PoK People Video Fact Check: भारत के समर्थन में शपथ लेते हुए कुछ लोगों का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस वीडियो के लेकर दावा किया गया है कि ये पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर यानी पीओके का है, जहां के लोग भारतीय सेना के समर्थन में उतर आए हैं. इस वीडियो को फेसबुक पर वायरल किया गया है. यही वीडियो इस साल मार्च में भी शेयर किया गया था.
1.39 मिनट लंबे वीडियो में लोग शपथ लेते हुए कह रहे हैं कि हिंदुस्तान के संविधान उर्फ कानून को बचाने के लिए हिंदुस्तान की तरक्की की कसम खाते हैं. वह कहते हैं कि जब भी देश को उनकी जरूरत पड़ेगी तो उरी, जम्मू-कश्मीर गुज्जर बकरवाल के नौजवान अपनी जान देने को तैयार रहेंगे. हालांकि, बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा झूठा है.
वीडियो को लेकर क्या दावा किया गया?
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर वीडियो को शेयर करते हुए यूजर ने लिखा, "पीओके के मुसलमान भारत में मिलने के लिए.. भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारतीय सेना को तन-मन-धन से समर्थन देने की सौगंध खा रहे हैं जो 70 साल मे संभव नहीं था वो अब सहजता से हो रहा है..." वीडियो को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है, जबकि इसका आर्काइव लिंक यहां क्लिक कर देख सकते हैं.
फैक्ट चेक में क्या मालूम चला?
बूम इस वीडियो के फैक्ट चेक को इससे पहले मार्च में भी कर चुका है. उस समय भी वीडियो को ऐसे ही दावे के साथ शेयर किया जा रहा था. फैक्ट चेक में मालूम चला था कि वीडियो को लेकर किया गया दावा गलत है. वीडियो में लोगों को उरी का जिक्र करते हुए सुना गया. लोगों के साथ में मौजूद तख्तियों पर 'गुज्जर-बकरवाल एकता जिंदाबाद' लिखा हुआ है. यहां से मिले हिंट के जरिए संबंधित कीवर्ड्स के माध्यम से गूगल सर्च किया.
इस दौरान गुज्जर बकरवाल नाम के एक्स हैंडल के बारे में मालूम चला, जिस पर ये वीडियो मौजूद था. वीडिोय के कैप्शन में लिखा हुआ था कि जम्मू-कश्मीर के गुज्जर बकरवाल अपनी अनुसूचित जनजाति की स्थिति की सुरक्षा के संबंध में अपने संवैधानिक अधिकारों को सुरक्षित रखने का संकल्प ले रहे हैं. इसके अलावा यूट्यूब पर भी एक वीडियो मिला, जिसमें बताया गया कि उरी के गुज्जर बकरवाल समुदाय ने भारत के संविधान के दायरे में अपने एसटी के हालात की रक्षा करने की कसल ली.
वहीं जब शपथ दिलवाने वाले रफीक बलोटे से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया, "इस वीडियो का पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से कोई संबंध नहीं है. यह तब का वीडियो है जब गुज्जर और बकरवाल समुदायों ने आरक्षण देने के सरकार के फैसले के खिलाफ अगस्त (2023) में एक मार्च निकाला था. यह मार्च बारामूला जिले के डाक बंगला इलाके में आयोजित हुआ था. इस मार्च के बाद उरी के गुज्जर और बकरवाल समुदाय के युवाओं ने शपथ भी ली थी."
फैक्ट चेक में क्या निष्कर्ष निकला?
फैक्ट चेक में ये साफ हो गया कि वीडियो को लेकर किया गया दावा पूरी तरह से फर्जी है. इसका पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से कोई लेना-देना नहीं है, बल्कि ये वीडियो जम्मू-कश्मीर के उरी का है, जहां पर गुज्जर बकरवाल समुदाय के लोगों ने शपथ ली थी. गुज्जर और बकरवाल समुदाय के लोगों ने आरक्षण पर केंद्र सरकार के फैसले का विरोध करते हुए 'ट्राइबल बचाओ मार्च' निकाला था, जिसे पीओके का बताकर शेयर किया गया.
Disclaimer: This story was originally published by Boom, and translated by ABP Live as part of the Shakti Collective.
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