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एग्जिट पोल: यूपी में दल और दिल दोनों मिले, अखिलेश-मायावती का साथ लोगों को पसंद आया

24 साल की लड़ाई भूल कर पहली बार मुलायम सिंह यादव के लिए मैनपुरी में मायावती ने वोट मांगा. पूर्वांचल की 26 सीटों में से महागठबंधन को 18 सीटें, बीजेपी 8 सीटों पर सिमटती दिख रही है.

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव परिणाम के लिए काउंटडाउन जारी है. विधानसभा चुनाव में जीत मिलने के बाद बीजेपी ने यूपी की कमान फायरब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ के सौंपी. उसी वक्त तय हो गया कि बीजेपी यूपी में 2019 का चुनाव किस रणनीति की तहत लड़ना चाहती है? यूपी में जातीय समीकरण और धार्मिक तड़का के घालमेल का असर यह हुआ कि 2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा में विपक्ष का सुपड़ा साफ हो गया. लेकिन 2019 आते-आते विपक्ष संभलने लगा.

सपा-बसपा के बीच शानदार समन्वय पूरे चुनाव में अखिलेश यादव और मायावती के बीच शानदार समन्वय दिखा. 24 साल की लड़ाई भूल कर पहली बार मुलायम सिंह यादव के लिए मैनपुरी में मायावती ने वोट मांगा. एक वक्त था कि शिवपाल सिंह यादव मुख्तार अंसारी की पार्टी को अपने पाले में जोड़ रहे थे जिससे अखिलेश नाराज हो गये. और विवाद बढ़ता गया. विवाद के बीच में मुख्तार अंसारी की पार्टी भी थी. वक्त का पहिया आगे बढ़ा और इस चुनाव में अखिलेश यादव हर मनमुटाव मिटाकर उसी मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी के लिए वोट मांगने गाजीपुर गये. मंच पर मायावती के भतीजे आकाश को मुलायम सिंह आशीर्वाद देते दिखे तो डिंपल यादव को मायावती ने आशीर्वाद दिया. ये सिर्फ तस्वीरें नहीं थी. अपने वोटर्स और कार्यकर्ताओं को एकदूसरे के साथ समन्वय बनाने के लिए संदेश था. इसका कितना असर हुआ यह तो 23 मई को पता चलेगा लेकिन एबीपी न्यूज और नीलसन के सर्वे के मुताबिक पश्चिमी यूपी की 27 सीटों में से महागठबंधन को 21 सीटें मिल रही हैं.

पश्चिमी यूपी में किस पार्टी को कितनी सीटें-

बीएसपी- 10 सीटें एसपी- 09 सीटें बीजेपी- 06 सीटें आरएलडी- 02 सीटें कांग्रेस- 00 देखते रहिए

अवध में किस पार्टी को कितनी सीटें बीएसपी- 8 सीटें एसपी- 6 सीटें बीजेपी- 7 सीटें कांग्रेस- 2

बुंदेलखंड में किस पार्टी को कितनी सीटें गठबंधन को 3 बीजेपी को 1

पूर्वांचल में किस पार्टी को कितनी सीटें पूर्वांचल की 26 सीटों में से महागठबंधन को 18 सीटें, बीजेपी 8 सीटों पर सिमटती दिख रही है.

बीएसपी- 11 सीटें एसपी- 07 सीटें बीजेपी- 08 सीटें कांग्रेस- 00

जमीन पर गठबंधन की रणनीति महागठबंधन वोटों के ध्रुवीकरण को रोकने के लिए जातीय गोलबंदी की जोरदार पैरवी की. इसीलिए असली पिछड़ा कौन इस पर पूरे चुनाव यूपी में चर्चा होती रही. मायावती ने मुलायम सिंह यादव को जन्मजात पिछड़ा बताया तो नरेंद्र मोदी को नकली पिछड़ा बताया. वोटों के ध्रुवीकरण को रोकने के लिए महागठबंधन तीखी बयानबाजी से बचा. महागठबंधन पूरी कोशिश करता रहा कि चुनाव जातीय गोलबंदी पर हो ना कि धार्मिक ध्रुवीकरण पर. धार्मिक ध्रुवीकरण का नुकसान 2014 में सपा ने झेला था. उसी का असर हुआ और सपा-बसपा गठबंधन हुआ.

कार्यकर्ताओं में मेल मिलाप एबीपी न्यूज नीलसन सर्वे की आंकड़ों से स्पष्ट हो रहा है कि चुनाव पूर्व सपा-बसपा कार्यकर्ताओं के मेल मिलाप के लिए जितनी कोशिश उपर के नेताओं ने की उतनी है कार्यकर्ताओं ने भी किया. यदि चुनाव परिणाम में यही आंकड़ें आते हैं तो स्पष्ट है कि कार्यकर्ताओं में मेल मिलाप सफल रहा.

दल भी मिले, दिल भी मिले एग्जिट पोल के आंकड़ों की मानें तो कार्यकर्ताओं के दिल मिले. 24 साल का जातीय संघर्ष का असर यूपी में नहीं दिख रहा है. सपा-बसपा के वोटर्स एक दूसरे को ट्रांसफर होते दिख रहे हैं.

2014 के चुनाव में कैसा रहा था हाल साल 2014 के चुनाव को देखें तो यहां एनडीए गठबंधन ने भारी सफलता हासिल की थी और राज्य की 80 में से 73 सीटों पर एनडीए ने कब्जा जमाया था. इसमें से 71 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी और अपना दल 2 सीटों पर विजयी हुआ था. समाजवादी पार्टी यूपी में 5 सीटों पर जीती थी. इसके अलावा कांग्रेस के खाते में अमेठी और रायबरेली की 2 सीटें आई थीं. 2014 के चुनाव में यूपी में बीएसपी का खाता भी नहीं खुला था.

#ABPExitPoll2019: यूपी में बीजेपी को लग सकता है बड़ा झटका, गठबंधन को 56 तो BJP को 22 सीटों का अनुमान 2014 के चुनाव में वोट प्रतिशत वोट प्रतिशत की बात करें तो 2014 में बीजेपी को 43.3 फीसदी वोट शेयर मिला था और अपना दल ने 1.1 फीसदी वोट शेयर हासिल किया था. समाजवादी पार्टी को 22.3 फीसदी वोट शेयर मिला था और बीएसपी के पास 19.8 फीसदी वोट आए थे. कांग्रेस के खाते में राज्य का 7.8 फीसदी वोट शेयर आया था और अन्य के खाते में 5.9 फीसदी वोट शेयर आया.

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