(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Goa Election 2022: गोवा में क्यों इतना अहम है माइनिंग का मुद्दा, हर राजनीतिक दल के चुनावी वादों में है शामिल - जानिए पूरी कहानी
Resumption of Mining: इस बार चुनाव में बेरोजगारी, कसीनो जैसे कई मुद्दे हैं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से बंद पड़ी माइनिंग के मुद्दे ने हवा पकड़ ली है.
Goa Election Mining: गोवा में 14 फरवरी को विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे. पिछले 10 साल से गोवा की सत्ता पर बीजेपी का कब्जा है, लेकिन इस बार बीजेपी को सत्ता से हटाने के लिए कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस ने भी पूरा जोर लगाया है.
राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र में माइनिंग शुरू करने का वादा
इस बार चुनाव में बेरोजगारी, कसीनो जैसे कई मुद्दे हैं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से बंद पड़ी माइनिंग के मुद्दे ने हवा पकड़ ली है. कई राजनीतिक पार्टियों ने जनता से वादा किया है कि सरकार बनी तो गोवा के राजस्व के लिए अहम माइनिंग को फिर एक बार शुरू कर दिया. लेकिन आखिर गोवा के लिए माइनिंग का मुद्दा क्यों अहम है? इस स्पेशल रिपोर्ट में पढ़िए...
शानदार समुद्री किनारे के साथ प्राकृतिक सौंदर्य की वजह से दुनिया भर के पर्यटकों का गोवा हमेशा सही पसंदीदा डेस्टिनेशन रहा है. टूरिज्म के अलावा माइनिंग भी गोवा के राजस्व में अहम भूमिका निभाती रही है. यही वजह है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में माइनिंग का मुद्दा चुनावी हो गया है.
राजस्व का बड़ा जरिया है माइनिंग
गोवा विधानसभा चुनाव में माइनिंग बड़ा मुद्दा इसलिए बन गया है, क्योंकि कोविड की वजह से राज्य की अर्थव्यवस्था पहले ही संकट में है, दूसरी तरफ बेरोजगारी बढ़ रही है. माइनिंग गोवा के लिए राजस्व का एक बड़ा जरिया रहा है, लेकिन अवैध खनन के आरोपों के बाद साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने माइनिंग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया जिसने लाखों लोगों के लिए आज मुश्किल खड़ी कर दी है.
गोवा के पहाड़ों के नीचे लाखों टन आयरन दबा हुआ है. लेकिन 2018 में आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से गोवा की 90 के करीब माइंस पूरी तरह से बंद है. शिरगांव के रहने वाले अमित गांवकर ने माइनिंग उद्योग को देखते हुए साल 2011 में बैंक से 15 लाख का लोन लेकर ट्रक खरीदा जिसे माइनिंग कंपनी में लगाकर महीने के 50 हजार की कमाई हो सके, लेकिन माइनिंग बंद है और आज तक अमित का ट्रक बंद पड़ा है. कोई काम ना मिलने की वजह से ट्रकों पर भी जंग लग गई है.
माइनिंग उद्योग से जुड़े लाखों लोग हुए प्रभावित
जानकारी के मुताबिक माइनिंग उद्योग से डायरेक्ट इनडायरेक्ट ढाई लाख के करीब लोग जुड़े थे. उद्योग पर लगे प्रतिबंध की वजह से शिरगांव में हर घर के बाहर एक ट्रक खड़ा दिख जाएगा. लोग माइनिंग उद्योग को शुरू करने की गुहार सुप्रीम कोर्ट और प्रधानमंत्री मोदी से भी हाथ जोड़कर कर रहे हैं.
हफ्ते भर बाद गोवा की जनता अपनी नई सरकार चुनने के लिए मतदान करेगी, लेकिन उससे पहले सियासी दल माइनिंग शुरू करने का वादा जनता से कर रहे हैं, इसमें सत्ता में बैठी बीजेपी भी पीछे नहीं है. बीजेपी ने भी 2022 के विधानसभा चुनाव के 22 वादों में से एक वादा माइनिंग शुरू करने का किया है.
पर्यावरण को लेकर भी चिंता
उधर गोवा में पर्यावरण के लिए लड़ रहे और माइनिंग के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने वाले राकेश केलकर ने सियासी दलों के इस वादे को गोवा के खिलाफ बताया है. केलकर का कहना है कि अवैध माइनिंग की वजह से गोवा में पानी का जल स्तर कई फुट तक नीचे चला गया, जिससे खेती को बड़ा नुकसान पहुंचा था.
गोवा माइनिंग का विषय सामाजिक और आर्थिक तौर पर राजनीति में दूरगामी परिणाम करने वाला है. विधानसभा चुनाव में हर पार्टी माइनिंग शुरू करने का दावा कर रही है लेकिन सच्चाई यह है कि इसका रोडमैप क्या होगा यह फिलहाल कोई पार्टी दिखाने में कामयाब नहीं हो पाई है. इसे सिर्फ जनता के लिए एक चुनावी वादे के तौर पर रखा गया है.