नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी को जिम्मेदारी मिलने के बाद भी क्या कांग्रेस सिर्फ वोटकटवा पार्टी बनकर रह गई? यह सवाल एग्जिट पोल के नतीजों के बाद विमर्श में आ चुका है. कल आखिरी चरण के मतदान के ठीक बाद आए एग्जिट पोल में दावा किया गया है कि कांग्रेस 2014 की तरह ही अमेठी और रायबरेली की दो सीटें जीत पाएगी. जो पिछले कई चुनावों से कांग्रेस समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की मदद से जीतती आ रही है.
ज्यादातर एग्जिट पोल के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अमेठी से और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी रायबरेली से जीत दर्ज करेंगी. एबीपी न्यूज़-नीलसन के मुताबिक, 80 सीटों में एनडीए 33, महागठबंधन 45 और कांग्रेस दो सीटों पर जीत दर्ज कर सकती है.
कांग्रेस ने एग्जिट पोल के आंकड़ों को मनोरंजन का साधन करार दिया है और कहा है कि अमेठी और रायबरेली ही नहीं उत्तर प्रदेश में दहाई के आंकड़ों को कांग्रेस छूएगी. लोकसभा चुनाव के लिए 23 मई को नतीजों की घोषणा की जाएगी.
अगर एग्जिट पोल के मुताबिक ही नतीजे रहे तो यह कांग्रेस के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है. दरअसल, 10 मार्च को लोकसभा चुनाव की घोषणा से करीब दो महीने पहले 23 जनवरी को राहुल गांधी ने बहन प्रियंका गांधी का राजनीतिक में पदार्पण कराया था. उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी दी थी. इससे पहले प्रियंका अमेठी और रायबरेली में केवल भाई और मां के लिए प्रचार का जिम्मा संभालती थी.
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प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी मिलने के बाद संगठन में एक नया जोश आया. लखनऊ में उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मैराथन बैठकें की. उसके बाद दर्जनों छोटी-छोटी सभाएं, रोड शो किए. यही नहीं प्रियंका ने गोरखपुर से लखनऊ तक प्रियंका ने वोट यात्रा निकाली. विरोधी दलों के नेताओं को कांग्रेस में शामिल करवाए और उन्हें टिकट दिया. लेकिन एग्जिट पोल के नतीजे बताते हैं कि कांग्रेस को सीटों का फायदा नहीं मिल रहा है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस के वोट प्रतिशत में जरूर इजाफा होगा.
ध्यान रहे कि चुनावी चहल-पहल के बीच प्रियंका गांधी ने कहा था कि हमारी लड़ाई बीजेपी से है और हमने कई सीटों पर ऐसे उम्मीदवार दिये हैं जो बीजेपी के वोट काटेंगे. हम गठबंधन प्रत्याशी का वोट नहीं काट रहे हैं. हालांकि प्रियंका के इस दावों को अखिलेश यादव और मायावती ने खारिज किया. अब देखना दिलचस्प होगा कि नतीजों में किसके दावे सही होते हैं. बीजेपी पहले ही कांग्रेस को लड़ाई से बाहर बता चुकी है.
यहां ध्यान रहे कि प्रियंका गांधी को जब कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी दी तो यह मानना था कि उत्तर प्रदेश में पार्टी की तस्वीर बदलने के लिए उन्हें उतारा गया है. लेकिन कांग्रेस और खुद प्रियंका गांधी इससे इनकार करती रही हैं. उन्होंने प्रियंका ने कहा था, ''मैं 2022 के लिए कांग्रेस को मजबूत करना चाहती हूं ताकि उस समय कांग्रेस अच्छे तरीके से लड़ सके.'' उत्तर प्रदेश में 2022 में लोकसभा चुनाव होंगे. सूबे में कांग्रेस 30 सालों से सत्ता से बाहर है.