सात चरण की वोटिंग के बाद आज खत्म हुआ इलेक्शन, जानिए लोकसभा चुनाव 2024 के पांच टर्निंग प्वाइंट
आज 7वे चरण की वोटिंग खत्म हो गई है. वोटिंग की समाप्ति के बाद 4 जून को नतीजे भी जारी कर दिए जाएंगे. ऐसे में इस रिपोर्ट में 18वीं लोकसभा चुनाव से जुड़े सभी सवाल के जवाब जानिये
आज यानी 1 जून को लोकसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण के लिए मतदान संपन्न हो गया है. इस आखिरी चरण में सात राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ की 57 सीटों पर वोटिंग हुई. वोटिंग की समाप्ति के बाद 4 जून को नतीजे भी जारी कर दिए जाएंगे. ऐसे में इस रिपोर्ट में 18वीं लोकसभा चुनाव से जुड़े सभी सवाल के जवाब जानिये
कब हुआ था लोकसभा चुनाव का ऐलान
भारत में 17वीं लोकसभा का कार्यकाल 16 जून, 2024 को पूरा हो रहा है. केंद्रीय चुनाव आयोग ने कार्यकाल पूरा होने के 3 महीने पहले यानी 16 मार्च को 18वीं लोकसभा चुनाव की तारीख का ऐलान कर दिया था. इसके साथ ही आचार संहिता भी लागू हो गई थी.
कितने चरणों में कराई गई वोटिंग
इस चुनाव में कुल सात चरणों में वोटिंग हुई. पहले चरण के लिए 19 अप्रैल को मतदान कराए गए. इस दौरान 21 राज्यों के 102 सीटों पर लोगों ने मतदान किया. दूसरे चरण की वोटिंग 26 अप्रैल को हुई. इस दौरान 13 राज्यों की 88 सीटों पर मतदान हुआ. इसके बाद 7 मई को तीसरे चरण का मतदान हुआ, इस फेज में 11 राज्यों के लोगों ने 93 सीटों पर वोट डाले.
13 मई को चौथे चरण का मतदान हुआ. इस दौरान 10 राज्यों के 96 सीटों पर वोटिंग हुई. इसके बाद 20 मई को पांचवें चरण के लिए 8 राज्यों की 49 सीटों पर वोटिंग हुई. छठे चरण की वोटिंग 25 मई को हुई, इस दौरान 8 राज्यों के 58 सीटों पर वोट डाले गए. इसके बाद 1 जून यानी आज सातवें चरण का मतदान हुआ. इस दौरान 7 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ की 57 सीटों पर वोटिंग हुई.
इस लोकसभा चुनाव के पांच टर्निंग प्वाइंट
मंगलसूत्र: पटना यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर प्रमोद मिश्र ने एबीपी से बात करते हुए कहा लोकसभा चुनाव के पहले चरण में तो सभी पार्टियों ने रोजगार, विकास जैसे तमाम मुद्दे उठाए. मगर दूसरे चरण के प्रचार के दौरान ही बीजेपी ने मंगलसूत्र की एंट्री करवा दी. इसे चुनाव का पहला टर्निंग प्वाइंट माना जा सकता है. यहां से रोजगार और शिक्षा का मुद्दा धर्म, हिंदू-मुस्लिम में परिवर्तित हो गया.
संपत्ति घुसपैठियों को बांटना: पीएम ने राजस्थान की चुनावी रैली में कांग्रेस के घोषणापत्र का हवाला देते हुए आरोप लगाया था कि अगर कांग्रेस इस बार सत्ता में आती है तो वह आपकी संपत्ति घुसपैठियों और उन लोगों को बांट सकती है, जिनके अधिक बच्चे हैं. इस आरोप के बाद पीएम एक और आरोप लगाते नजर आए कि अगर इस बार जनता कांग्रेस को मौका देती है तो महिलाओं से मंगलसूत्र भी छीन लिया जाएगा. हालांकि कांग्रेस ने इस आरोप को पूरी तरह से बेबुनियाद बताया था.
प्रज्वल रेवन्ना का कथित सेक्स वीडियो: प्रोफेसर ने कहा कि तीसरे चरण के चुनाव से पहले पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा के पोते और हासन से सांसद प्रज्वल रेवन्ना की कथित सेक्स वीडियो वायरल हो गया. यह चुनाव का तीसरा टर्निंग प्वाइंट माना जा सकता है. इस खबर के बाद सभी पार्टियों ने बीजेपी को जमकर टारगेट किया. प्रज्वल के खिलाफ बलात्कार और छेड़छाड़ के मामले दर्ज किए गए.
केजरीवाल को अंतरिम जमानत: चुनाव के चौथे चरण से पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली शराब नीति को लेकर जेल में बंद अरविंद केजरीवाल को 1 जून तक अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया. इसे चुनाव का चौथा टर्निंग प्वाइंट माना जा सकता है. केजरीवाल की रिहाई के बाद इंडिया ने इस मुद्दे को लेकर बीजेपी पर जमकर निशाना साधा.
वोटिंग के फाइनल आंकड़े जारी करने में देरी: इस चुनाव में विपक्ष ने इलेक्शन कमीशन की तरफ से वोटिंग के फाइनल आंकड़े जारी करने में देरी को लेकर सवाल उठाया था. यहां तक की ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. चुनाव आयोग का कहना था कि एक वोटिंग सेंटर में डाले गए मतदान की संख्या बताने वाले फॉर्म 17सी का विवरण सार्वजनिक नहीं किया जा सकता. इससे पूरे चुनावी तंत्र में अराजकता फैल सकती है क्योंकि इससे तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ की संभावना बढ़ जाती है.
किस चरण में कितने प्रतिशत हुआ मतदान
लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 66.14 फीसदी मतदान दर्ज किया गया था. वोटर्स का ये प्रतिशत 2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना में कम है. दरअसल 2019 के चुनावों में पहले चरण में 69.43 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था.
लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में 66.71 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था. दूसरे चरण का मतदान 26 अप्रैल को 88 निर्वाचन क्षेत्रों में हुआ था. हालांकि वोटिंग का ये प्रतिशत भी पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में कम है. साल 2019 के दूसरे चरण में 69.17 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था.
इसके बाद हुए तीसरे चरण के चुनाव में 65.68 फीसदी, चौथे चरण में 69.16 फीसदी, पांचवें फेज में 62.2 फीसदी और छठे चरण में 63.36 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. वहीं आखिरी और सातवें चरण में मैदान में कुल 904 उम्मीदवार हैं. इनमें से पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, रवि किशन, पवन सिंह, ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी, लालू प्रसाद की बेटी मीसा भारती और अभिनेत्री कंगना रनौत शामिल हैं.
सातवें चरण में लगभग 5.24 करोड़ पुरुष, 4.82 करोड़ महिलाएं और 3,574 थर्ड जेंडर मतदाता समेत कुल 10.06 करोड़ से ज्यादा नागरिक मतदान करने के पात्र हैं.
कौन-कौन सी प्रमुख पार्टियां मैदान में थी.
चुनाव में सबसे अहम भूमिका राजनीतिक दलों की ही होती है. ज्यादातर चुनाव में राजनीतिक दलों की तरफ से उतारे गए प्रत्याशियों के बीच ही मुख्य मुकाबला होता रहा है. हालांकि कई बार निर्दलीय प्रत्याशी भी बड़ा उलटफेर कर देते हैं. भारत में कांग्रेस सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी है और यही पार्टी भारत के संसदीय इतिहास में सबसे ज्यादा चुनाव में जीत भी हासिल कर सत्ता पर काबिज रही है.
पिछले लोकसभा चुनाव यानी साल 2019 की बात की जाए तो उस संसदीय चुनाव में बीजेपी, कांग्रेस, बीएसपी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-एम (CPI-M), तृणमूल कांग्रेस (TMC) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) 7 राष्ट्रीय दल चुनावी रणभूमि में उतरे थे. इन इन 7 राष्ट्रीय दलों ने कुल मिलाकर उस चुनाव में 1454 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा. हालांकि इनमें से केवल 397 को ही जीत हासिल हुई थी. जबकि 670 उम्मीदवारों की जमानत ही जब्त हो गई.
वर्तमान में भारत में 6 प्रमुख राजनीतिक दल मैदान में हैं. इस चुनाव में लोकसभा सीटों के लिए मैदान में उतरी प्रमुख पार्टियों पर एक नजर:
- भारतीय जनता पार्टी
- कांग्रेस
- आम आदमी पार्टी (आप)
- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआईएम)
- बहुजन समाज पार्टी (BSP)
- नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी)
इसमें बहुजन समाज पार्टी को छोड़ दिया जाए तो सभी पार्टियां किसी न किसी गठबंधन का हिस्सा हैं. AAP साल 2023 में राष्ट्रीय पार्टी बनी थी.
कितनी सीटों पर मैदान में है बीजेपी- कांग्रेस
इस चुनाव में कांग्रेस ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मिलाकर 328 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं. जबकि बांकी सीटों पर इंडिया अलायंस के सहयोगी चुनाव लड़ रहे हैं. यह पहली बार हुआ है जब देश की सबसे पुरानी पार्टी 400 से कम सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं. इससे पहले यानी साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 421 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. 2014 में इस पार्टी ने 464 सीटों, 2009 में 440 और 2004 के लोकसभा 417 सीटों पर चुनाव लड़ा था.
वहीं बीजेपी 543 सीटों में से 433 पर सीधे अपना प्रत्याशी उतारा है, जबकि बाकी सीटों पर उसके एनडीए सहयोगी चुनाव लड़ रहे हैं
वोटर्स की संख्या
इस लोकसभा चुनाव में कुल 96.8 करोड़ पंजीकृत वोटर है. जिनमें से 47.1 करोड़ संख्या महिला वोटर्स की है और 49.7 करोड़ पुरुष वोटर की. इनमें लगभग 1.89 करोड़ वोटर्स ऐसे हैं जिन्होंने पहली बार मतदान किया है और 19.74 करोड़ युवा वोटर्स हैं, जिनकी उम्र 20 से 29 साल है.
वोटरों की संख्या की गणना में उन लोगों को भी शामिल किया गया है जिनकी उम्र 01 जनवरी 2024 को 18 साल की नहीं थी, लेकिन ऐसे 13.4 लाख आवेदन थे जो 1 अप्रैल 2024 तक 18 साल के हो जाएंगे और वोट दे सकेंगे.
कुल पंजीकृत वोटरों की संख्या में 88.4 लाख दिव्यांग, 82 लाख 85 साल से ज्यादा की उम्र के और 48 हजार ट्रांसजेंडर शामिल हैं.
प्रमुख चेहरे और वो किस सीट से मैदान में हैं
नरेंद्र मोदी- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार के चुनाव में उत्तर प्रदेश की वाराणसी लोकसभा सीट से मैदान में हैं. साल 2014 से ही वाराणसी उनका संसदीय क्षेत्र रहा है. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें यहां से 6 लाख 74 हजार से ज्यादा वोट मिले थे.
अमित शाह- इस चुनाव में गृहमंत्री अमित शाह गुजरात की गांधीनगर लोकसभा सीट से बीजेपी के प्रत्याशी हैं. इस सीट पर तीसरे चरण में मतदान हुआ था. गांधीनगर सीट साल 1989 से ही भारतीय जनता पार्टी के पास रही है. यहां से हर लोकसभा चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार बड़े अंतर से जीतकर लोकसभा पहुंचते रहे हैं.
इसी सीट पर कभी अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और शंकर सिंह वाघेला चुनाव जीते थे. गांधीनगर से साल 1998 के बाद से 2014 तक आडवाणी सांसद रहे. 2019 में अमित शाह ने कांग्रेस के सीजे चावड़ा को भारी मतों से हराया था. इस बार शाह का मुकाबला कांग्रेस की सोनल पटेल से है.
राहुल गांधी- इस चुनाव में राहुल गांधी कांग्रेस की पारंपरिक सीट कहे जाने वाले वायनाड और रायबरेली से प्रत्याशी हैं. 2024 का लोकसभा चुनाव शुरू होने से पहले रायबरेली से सांसद सोनिया गांधी राज्यसभा चली गईं. सोनिया इस सीट से लगभग 20 सालों तक सांसद रह चुकी है.
प्रियंका गांधी वाड्रा- इस चुनाव में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा मैदान में नहीं उतरी हैं. उन्होंने इसके पीछे की वजह भी साफ की है. दरअसल एक इंटरव्यू के दौरान प्रियंका ने कहा था कि अगर वो और राहुल गांधी दोनों एक साथ चुनाव लड़ते हैं, तो ठीक से प्रचार करने का मौका नहीं मिल पाता.
अखिलेश यादव- सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस लोकसभा चुनाव में कन्नौज सीट से पर्चा दाखिल किया है. इसी सीट पर पहले सपा ने तेज प्रताप यादव को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन कार्यकर्ताओं के दबाव को देखते हुए सपा प्रमुख ने खुद इस सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया. कन्नौज में अखिलेश का मुकाबला भाजपा के सुब्रत पाठक से है.
उत्तर प्रदेश के कन्नौज सीट से ही अखिलेश यादव पहली बार लोकसभा पहुंचे थे. इसी लोकसभा सीट पर अखिलेश यादव ने साल 2000 में हुए उपचुनाव में पहली बार चुनाव लड़ा और जीता था. वो इस सीट से साल 2004 और 2009 में भी सांसद चुने गए थे. हालांकि साल 2012 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के बाद अखिलेश ने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी डिंपल यादव निर्विरोध सांसद चुनी गई थीं.
राज्यवार ये हैं प्रमुख मुद्दे
पश्चिम बंगाल और असम: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में ममता सरकार पर कई चुनावी रैलियों में जमकर निशाना साधा. पीएम मोदी ने आरोप लगाया था कि TMC पश्चिम बंगाल में भ्रष्टाचार और हिंसा की खुली छूट चाहती है. इन दोनों राज्यों में पीएम मोदी अपनी गारंटी के साथ मैदान में उतरे थे. उन्होंने केंद्र सरकार के विकास कार्य, भ्रष्टाचार, बंगाल में हिंसा को लेकर लगातार ममता सरकार को घेरा.
वहीं ममता बनर्जी भी बीजेपी को बंगाल विरोधी बताकर यह नैरेटिव सेट करने की कोशिश कर रही हैं कि टीएमसी सरकार को केंद्र का सहयोग नहीं मिल रहा है.असम में भी कमोबेश इन्हीं मुद्दों पर चुनाव लड़ा गया.
उत्तर प्रदेश: इस राज्य में चुनाव प्रचार के पहले दिन ही पीएम मोदी ने भ्रष्टाचार पर करारे प्रहार कर ये जता दिया था कि लोकसभा चुनाव में यह बड़ा मुद्दा बनने जा रहा है. पीएम ने इस प्रदेश में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण ठुकराने के लिए विपक्ष को घेरकर पश्चिमी यूपी का नरैटिव सेट कर दिया था.
इसके जवाब में अखिलेश यादव ने अग्निवीर, कृषि कानून, पेपर लीक और विपक्ष के नेताओं की गिरफ्तारी जैसे मुद्दों पर बीजेपी को घेरने की कोशिश की.
बिहार: इस राज्य में चुनाव से कुछ महीने पहले ही नीतीश कुमार NDA में शामिल हो गए थे, जिसके बाद प्रचार के दौरान बीजेपी ने लोगों को आरजेडी शासन के समय हुए भ्रष्टाचार, जंगलराज को याद दिलाकर केंद्र सरकार की उपलब्धियां को मुद्दा बनाया. पीएम मोदी ने पूर्णिया की एक रैली में देश की उपलब्धियों के साथ जंगलराज-भ्रष्टाचार और सनातन का भी जिक्र किया था.
यहां बीजेपी परिवारवाद को लेकर भी लगातार हमलावर है. उधर तेजस्वी यादव रोजगार, महंगाई को मुद्दा बनाकर भाजपा पर हमलावर हैं.
मध्य प्रदेश-महाराष्ट्र: इन राज्यों में गरीबी, दलित आदिवासी मुख्य मुद्दा हैं. खास तौर से मध्य प्रदेश में एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों ने ही चुनाव प्रचार के दौरान इन मुद्दों पर फोकस किया है. पीएम नरेंद्र मोदी ने अपनी रैलियों में लगातार गरीब आदिवासियों के लिए सरकार द्वारा किए गए कामों का जिक्र किया.
बीजेपी ने तरकश में भ्रष्टाचार, कांग्रेस की नाकामी, राम मंदिर और मोदी की गारंटी को भी मुद्दा बनाया. वहीं राहुल गांधी ने यहां दलित आदिवासियों का जिक्र करने के साथ-साथ जाति जनगणना और किसानों को मुद्दा बनाया. महाराष्ट्र में भी बीजेपी दलित आदिवासी, भ्रष्टाचार और मोदी की गारंटी के साथ मैदान में उतरी है, जबकि इंडिया गठबंधन ने यहां अग्निवीर, बेरोजगारी, महंगाई, किसानों को मुद्दा बनाया.
सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी या गठबंधन को बहुमत के लिए कितनी सीटें चाहिए होंगी?
भारत में बहुमत के लिए किसी भी पार्टी, दल या गठबंधन को 272 सीटें हासिल करनी होती हैं.
पीएम मोदी को वाराणसी लोकसभा सीट से पिछले लोकसभा चुनाव में कितने फीसदी वोट मिले थे?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वाराणसी सीट से पिछले लोकसभा चुनाव यानी 2019 के इलेक्शन में कुल पड़े वोटों में से 63.62% (6,74,664) वोट मिले थे.
उत्तर प्रदेश के बाद भारत में सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाला राज्य कौन सा है ?
उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा सीटें हैं इसके बाद नाम आता है महाराष्ट्र का. यहां 48 संसदीय सीटें हैं. इसके बाद तीसरे स्थान पर पश्चिम बंगाल का नाम दर्ज है जहां 42 लोकसभा सीटें हैं.