Gujarat Assembly Polls 2022: मुस्लिम के साथ कांग्रेस और BTP के कोर वोटर्स पर भी ओवैसी की निगाह
Gujarat Assembly Polls 2022: ऐसे दावे किए जा रहे हैं कि सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस और बीटीपी को ओवैसी की पार्टी से होता दिख रहा है.
Gujarat Assembly Polls 2022: गुजरात में एक दिसंबर को विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए वोटिंग होगी. सारे सियासी दल ज़मीन आसमान एक कर चुनाव प्रचार कर रहे हैं. जहां हर बार मुक़ाबला कांग्रेस, बीटीपी और बीजेपी के बीच हुआ करता था वहीं इस बार आम आदमी पार्टी और ओवैसी के नेतृत्व वाली आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन भी शामिल हो चुकी है. सभी दल एक-दूसरे के वोट बैंक को लुभाने में लगे हुए हैं.
दरअसल, पिछड़ा वर्ग और मुसलमान अब तक कांग्रेस के अलावा बीटीपी के कोर वोटर हुआ करते थे. इस बार AIMIM राज्य के मुस्लिम और दलित वोट बैंक पर पैनी नज़र बनाये हुए है. यह संकेत इस तरह दिख रहा कि ओवैसी ने गुजरात की मुस्लिम बहुल सीटों के साथ-साथ दलित बहुल विधानसभा सीटों पर भी अपने प्रत्याशी खड़े किये हैं. ओवैसी ने अहमदाबाद की आरक्षित सीट दाणीलिमडा पर कौशिक परमार को टिकट दिया है. ऐसी कई सीट है, जिस पर प्रत्याशी उतारकर ओवैसी, न सिर्फ कांग्रेस बल्कि, आप और बीटीपी के लिए परेशानी की वजह बन रहे हैं.
ओवैसी कैसे देंगें इस चुनाव में चुनौती:
- कांग्रेस, बीटीपी के साथ-साथ आप वोट बैंक छीनने की कोशिश
- मुस्लिम के साथ-साथ दलित वोट बैंक में भी सेंध लगाने का प्रयास
- मुस्लिम, दलित और आदिवासी बहुल क्षेत्रों में प्रत्याशी उतारे हैं
- कांग्रेस और बीटीपी के प्रमुख मतदाता-मुस्लिम दलित समुदाय है
- कांग्रेस-बीटीपी और आप को कमजोर कर बीजेपी को फायदा पहुंचा सकती है AIMIM
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार ओवैसी को कहीं न कहीं यह पता है कि वे अभी गुजरात में राज तो नहीं कर पायेगें लेकिन किंग मेकर बनने की कोशिश पूरी तरह कर रहे हैं. AIMIM के प्रत्याशियों के चुनाव मैदान में उतरने से वोट काफी कटेंगे. करीब ढाई दर्जन सीट अगर वे अपने हिस्से में कर लेते हैं और अच्छे वोट शेयर पर उनका कब्जा हो जाता है, तो अगले कुछ साल में वे किंग भले नहीं बने, लेकिन किंग मेकर की भूमिका में जरूर आ सकते हैं.
मुस्लिम बहुल क्षेत्रों पर ओवैसी की निगाह पहले से थी, मगर दलित सीटों पर भी उनके आने से बीजेपी को फायदा मिल सकता है. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के साथ-साथ भारतीय ट्राइबल पार्टी और कई निर्दलीय उम्मीदवारों का खेल भी ओवैसी बिगाड़ सकते हैं. AIMIM इस बार मुस्लिम, दलित और आदिवासी बहुल सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े कर रही है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर बीजेपी को वोट करने वाले दलित वोटर इधर से उधर नहीं हुए तो बीजेपी को नुकसान नहीं होगा, वरना ओवैसी की यह चाल बीजेपी को भी नुकसान पंहुचा सकती है.
ऐसी ही बात गोपालगंज विधानसभा उपचुनाव के परिणाम के बाद भी हुई थी जहां ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार अब्दुस्सलाम को गोपालगंज में 12212 वोट मिले थे. इस सीट पर भाजपा उम्मीदवार कुसुम देवी मात्र 1789 वोट से विजयी हुई थीं. 8854 वोट बीएसपी को भी मिले थे. यहां बीएसपी और AIMIM ने मिलकर यादव और मुस्लिम वोट में सेंध मारी की जो आरजेडी का परंपरागत वोट है, इससे बीजेपी उम्मीदवार को फायदा हुआ.