Gujarat Assembly Elections 2022: गुजरात में चुनावी सरगर्मियां काफी तेज हो गई हैं. सभी राजनैतिक पार्टियों ने पूरी ताकत इस चुनाव में झोंक दी है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) पिछले 27 सालों से इस प्रदेश में सत्ता में है. इस बार के विधानसभा चुनाव में सूरत जिले में लिंबायत विधानसभा क्षेत्र में कुल 44 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन पर्चा भरा है. इस विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय नामांकन पर्चा भरने वाले वसीम शेख ने 'दि इंडियन एक्सप्रेस' से बात करते हुए कहा कि वह एक कपड़ा मील में दिहाड़ी मजदूर हैं. कुछ दिन पहले उनके दोस्तों द्वारा कुछ पेपर पर उनसे साइन कराया गया था. वसीम शेख का भी नाम उन 30 मुस्लिम उम्मीदवारों की लिस्ट में शामिल है, जिन्होंने लिंबायत विधानसभा से नीर्दलीय नामांकन पर्चा भरा है.
लिंबायत विधानसभा सीट नवसारी लोकसभा क्षेत्र के अंदर आता है. इस विधानसभा सीट से गुजरात बीजेपी अध्यक्ष सीआर पाटिल विधायक हैं. लिंबायत विधानसभा क्षेत्र में करीब 30 फीसदी मुस्लिम समुदाय के लोग हैं. इस विधानसभा सीट पर पहले चरण में मतदान 1 दिसंबर को होगा. वसीम शेख का कहना है कि उन्हें बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि वह चुनाव लड़ने वाले हैं. वहीं दूसरे चरण का मतदान 5 दिसंबर को होगा
सूरत पूर्व विधानसभा सीट
गुजरात के सूरत पूर्व विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी ने असलम फिराजो भाई को अपना उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी के तरफ से अरविंद भाई राणा मैदान में हैं. वहीं आप के तरफ से कंचन जरीवाला को उम्मीदवार बनया गया है. सूरत पूर्व से कुल 14 प्रत्याशी इस बार चुनावी मैदान में उतरे हैं. कांग्रेस प्रत्याशी ने आरोप लगाया है कि बीजेपी ने मुस्लिम वोट काटने के लिए ऐसे उम्मीदवारों को पैसे देकर खड़े किए हैं. इस विधानसभा सीट पर 8 निर्दलीय उम्मीदवारों में से सात मुस्लिम चेहरे हैं. इस सीट पर भी पहले चरण में मतदान होने वाले हैं.
कांग्रेस का आरोप
कांग्रेस के सूरत पूर्व सीट के उम्मीदवार असलम फिरोजभाई ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस सीट के 2.15 लाख मतदाताओं में से 43 प्रतिशत मुस्लिम हैं. सभी जानते हैं कि बीजेपी ने इन तथाकथित निर्दलीय उम्मीदवारों को चुनावी रण में उतारकर अल्पसंख्यकों का वोट काटने का प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि अगर सीआर पाटिल को अपने निर्वाचन क्षेत्र के तहत इस सीट को जीतने का इतना ही भरोसा था, तो उन्हें इस तरह के हथकंडे अपनाने की जरूरत क्यों महसूस हुई? शिवसेना के इस सीट के उम्मीदवार खेर परेश आनंदभाई ने भी बीजेपी पर कुछ इस तरह के आरोप लगाए हैं. वह सूरत विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. सूरत के एक बीजेपी नेता ने इन आरोपों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि 2017 के चुनावों में इन सीटों पर पार्टी को जीत आसानी से मिली थी.
जानें निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ने को लेकर क्या कहा
1- सैय्यद सुरैया लतीफ, जो लिम्बायत से निर्दलीय प्रत्याशी हैं. वह घर सहायिका के रूप में काम करती हैं. उन्हें इस बार इसका अनुभव हासिल करना था इसलिए चुनाव के मैदान में उतर गयी हैं.
2- हामिद शेख लिम्बायत से पांचवीं बार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. उन्हें चुनाव पसंद है. वह ट्रांसपोर्ट सेक्टर में कमीशन एजेंट के तौर पर काम करते हैं.
3- हमीद माधवसंग राणा लिम्बायत में एक टूर एंड ट्रैवल एजेंसी के लिए कमीशन एजेंट के रूप में काम करते हैं. उनकी पत्नी सायराबानू, जो लिंबायत से भी चुनाव लड़ रही हैं. उनका कहना है कि दोनों पति-पत्नी ने कोविड के दौरान विभिन्न तरीकों से लोगों की मदद की है. सायराबानू एक गृहिणी हैं. उन्होंने कहा कि बीजेपी द्वारा वोट बांटने के लिए हमें फंसाने के कांग्रेस के सारे आरोप झूठे हैं.
4. शेखलाल समीर शाह लिम्बायत सीट से निर्दलीय पर्चा भरा है. अभी वह कहीं काम नहीं कर रहे हैं. वह अपने क्षेत्र में लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए चुनाव लड़ रहे हैं. क्षेत्रों के लोगो की दुर्दशा से उनको पीड़ा होती है.
5.अय्यूब शाह जो लिम्बायत में किराए पर ऑटोरिक्शा चलाते हैं, वह चुनाव इस लिए लड़ रहे हैं ताकि उनको ज्यादा से ज्यादा लोग पहचान पाए. शाह अपने परिवार के साथ हिंदू क्षेत्रों में चुनाव प्रचार करने जा रहे हैं.
6.मोहम्मद शेख पहली बार लिम्बायत से चुनाव लड़ रहे हैं. उन्होंने पहले स्थानीय निकाय चुनाव बसपा के प्रत्याशी के रूप में लड़ा है. शेख का कहना है कि वो चुनाव इसलिए लड़ रहे क्योंकि अन्य सियासी दल समुदायों के बीच भेदभाव की राजनीति करने में लगी रहती है.
7.इरफान पठान, सूरत पूर्व से चुनाव लड़ रहे हैं. वह सूरत नगर निगम के तहत आने वाले फ्लाईओवर के नीचे पार्किंग का प्रबंधन करते है. वह 10 साल पहले बीजेपी के साथ हुआ करते थे. बाद में उन्होंने अपने काम पर ज्यादा समय देने का फैसला किया था. इस बार उनके क्षेत्र के युवाओं ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया था.
8. शाहबुद्दीन जैनुद्दीन सूरत पूर्व सीट से नामांकन पर्चा भरा है. वह कार खरीदने और बेचने का कारोबार करती हैं. उनकी स्वर्गीय मां ने कांग्रेस से निकाय चुनाव लड़ा था. उनका कहना है कि अब वह किसी भी पार्टी से कोई भी ताल्लुक नहीं रखती हैं.
9. समीर फकरुद्दीन शेख सूरत पूर्व से चुनावी रण में हैं. वह कबाड़ के व्यापार में शामिल हैं. वह सामाजिक कार्य करना चाहते हैं. उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान लोगों की काफी मदद की थी. इसी वजह से उनके क्षेत्र के युवाओं ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया है.
10. मोहम्मद फारूक मुल्ला सूरत पूर्व सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. समाज की सेवा के लिए राजनीति को एक माध्यम के रूप में उपयोग करना चाहते है. इसलिए चुनाव लड़ रहे हैं. उनका कहना है कि वह किसी सियासी दल के साथ नहीं जुड़े हुए हैं.