: प्रियंका गांधी के आने का कोई अगर होगा?
वरुण गांधी:- जहां संगठनात्मक ढांचा ना हो...जहां पार्टी के प्रति समाज के अंतिम व्यक्ति की निष्ठा ना हो. मुझे नहीं लगता एक व्यक्ति बहुत ज्यादा बदलाव ला पाएगा.
यहां देखें वरुण गांधी का पूरा इंटरव्यू