शिक्षा और सार्वजनिक रोजगार में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10% आरक्षण की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया है. मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, एस रवींद्र भट, बेला एम त्रिवेदी और जेबी पारदीवाला की 5 जजों की बेंच ने सात दिनों तक इस मामले पर चर्चा की और फिर फैसला सुनाया.


सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की बेंच ने संविधान के 103वें संशोधन अधिनियम 2019 की वैधता को बरकरार रखा, जिसमें सामान्य वर्ग के लिए 10% EWS आरक्षण प्रदान किया गया है. बता दें कि तीन न्यायाधीश अधिनियम को बरकरार रखने के पक्ष में जबकि दो न्यायाधीश ने इसपर असहमति जताई है.


2019 में व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया गया था
यहां आपको जानकारी दे दें कि केंद्र की मोदी सरकार ने 2019 में व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया था. सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए 10 प्रतिशत कोटा देने का फैसला किया था. गुजरात देश का पहला राज्य है जो सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षा में सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लोगों को भी 10 फीसदी आरक्षण देता है. गुजरात सरकार ने 14 जनवरी 2019 से इसे लागू कर दिया. राज्य सरकार ने घोषणा की थी कि सामान्य वर्ग में दस फीसदी आरक्षण ऐसे लोगों को हासिल होगा जिनका परिवार 1978 से राज्य में निवास कर रहा हो.


EWS वोटों का समीकरण
दो राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. हिमाचल की 68 तो पीएम मोदी के गृह राज्य गुजरात की 182 सीटों पर चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में सर्वण EWS वोटों का भी खास महत्व होगा.  आज सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया है उससे गुजरात ही नहीं हिमाचल प्रदेश में भी बीजेपी को फायदा मिल सकता है. बीजेपी को राज्य में उच्च जाति के हिंदुओं का 57 से 60 फीसदी वोट शेयर मिलने की पूरी संभावना है.


आइए पहले समझते हैं कि ईडब्ल्यूएस किसे कहते हैं?


आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को भारत में ईडब्ल्यूएस कहा जाता है. इस वर्ग में ऐसे लोग आते हैं जिनका वार्षिक पारिवारिक आय 8 लाख रुपये से कम है. इस श्रेणी में वे लोग शामिल हैं जो एसटी / एससी / ओबीसी की जाति श्रेणियों से संबंधित नहीं हैं जो पहले से ही आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं.


किनको होगा  फायदा
गुजरात में इस सर्वण आरक्षण से 1.5 करोड़ लोगों को फायदा मिलेगा जो आबादी का लगभग 28 फीसदी हैं. ईडब्ल्यूएस कोटे से जिन जातियों को फायदा होगा, वे हैं राजपूत, भूमिहार, ब्राह्मण और कायस्थ, बनिया और पाटीदार..


गुजरात में क्या है जाति समीकरण


ऊंची जातियां- 11% (लगभग)
पटेल / पाटीदार (अपर कास्ट)- 16% (लगभग)
राजपूत (अपर कास्ट)- 6%(लगभग)
राजपूत (अपर कास्ट)- 6%(लगभग)
कोली और ठाकोर-20%(लगभग)
एससी-एसटी और दलित- 21% (लगभग)
शेष ओबीसी-16%(लगभग)
मुस्लिम, सिख और ईसाई- 10% (लगभग)


हिमाचल में जाति समीकरण


राजपूत-32.72 फीसदी
एससी-25.22 फीसदी
ब्राह्मण-18 फीसदी
ओबीसी-13.52 फीसदी
एसटी-5.71 फीसदी
अन्य-4.83 फीसदी