मुंबई: रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के उस दावों की पुष्टि की है जिसमें उन्होंने कहा था कि न्यूनतम आय गारंटी के लिए उनसे सलाह ली गई. रघुराम राजन ने कहा, ''यह योजना लागू करने लायक है. बीजेपी ने नकदी हस्तांतरण और कांग्रेस ने न्याय योजना के वादे के जरिये यह दिखाया है कि गरीबी दूर करने के लिये नकद हस्तांतरण ही बेहतर मार्ग है.''


आपको बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष ने जयपुर में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि हमने न्यूनतम आय गारंटी के संबंध में पूर्व गवर्नर रघुराम राजन समेत बड़े अर्थशास्त्रियों से 6 महीने तक बात की. पहली बात सामने आई कि न्यूनतम आय की रेखा बनानी पड़ेगी और वो रेखा ₹12,000 हर महीने के रूप में सामने आई.


रघुराम राजन ने बुधवार को नरेन्द्र मोदी सरकार के ‘न्यूनतम सरकार- कारगर प्रशासन’ के वादे पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि मोदी के शासन में सरकार ने बिना किसी अंकुश के अधिक ताकत हासिल की और इस दौरान कई तरह की अक्षमतायें पैदा हुई.


इस जाने माने अर्थशास्त्री ने कहा कि इस तरह के शासन से सरकार पर निर्भर और कमजोर निजी क्षेत्र के सामने कोई विकल्प नहीं रह गया और उसे सरकार की हर तरह के फैसले की प्रशंसा और ताली बजाने पर मजबूर होना पड़ा.


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राजन ने यहां अपनी एक पुस्तक ‘‘द थर्ड पिलर’ के अनावरण के मौके पर कहा, ‘‘सवाल यह खड़ा होता है कि हम इस मामले में (न्यूनतम सरकार- कारगर प्रशासन) के वादे पर कितना खरा उतरे हैं? मेरा मानना है कि हम लगातार बाबुओं और नौकरशाही पर ही लगातार अधिक से अधिक निर्भर रहे हैं.’’


राजन सितंबर 2013 से सितंबर 2016 तक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे हैं. उसके बाद वह अमेरिका की शिकागो विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के तौर पर काम करने लगे.


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क्या है न्यूनतम आय गारंटी (न्याय)?
राहुल गांधी ने वादा किया है कि अगर कांग्रेस की सरकार बनती है तो देश के 20 प्रतिशत गरीबों को सालाना 72,000 रुपये सीधे खाते में दिये जाएंगे. इससे करीब 5 करोड़ गरीबों को लाभ मिलेगा.