LokSabha Election 2019: मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस की नज़र 2019 में केंद्र सरकार में वापसी पर है. हालांकि कांग्रेस को उस वक्त बड़ा झटका लगा, जब एसपी-बीएसपी ने देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में गठबंधन का एलान करते वक्त उसे शामिल नहीं किया. लेकिन कांग्रेस ने उत्तरप्रदेश में लोकसभा चुनाव पड़ने के लिए प्रियंका गांधी को मैदान में उतारकर साफ कर दिया कि वह अब सीधे टक्कर लेने के मूड में है. माना जा रहा है प्रियंका गांधी को पूर्वी यूपी का इंचार्ज बनाने के बाद वहां की 30 सीटों पर कांग्रेस की ताकत में बढ़ोतरी हो सकती है. इसके साथ ही राज्य की अमेठी और रायबरेली के अलावा 13 ऐसी सीटें भी हैं जहां 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन करने में कामयाब रही थी.


आरएलडी के साथ लड़ा था 2014 का चुनाव


कांग्रेस ने 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए अजीत सिंह की राष्ट्रीय लोकदल के साथ गठबंधन किया. इस चुनाव में कांग्रेस ने 66 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जबकि राष्ट्रीय लोकदल ने 8 सीटों पर चुनाव लड़ा था. मोदी लहर में कांग्रेस सिर्फ अमेठी और रायबरेली की सीट ही जीत पाई थी, वहीं राष्ट्रीय लोकदल एक भी सीट नहीं जीत पाई. इतना ही नहीं 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट बैंक 2009 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले 18.25 फीसदी से गिरकर सिर्फ 7.50 फीसदी रह गया था.


इन सीटों पर होगी कांग्रेस की नज़र


ऐसा कहा जाता है कि दिल्ली में पीएम बनने का रास्ता यूपी से होकर आता है. ऐसे में एसपी और बीएसपी के दरकिनार करने के बाद कांग्रेस की नज़रें उन सीटों पर है, जिनपर वह 2014 दूसरे और तीसरे नंबर पर रही थी.


अमेठी और रायबरेली की सीट जीतने के अलावा कांग्रेस 6 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी. ये 6 सीटें सहारनपुर, गाजियाबाद, लखनऊ, कानपुर, बाराबंकी और कुशीनगर हैं. इन सभी सीटों पर कांग्रेस के दिग्गज नेता राज बब्बर, श्रीप्रकाश जायसवाल, पी एल पुनिया ने चुनाव लड़ा था. कांग्रेस के ये दिग्गज चुनाव तो नहीं जीत पाए, पर दूसरे नंबर पर आने में कामयाब रहे थे.


2014 के लोकभा चुनाव में 4 सीटों पर कांग्रेस तीसरे नंबर की पार्टी बनने में कामयाब हुई थी. इनमें खीरी, धुव्रा, प्रतापगढ़ और मिर्जापुर की सीट शामिल है. इसके अलावा उन्नाव, इलाहाबाद, गोंडा में कांग्रेस चौथे नंबर पर रही थी, लेकिन एसपी और बीएसपी की तुलना में उसके वोटों का अंतर 5 हजार से भी कम था.


2009 में जीती थीं 21 सीटें


2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उत्तर प्रदेश की 80 में से 21 सीटें जीतने में सफल रही थी. इतना ही नहीं कांग्रेस ने बाद में फिरोजाबाद का उप चुनाव भी जीता था और उसकी सीटों की संख्या 22 हो गई थी. लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में एसपी के साथ गठबंधन करने के बावजूद कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था.