Goa Assembly Elections 2022: गोवा में विधानसभा चुनावों को लेकर गहमागहमी मची हुई है. गोवा वैसे तो सीट के हिसाब से कई राज्यों की तुलना में बहुत छोटा है, लेकिन यहां की दल बदल की सियासत बड़े-बड़े सियासतदानों को सियासी ककहरा सिखा देने की कूवत रखती है. जीत से ज्यादा नेताओं के दलबदल का सवाल है, इसलिए कांग्रेस मंदिर, मस्जिद और चर्च के चक्कर लगा रही है. पढ़ें ये रिपोर्ट.


साल 2017 की जैसी स्थिति फिर ना बन जाए, इसके लिए कांग्रेस चुनाव से पहले ही पूरी तैयारी कर रही है. कांग्रेस के गोवा प्रभारी पी चिदंबरम की मुश्किलें बढ़ी हुई है, ऐसा इसलिए क्योंकि गोवा की दलबदल वाली सियासत का कोई सानी नहीं है. साल 2017 में कांग्रेस के कई विधायकों ने पाला बदल लिया था. फिलहाल विधानसभा में कांग्रेस के सिर्फ दो सदस्य हैं.


दल-बदल वाली सियासत पर ADR का खुलासा


ADR की रिपोर्ट की मुताबिक, साल 2017 से 2022 के बीच 5 साल में गोवा के लगभग 60 फीसदी विधायकों ने दलबदल किया. करीब 24 विधायकों ने जीत के बाद अपना पाला बदला. भारतीय लोकतंत्र के लिए ये आंकड़ा चौंकाने वाला है. 2017 के बाद से कांग्रेस के 17 विधायकों में से 15 पाला बदल चुके हैं. 2019 में इसमें से 10 विधायकों ने एक साथ हाथ छोड़ कमल का फूल थाम लिया.


इसी बीच बीजेपी को गोवा में बड़ा झटका लगा है. गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर जो कुछ दिनों पहले तक बीजेपी नेता थे, टिकट नहीं मिलने पर बागी हो गए. उन्होंने मन्द्रे विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलान कर दिया और मौजूदा विधायक और बीजेपी उम्मीदवार दयानंद सोप्टे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया.


उत्पल पर्रिकर को लेकर भी मची गहमागहमी


तो वहीं मनोहर पर्रिकर के बेटे उत्पल पर्रिकर को लेकर भी काफी गहमागहमी है. उत्पल दिवंगत बीजेपी नेता मनोहर पर्रिकर के बेटे हैं. लेकिन वो निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में उतर रहे हैं. सभी पार्टियों ने पहले तो टिकट के उत्पल पर डोरे डाले लेकिन बात नहीं बनी तो अब उनको बिना किसी शर्त के समर्थन देने की बात कर रही हैं.


बता दें कि गोवा की 40 विधानसभा सीटों के लिए वोटिंग 14 फरवरी को होगी. नतीजे 10 मार्च को आएंगे. लेकिन गोवा की सियासत के इतिहास को देखते हुए नतीजों से ज्यादा गोवा में जीत के बाद क्या होता है, ये देखना दिलचस्प रहेगा.


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