Gujarat Elections 2022: जैसे-जैसे गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीख पास आ रही वैसे ही सभी पार्टियों के बीच जंग तेज़ होती जा रही है. गुजरात में चुनाव दो चरणों में होने हैं. पहले चरण की वोटिंग 1 दिसंबर और दूसरे चरण की 5 दिसंबर को वोटिंग होनी है. गुजरात चुनाव के नतीजे हिमाचल प्रदेश की 68 विधानसभा सीटों के नतीजों के साथ 8 दिसंबर को आएगें. गुजरात में कुल 182 सीटें हैं और बहुमत का आंकड़ा 92 है.
चुनाव के समय जब नेताओं को अपनी पार्टी से टिकट नहीं मिलता तो वह पार्टी बदल लेते हैं ताकि चुनाव लड़ सकें. गुजरात में भी यही हुआ है. बीजेपी ने 19 ऐसे नेताओं को इस विधानसभा चुनाव में टिकट दिया है जो कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे. यह नेता पिछले पांच वर्षों में पार्टी में बहुत तेज़ी के साथ शामिल हुए.
बीजेपी से भी ज्यादा आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के दलबदलू नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल किया और टिकट दिया. 25 से अधिक पूर्व राज्य स्तर के कांग्रेस नेताओं को आगामी विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों के रूप में आप ने नामांकित किया है. यह सभी नेता पिछले कुछ महीनों में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी में चले गए.
कांग्रेस पार्टी के कई अन्य निचले पायदान जिला और तालुका स्तर के पदाधिकारियों को आम आदमी पार्टी द्वारा टिकट बटवारें में शामिल किया गया है. पार्टी ऐसे कदम इसलिए उठा रही है क्योंकि पार्टी राज्य में अपना मूल बढ़ाना चाहती है.
कांग्रेस की राज्य इकाई के पूर्व अध्यक्ष कैलाश गढ़वी को आप ने मांडवी सीट से मैदान में उतारा है. कैलाश गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी (जीपीसीसी) के पूर्व अध्यक्ष बी के गढ़वी के बेटे हैं. आप में शामिल होने के अपने फैसले को सही ठहराते हुए गढ़वी ने कहा कि आप में शामिल होने वाले कई राज्य स्तरीय नेताओं के पास बीजेपी में शामिल होने का विकल्प था.
गढ़वी ने कहा, "अगर हम बीजेपी में शामिल होते तो हम में से कई लोगों को व्यक्तिगत लाभ होता , लेकिन मेरे जैसे लोग जो काम करना चाहते हैं वो आप में शामिल हुए हैं."
वही कांग्रेस पार्टी का ऐसा माना है कि जो नेता पार्टी का दामन छोड़ कर दूसरी पार्टी में शामिल हुए है उससे पार्टी के चुनाव नतीजों में कोई भी असर नहीं पड़ेगा.
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष दोशी ने कहा, "आप बीजेपी की बी-टीम है. कांग्रेस कार्यकर्ता पार्टी की विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध हैं. बीजेपी में शामिल होने वाले कई नेताओं को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है और राजनीतिक जीवन में उन्हें दरकिनार कर दिया गया है."