Rajasthan, Chhattisgarh, MP Assembly Election 2023: 2024 के लोकसभा संग्राम से पहले इस साल पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होना है. जिसमें से मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ राजनीतिक दृष्टि से बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए अधिक महत्वपूर्ण है. मौजूदा समय में इनमें से दो राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है. जबकि मध्य प्रदेश में सीएम शिवराज की नेतृत्व वाली बीजेपी की सरकार है. 


MP में बीजेपी की सरकार होने के बावजूद उसके सीएम फेस को लेकर सस्पेंस बरकरार है. मध्य प्रदेश में बीजेपी के किसी राष्ट्रीय नेता ने शिवराज सिंह को फिर से सीएम बनाए जाने को लेकर कोई बयान अबतक नहीं दिया है. बीजेपी का राजस्थान में भी यही हाल दिख रहा है, राज्य की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया के चेहरे पर कोई खुलकर नहीं बोल रहा है. छत्तीसगढ़ में पूर्व सीएम रमन सिंह को लेकर भी संशय की स्थिति है. आइए जानें एक-एक कर तीनों राज्यों का समीकरण और क्यों कहा जा रहा है कि बीजेपी में सीएम नेतृत्व को लेकर संशय की स्थिति है.


मध्य प्रदेश में हो सकता हैं असम वाला प्रयोग?
2018 के मध्य प्रदेश में त्रिशंकु विधानसभा बनी, जिसमें 114 सीटों के साथ कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, जबकि बीजेपी को 109 सीटें हासिल हुई थी. कांग्रेस ने जीत के बाद सरकार बनाई लेकिन सिर्फ 18 महीनों के लिए, उसके बाद बीजेपी के दांव-पेंच से शिवराज सिंह की सरकार बनी. अब फिर से सभी पार्टियों को चुनावी रण में जाना है, ऐसे में सवाल उठ रहा है कि मध्य प्रदेश में शीर्ष नेतृत्व के बीच खींचतान है. इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में भी इस बात का दावा किया गया कि गृहमंत्री अमित शाह के सामने ये बात आई कि प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और सीएम शिवराज के बीच गंभीर मतभेद हैं. साथ ही राजनीतिक गलियारे में ऐसी बात चल रही है कि इस बार केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया टॉप पोस्ट का एक विकल्प हो सकते हैं. ऐसे में बीजेपी की 2016 में असम में किए गए प्रयोग की ओर भी एक नजर जा रही है, जब बीजेपी ने कांग्रेस से आए हेमंत बिस्वा सरमा की चुनावी जीत में महत्वपूर्ण भूमिका के बाद सर्बानंद सोनोवाल को रिप्लेस कर 2021 में  सीएम बनाया गया था. 


राजस्थान में बीजेपी के लिए भ्रम की स्थिति
राजस्थान की 200 सदस्यों वाली विधानसभा चुनाव के लिए बहुमत का आंकड़ा 101 सीटों का है. 2018 चुनाव में यहां बीजेपी को करारी शिकस्त मिली थी और कांग्रेस की अशोक गहलोत की सरकार 5 सालों बाद फिर से बनी थी. इस चुनाव में कांग्रेस को 100 और भगवा पार्टी ने 73 सीटों पर जीत दर्ज की थी. 2013 के चुनाव में बीजेपी को 163 सीटें मिली थी और ऐसा कहा जाता है कि ये 73 सीट भी इसलिए संभव हुआ क्योंकि पीएम मोदी ने खुद चुनाव से ठीक पहले 15 रैलियां की थी. राजस्थान में पिछले दो लोकसभा चुनाव में बंपर जीत और पिछली विधानसभा चुनाव में बुरी तरह शिकस्त की वजह से राज्य नेतृत्व यानी वसुंधरा राजे पर सवाल उठ रहे हैं, जबकि हालिया घटनाक्रम में बीजेपी ने राज्य में चार परिवर्तन रैली का आयोजन किया था, जिसमें से किसी में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे भाग नहीं लिया. 


अब ऐसी स्थिति में राज्य में एक बड़ा चेहरा जो वसुंधरा राजे की जगह विकल्प के तौर पर देखे जा सकते हैं वो गजेंद्र सिंह शेखावत हैं. उन्हें 2018 में केंद्र में राज्य मंत्री बनाया गया था. 2019 में जल शक्ति मंत्री बनाया गया. बीजेपी के हाल तक प्रदेश अध्यक्ष रहे सतीश पूनिया एक और विकल्प वसुंधरा राजे की जगह हो सकते हैं. वहीं मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सांसद सीपी जोशी भी एक ऑप्शन हैं. इसके अलावा नेता प्रतिपक्ष गजेंद्र राठौड़ एक विकल्प हैं. फिलहाल शीर्ष नेतृत्व को लेकर भ्रम की स्थिति राज्य में है.


'छत्तीसगढ़ में पूरी पार्टी के नेता सिर्फ मोदी'
छत्तीसगढ़ में तीन बार से रमन सिंह के नेतृत्व में बीजेपी सरकार थी लेकिन साल 2018 में बीजेपी को करारी शिकस्त मिली. राज्य के कुल 90 विधानसभा सीटों में से बीजेपी को केवल 15 सीटें मिल पाई. जबकि लोकसभा में जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए कुल 11 सीटों में से 9 सीटें बीजेपी जीत गईं. यानी मैसेज ये गया कि राज्य में रमन सिंह के चेहरे पर पार्टी चुनाव हार गई जबकि लोकसभा में पीएम मोदी के चेहरे पर जीत गई. राज्य में बीजेपी के पास रमन सिंह की जगह अरुण साव, बृजमोहन अग्रवाल और अजय चंद्राकर विकल्प के तौर पर मौजूद हैं. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक पार्टी के एक नेता ने कहा है कि पार्टी सीएम उम्मीदवार की घोषणा की जगह सामूहिक नेतृत्व पर ध्यान देकर चुनाव लड़ेगी. वहीं सीएम फेस को लेकर छत्तीसगढ़ बीजेपी के महासचिव ओपी चौधरी ने कहा है कि पूरी पार्टी के नेता सिर्फ मोदी हैं.


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