Gujarat Elections 2022: गुजरात में 2007 विधानसभा चुनाव में दो दिग्गज नेताओं की जीत का रिकॉर्ड तोड़ना 2022 के चुनाव में किसी भी नेता के लिए मुमकिन नहीं है. ये दो नेता हैं- पूर्व सिंचाई मंत्री नरोत्तम पटेल और गृह मंत्री अमित शाह. इन दो राजनेताओं को आने वाले सालों में चुनौती नहीं दी जा सकेगी.
नरोत्तम पटेल ने 3.47 लाख और अमित शाह ने 2.36 लाख वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी. 2022 विधानसभा चुनाव की दौड़ में शामिल नेताओं के लिए इस मार्जिन के आस-पास पहुंच पाना भी सबसे बड़ी चुनौती है. चलिए आपको बताते हैं इसके पीछे की वजह. दरअसल, 2012 की परिसीमन प्रक्रिया इसका सबसे बड़ा कारण है. राज्य में अब 172 निर्वाचन क्षेत्र हैं, जहां चोर्यासी (सूरत) में पटेल के 2007 के मार्जिन से भी कम वोटिंग आबादी है. ऐसे में इतनी बड़ी जीत हासिल करना किसी भी नेता के लिए नामुमकिन है.
परिसीमन अभ्यास (Delimitation Exercise) ने जनगणना के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों को फिर से तैयार किया, जिससे मतदाताओं की संख्या और सीटों में बड़ा बदलाव हुआ है. 2007 में चोर्यासी निर्वाचन क्षेत्र में 15.94 लाख मतदाता थे, जबकि शाह के सरखेज (अहमदाबाद) में 10.26 लाख मतदाता थे.
परिसीमन के बाद कितनी गिरी मतदाताओं की संख्या
परिसीमन के बाद चोर्यासी निर्वाचन क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या घटकर 5.65 लाख हो गई है, हालांकि यह अभी भी गुजरात में सबसे ज्यादा है. सूरत नॉर्थ में सबसे कम 1.63 लाख हैं. गुजरात की 182 सीटों पर मतदाताओं की औसत संख्या 2.70 लाख है. केवल 10 निर्वाचन क्षेत्र ऐसे हैं जहां मतदाताओं की संख्या पटेल की 2007 की जीत के अंतर से ज्यादा है.
दूसरी सीटों में मिलाए गए चोर्यासी सीट के कई हिस्से
दरअसल, 2012 में सरखेज को भंग कर दिया गया था और वेजलपुर विधानसभा सीट को तराशने के लिए पास के घाटलोडिया और दसक्रोई निर्वाचन क्षेत्रों में मिला दिया गया था. चोर्यासी की बात करें तो निर्वाचन क्षेत्र के कुछ हिस्सों को आसन्न विधानसभा सीटों में मिला दिया गया था. यहां तक कि बीजेपी की नरोदा विधायक माया कोडनानी का 2007 में 1.8 लाख वोटों का अंतर भी उस निर्वाचन क्षेत्र में टूटा नहीं है.
2007 में शाह को 4.07 लाख वोट मिले और उन्होंने अपने कांग्रेस प्रतिद्वंद्वी शशिकांत पटेल को बुरी तरह से हराया था. इसी तरह चोरियासी में पटेल को 5.84 लाख वोट मिले थे. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस बार नरोडा में कोडनानी की 2007 की जीत का अंतर टूट सकता है, लेकिन पटेल और शाह के रिकॉर्ड नहीं टूट सकेंगे.
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