लोकसभा चुनाव 2024 के लिए चार चरणों का मतदान हो चुका है. 5वें चरण के लिए 20 मई को वोट डाले जाएंगे. पिछले कई चुनावों की तरह इस बार भी भारतीय चुनाव आयोग इलेक्ट्रॉनिक्स वोटिंग मशीन (EVM) से चुनाव करा रहा है. हालांकि, कई विपक्षी पार्टियों ने ईवीएम का विरोध जताया है. इन सबके बीच सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है, इसमें दावा किया जा रहा है कि देश में ईवीएम का इस्तेमाल पहली बार 2009 की तत्कालीन कांग्रेस सरकार में हुआ था.


 क्या हो रहा दावा?

‘rbsonu_sr' नाम के यूजर ने सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट (आकाईव लिंक) में लिखा, ईवीएम 2009 में आय़ा था और कांग्रेस सरकार ने इसे लगाया था, अगर ईवीएम हैक होता तो पहले कांग्रेस ही इसे हैक करती और बीजेपी को कभी सत्ता में आने नहीं देती. ईवीएम हैक नहीं होता है ये बात समझलो!




                              सोशल मीडिया पर भ्रामक दावे के साथ वायरल पोस्ट।



विश्वास न्यूज ने जांच में इस दावे को भ्रामक पाया. देश में 2004 में पहले सभी लोकसभा सीटों पर ईवीएम से चुनाव कराए गए थे. हालांकि, इससे पहले कई विधानसभा चुनाव में भी इसके जरिए वोटिंग कराई गई. तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी और पश्चिम बंगाल में हुए 2001 विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर ईवीएम का इस्तेमाल किया गया. इससे पहले अभी अलग अलग राज्यों में चरणबद्ध तरीके से ईवीएम का इस्तेमाल हो रहा था, इसकी शुरुआत 1998 में मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली विधानसभा चुनाव में हुई थी. 


कैसे की गई पड़ताल?

विश्वास न्यूज ने चुनाव आयोग की वेबसाइट पर मौजूद दस्तावेजों को चेक किया. सर्च करने पर Status Paper Of EVM (Edition-3) की कॉपी मिली, इसमें ईवीएम को लेकर जानकारी उपलब्ध थी. इसके मुताबिक, 1998 में ईवीएम से चुनाव को लेकर सहमति बनने के बाद एमपी, राजस्थान और दिल्ली की 16 सीटों पर पहली बार इसका इस्तेमाल किया गया. 




इसके बाद 1999 में 46 लोकसभा सीटों पर ईवीएम से चुनाव कराए गए. इसके बाद हरियाणा विधानसभा चुनाव में 45 सीटों पर ईवीएम का इस्तेमाल हुआ. 2001 में तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी और बंगाल की सभी विधानसभा सीटों पर ईवीएम से चुनाव हुए. इसके बाद के विधानसभा चुनावों में भी इसका इस्तेमाल हुआ.


2004 लोकसभा चुनाव से ही ईवीएम का इस्तेमाल

चुनाव आयोग के दस्तावेजों के मुताबिक, 2004 में लोकसभा चुनाव के दौरान सभी 543 सीटों पर ईवीएम का इस्तेमाल हुआ. 2000 के बाद भारत में कुल 113 विधानसभा चुनाव और 3 लोकसभा चुनाव (2004, 2009 और 2014) में ईवीएम का इस्तेमाल हुआ. 2019 के भी चुनाव ईवीएम से हुए. ऐसे में ये दावा कि 2009 में ईवीएम का इस्तेमाल हुआ, ये दावा गलत है.  


जब सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम के इस्तेमाल पर लगाई थी रोक

चुनाव आयोग ने 1982 में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत गाइडलाइन जारी की थी और पायलट प्रोजेक्ट के तहत केरल की एक विधानसभा के 50 बूथों पर ईवीएम से चुनाव कराया था. इसके बाद 1982-83 में 10 उपचुनाव में भी ईवीएम का इस्तेमाल किया गया. हालांकि, इसके लिए तब तक कोई निश्चित कानून नहीं था. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में इन चुनावों को चुनौती दी गई और मई 1984 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बिना किसी निश्चित कानूनी प्रावधान के चुनाव में ईवीएम का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. 




इसके बाद दिसंबर 1988 में संसद ने कानून में संशोधन करते हुए रिप्रेजेंटेंशन ऑफ द पीपल एक्ट 1951 में धारा 61(A) को जोड़ दिया गया और इस तरह से चुनाव आयोग को ईवीएम का इस्तेमाल करने की अनुमति मिल गई. यह संशोधन 15 मार्च 1989 से प्रभाव में आया और सुप्रीम कोर्ट ने एआईडीएमके बनाम चीफ इलेक्शन कमिश्नर व अन्य (2002 UJ (1) 387) मामले में धारा 61ए को संवैधानिक रूप से वैध करार दिया. 




 ईवीएम को लेकर कानूनी दखल और मुकदमों के विवरण को इस चार्ट में देखा जा सकता है.




चुनाव आयोग ने क्या कहा?

जब विश्वास न्यूज की ओर से इस वायरल पोस्ट को लेकर चुनाव आयोग के प्रवक्ता से संपर्क किया गया, तो उन्होंने बताया कि 2004 के लोकसभा चुनाव में सभी सीटों पर ईवीएम से मतदान कराया गया था और इससे पहले ईवीएम का इस्तेमाल अन्य विधानसभा चुनाव में भी होता आया है. 


देश में ईवीएम की बजाये बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 2018 में याचिका दाखिल की गई थी. इसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था. 


22 नवंबर 2018 को इकोनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित खबर के मुताबिक, ''सुप्रीम कोर्ट ने आगामी विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में ईवीएम के बदले बैलेट पेपर का इस्तेमाल किए जाने की याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि कोई भी सिस्टम परफेक्ट नहीं होता. एनजीओ न्याय भूमि की तरफ से ए सुब्बा राव ने यह जनहित याचिका कोर्ट में दायर की थी. उन्होंने कहा था कि ईवीएम का गलत इस्तेमाल किया जा सकता है और इसलिए इसका इस्तेमाल चुनावों के दौरान नहीं किया जाना चाहिए.''


सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश के बाद 2019 का आम चुनाव ईवीएम से हुआ था. ईवीएम से संबंधित अन्य वायरल दावों की फैक्ट चेक रिपोर्ट्स को यहां पढ़ा जा सकता है. 


वायरल पोस्ट को शेयर करने वाले यूजर को इंस्टाग्राम पर करीब 5000 लोग फॉलो करते हैं. चुनाव आयोग की अधिसूचना (आकाईव लिंक) के मुताबिक, इस बार सात चरणों में लोकसभा चुनाव हो रहा है. अभी चार चरण पूरे हो चुके हैं.5वें चरण के लिए 20 मई को 8 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 49 सीटों पर वोटिंग होगी.


 






निष्कर्ष: साल 2009 से ईवीएम के अस्तित्व में आने का दावा गलत है. 2004 में देश की सभी 543 लोकसभा सीटों पर ईवीएम की मदद से चुनाव कराए गए थे और इससे पहले कई विधानसभा चुनाव के दौरान इसका इस्तेमाल हो रहा था. 


Disclaimer: This story was originally published by Vishvas News and republished by ABP Live Hindi as part of the Shakti Collective.


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