गुजरात: सीटें जीतने को लेकर AIMIM का बयान, कहा- लोकतंत्र में हमेशा गुंजाइश, वरना सद्दाम हुसैन जैसा शासन हो जाता
Aimim के राष्ट्रीय अध्यक्ष से जब पूछा गया कि क्या आपको लगता है कि आप या एआईएमआईएम जैसी पार्टियों के गुजरात में अधिक सीटें जीतने की संभावना है? इसका जवाब उन्होंने बड़ा दिलचस्प दिया है.
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Gujarat Assembly Election 2022: असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन इस बार गुजरात विधानसभा चुनाव में 40 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कह रही है. ये सभी सीटें ऐसी होंगी जहां मुस्लिम वोटर्स निर्णायक भूमिका में हैं. इस बार गुजरात में आम आदमी पार्टी और AIMIM कितनी सीटें जीतेंगी इसको लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा लगातार हो रही है. क्या इस बार भी गुजरात में मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही होगा या AIMIM और आप मुकाबले को दिलचस्प बनाएगी. इस सवाल को लेकर AIMIM के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इंडियन एक्प्रेस से अपनी बात कही है.
असदुद्दीन ओवैसी से जब पूछा गया कि क्या आपको लगता है कि आप या एआईएमआईएम जैसी पार्टियों के गुजरात में अधिक सीटें जीतने की संभावना है? इस पर उन्होंने कहा,'' लोकतंत्र में हमेशा एक गुंजाइश रही है और हमेशा रहेगी. लोकतंत्र में बहुदलीय व्यवस्था की गुंजाइश हमेशा होती है. यदि यह एक तानाशाही शासन में बदल जाता है या सद्दाम हुसैन या उत्तर कोरिया के लोकतंत्र के समान हो जाता है, तो आपके सामने एक ऐसी पार्टी होती है जिसे 90% वोट मिलते हैं. शुक्र है कि हम अभी उस स्तर पर नहीं हैं. हमारे पास लोकतंत्र है. लोकतंत्र की खूबी यह है कि यह अलग-अलग आवाजों और अलग-अलग पार्टियों का जश्न मनाता है.''
गुजरात में मुसलमानों का प्रभाव
2011 की जनगणना के अनुसार, गुजरात राज्य में हिंदू बहुसंख्यक हैं. हिंदू धर्म गुजरात की आबादी का 88.57 फीसदी है. गुजरात में मुस्लिम आबादी कुल 6.04 करोड़ में से 58.47 लाख (9.67 प्रतिशत) है. गुजरात में ईसाई आबादी कुल 6.04 करोड़ में से 3.16 लाख (0.52 प्रतिशत) है. हालांकि ये डाटा साल 2011 का है तो इसमें अंतर हो सकता है.
अब आपको बता दें कि राज्य में मुस्लिम आबादी बेशक कम हो लेकिन 34 विधानसभा क्षेत्रों में, मुस्लिम मतदाताओं की आबादी 15 प्रतिशत से अधिक है.
वहीं गुजरात में 20 विधानसभा क्षेत्र हैं जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 20 प्रतिशत से अधिक है. इन 20 सीटों में से चार अहमदाबाद जिले में हैं जबकि तीन-तीन भरूच और कच्छ जिले में हैं.
इन आंकड़ों को देख कर कोई भी कह सकता है कि राज्य में कई सीटों पर मुस्लिम वोटर्स उम्मीदवार की जीत और हार तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या मुस्लिम वोटर्स ओवैसी की पार्टी को वोट देंगे? अगर मुस्लिम वोटर्स का वोट ओवैसी की पार्टी को मिलती है तो ये सीधे तौर पर उनके उम्मीदवार की जीत में बड़ी भूमिका निभाएगा.
सिर्फ मुसलमानों के वोट से नहीं जीत सकते
जमालपुर-खड़िया के मौजूदा विधायक इमरान खेड़ावाला ने द इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक साक्षात्कार में एआईएमआईएम के इरादों पर सवाल उठाया था. उन्होंने कहा “मेरी सीट का मुस्लिम-हिंदू अनुपात 60:40 है, लेकिन अगर मुझे हिंदू समुदाय के वोट नहीं मिले तो मैं जीत नहीं सकता. AIMIM सीधे तौर पर बीजेपी को फायदा पहुंचाएंगे.''
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