Gujarat Assembly Election 2022: राज्य में बीजेपी के सामने होंगी ये चुनौतियां, जानिए विपक्ष के लिए चुनाव में क्या होंगे 'की फैक्टर'
पिछले दो साल से अधिक समय से बारिश से फसल को हुए नुकसान का मुआवजा नहीं मिलने को लेकर किसान राज्य के कई हिस्सों में आंदोलन कर रहे हैं. हाल ही में देश में किसानों का एक व्यापक आंदोलन भी हुआ था.
Gujarat Assembly Election 2022: गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 में इस बार हाई-वोल्टेज ड्रामा दिखने की पूरी संभावना है. आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस बनाम बीजेपी के मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने का दावा किया है. सत्तारूढ़ बीजेपी को न केवल एंटी इंकबेंसी का सामना करना है बल्कि आम आदमी पार्टी (आप) ने भी उसकी चुनौती को मुश्किल कर दिया है. पंजाब में अपनी प्रचंड जीत के बाद आत्मविश्वास से भरी आप अब गुजरात में फतह हासिल करना चाहती है. वहीं कांग्रेस भी नए अध्यक्ष के नेतृत्व में इस बार गुजरात में अपना 27 साल का राजनीति वनवास खत्म करना चाहती है.
ऐसे में जब मुकाबला त्रिकोणीय माना जा रहा है तो आइए जान लेते हैं वो की फैक्टर जो चुनाव में महत्वपूर्ण रहने वाले हैं...
1-एंटी इनकंबेंसी-
1995 के बाद से बीजेपी राज्य में सत्ता में है. बीजेपी पिछले 27 सालों से राज्य में सरकार चला रही है तो उसे एंटी इनकंबेंसी का सामना करना पड़ सकता है. समाज के कुछ वर्गों में असंतोष बढ़ा है. लोगों का मानना है कि बीजेपी के इतने वर्षों के शासन के बाद भी महंगाई, बेरोजगारी और जीवन से जुड़े बुनियादी मुद्दे अनसुलझे हैं.
2-मोरबी पुल ढहना-
मोरबी में जो हादसा हुआ है वो चुनाव में काफी प्रभाव डाल सकता है. विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है. मतदान के लिए जाते समय यह मुद्दा लोगों के दिमाग रह सकता है.
3-सरकारी नौकरी
बार-बार पेपर लीक होने और सरकारी भर्ती परीक्षाओं के स्थगित होने से सरकारी नौकरी पाने के लिए मेहनत कर रहे युवाओं की उम्मीदें धराशायी हो गई हैं, जिससे काफी नाराजगी है.
4-बिलकिस बानो मामले के दोषियों की जल्द रिहाई
गुजरात को संघ परिवार की हिंदुत्व प्रयोगशाला माना जाता है. बिलकिस बानो गैंगरेप और हत्या मामले में दोषियों की सजा में छूट का असर बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदायों के लिए अलग-अलग होगा. मुसलमान बिलकिस बानो के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं जबकि हिंदुओं का एक वर्ग इस मुद्दे की अनदेखी कर रहा है. ऐसे में यह मुद्दा कितना असरदार होगा यह देखना दिलचस्प होगा.
5-अल्पसंख्यक वोट बैंक
मुस्लिम, जो गुजरात की आबादी का लगभग 9% हिस्सा हैं, इस बार कांग्रेस को वोट देंगे या नहीं ये बड़ा सवाल है. ऐसे इसलिए क्योंकि असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम उन्हें लुभा रही है. वहीं आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने 'लव जिहाद' और बिलकिस बानो मामले के दोषियों की रिहाई जैसे सांप्रदायिक मुद्दों पर चुप्पी साध रखी है.
6-उच्च बिजली दर
गुजरात देश में सबसे अधिक बिजली दरों वाले राज्य में से एक है. आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की ओर से हर महीने 300 यूनिट मुफ्त देने के ऑफर का लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. दक्षिणी गुजरात चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने हाल ही में वाणिज्यिक बिजली दरों में कमी की मांग करते हुए कहा कि उन्हें प्रति यूनिट 7.50 रुपये का भुगतान करना होगा.
ऐसे में बिजली के उच्च दर को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है.
7-भूमि अधिग्रहण
विभिन्न सरकारी परियोजनाओं के लिए जिन किसानों व भूस्वामियों की भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है उनमें असंतोष है. उदाहरण के लिए, किसानों ने अहमदाबाद और मुंबई के बीच हाई-स्पीड बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण का विरोध किया. उन्होंने वडोदरा और मुंबई के बीच एक्सप्रेसवे परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण का भी विरोध किया. ऐसे में भूमि अधिग्रहण एक महत्वपूर्ण मुद्दा रह सकता है.
8-किसानों के मुद्दे
पिछले दो साल से अधिक समय से बारिश से फसल को हुए नुकसान का मुआवजा नहीं मिलने को लेकर किसान राज्य के कई हिस्सों में आंदोलन कर रहे हैं. हाल ही में देश में किसानों का एक व्यापक आंदोलन हुआ था.
9-ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव
यदि दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल कक्षाओं का निर्माण किया जाता है, तो शिक्षकों की कमी होती है और यदि शिक्षकों की भर्ती की जाती है, तो कक्षाओं की कमी है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और डॉक्टरों की कमी भी ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है. ऐसे में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव भी एक बड़ा मुद्दा हो सकता है.