Lok Sabha Election 2019: आंध्र प्रदेश में टीडीपी के दो सासंदों के पार्टी छोड़ने के बाद कांग्रेस को भी बड़ा झटका लगा है. आंध्र प्रदेश की वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने मंगलवार को वाईएसआर कांग्रेस में शामिल होने के फैसले की घोषणा की. किल्ली कृपारानी ने वाईएसआर कांग्रेस के प्रमुख वाई.एस.जगनमोहन रेड्डी से उनके लोट्स पॉन्ड आवास पर मुलाकात की और अमरावती में औपचारिक रूप से 28 फरवरी को पार्टी में शामिल होने के अपने फैसले के बारे में बताया.


किल्ली कृपारानी, पूर्व केंद्रीय मंत्री रह चुकी हैं. वीएसआर कांग्रेस में शामिल होने के अपने फैसले के बारे में जानकारी देते हुए कृपारानी ने कहा कि वह पिछड़े वर्ग के लिए जगनमोहन रेड्डी के वादों से काफी प्रभावित हैं.


बता दें कि कृपारानी ने कांग्रेस के तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के साथ गठबंधन का विरोध किया था. उन्होंने मुख्यमंत्री एन.चंद्रबाबू नायडू पर आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने के मुद्दे से यू- टर्न लेने का आरोप लगाया. कृपारानी 2009 में श्रीकाकुलम निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुई थीं, लेकिन वह 2014 का चुनाव हार गईं थीं.


इससे पहले मलापुरम के सासंद पांडुला रवींद्र बाबू ने चंद्रबाबू नायडू का साथ छोड़ते हुए विरोधी जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस ज्वाइन कर ली. सासंद अवंती श्रीनिवास भी टीडीपी को छोड़कर वाईएसआर कांग्रेस का हिस्सा बन चुके हैं.


आंध्र प्रदेश: एक और एमपी ने छोड़ा चंद्रबाबू नायडू का साथ, पांडुला रवींद्र बाबू वाईएसआर कांग्रेस में शामिल हुए


बात अगर 2014 के लोकसभा चुनाव की करें तो उस वक्त तेलंगाना का गठन नहीं हुआ था. चुनाव से ठीक पहले चंद्रबाबू नायडू की पार्टी ने बीजेपी से गठबंधन किया था और वह राज्य की 42 लोकसभा सीटों में से 16 पर जीती थी, जबकि सहयोगी बीजेपी के हिस्से में तीन सीट आई थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में टीआरएस को 11, वाईएसआर कांग्रेस को 9 और कांग्रेस को 2 सीटों पर जीत मिली थी. औवेसी को हैदराबाद की सीट पर जीत मिली थी.