Gujarat Assembly Election: गुजरात में 1 दिसंबर को पहले चरण में और 5 दिसंबर को दसरे चरण में मतदान होना है. 8 दिसंबर को चुनाव के नतीजे सबके सामने होंगे. बीजेपी इस बार गुजरात में जीत का सिक्सर लगाने की तैयारी में है. दो दशकों से भी ज्यादा समय से बीजेपी (BJP) गुजरात की सत्ता पर काबिज है. वहीं इस बार बीजेपी के सामने कांग्रेस (Congress) के साथ-साथ आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) भी चुनौती के रूप में खड़ी है. ऐसे में यह चुनाव त्रिकोणीय हो सकते हैं. इसी बीच चुनावी मौसम में यह जानना भी बेहद जरूरी हो जाता है कि गुजरात की जनता के मुद्दे राजनीतिक दलों के मुद्दों से कितना मेल खाते हैं. एबीपी सी-वोटर सर्वे (ABP C-Voter Survey) से आपको इसका जवाब भी मिल जाएगा. चलिए अब पहले आपको जनता के मुद्दे बताते हैं.


सर्वे में क्या सामने आया?


गुजरात में हो रहे विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते में हुए एबीपी-सी वोटर ने एक सर्वे किया है. सी वोटर ने गुजरात की जनता से सवाल पूछा कि गुजरात चुनाव के लिए इस बार सबसे बड़ा मुद्दा क्या है? इस सवाल का जवाब देते हुए गुजरात के लोगों ने बताया कि उनके लिए सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी है. 


लगभग 33 प्रतिशत लोगों ने बेरोजगारी को लेकर सवाल खड़े किए. वहीं 18 प्रतिशत लोगों के लिए बुनियादी सुविधाएं सबसे बड़ा मुद्दा है. 15 प्रतिशत लोगों के लिए किसान सबसे बड़ा मुद्दा तो वहीं कोरोना में सरकार का काम 4 प्रतिशत, महंगाई 5 प्रतिशत, कानून व्यवस्था 3 प्रतिशत, भ्रष्टाचार 6 प्रतिशत, राष्ट्रीय मुद्दे 2 प्रतिशत और 14 प्रतिशत ने अन्य मुद्दों को वोट दिया.


गुजरात विधानसभा चुनाव में ये मुद्दे भी बेहद अहम हैं-


बिलकिस बानो मामले के दोषियों को सजा पूरी होने से पहले माफी: गुजरात को संघ परिवार के हिंदुत्व की प्रयोगशाला माना जाता है. बिलकिस बानो सामूहिक दुष्कर्म और हत्याकांड में दोषी ठहराए गए लोगों की सजा कम करने का असर बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदायों के लिए अलग-अलग रहेगा. वहीं ऐसा माना जा रहा है कि हिंदू इस मुद्दे पर ध्यान नहीं देना चाहेंगे.


मोरबी पुल हादसा: मोरबी में 30 अक्टूबर को पुल गिरने से 135 लोगों की जान चली गई. इस घटना से प्रशासन और अमीर लोगों के बीच सांठगांठ सामने आई है. मतदान के लिए जाते समय लोगों के दिमाग में यह मुद्दा रह सकता है.


किसानों का मुद्दा: राज्य के अनेक हिस्सों में किसान आंदोलन कर रहे हैं क्योंकि उन्हें पिछले दो साल में अत्यधिक बारिश के कारण फसलों के नुकसान के एवज में मुआवजा नहीं दिया गया है.


बिजली के अधिक बिल: गुजरात देश में बिजली की सर्वाधिक दरों वाले राज्यों में शामिल है. लोग आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के 300 यूनिट बिजली प्रति महीने मुफ्त देने के वादों की ओर देख रहे हैं. सदर्न गुजरात चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने हाल में वाणिज्यिक विद्युत दरों को कम करने की मांग की थी.


भूमि अधिग्रहण: अनेक सरकारी परियोजनाओं के लिए जिन किसानों और भूस्वामियों की जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है, उनमें असंतोष है. किसानों ने अहमदाबाद और मुंबई के बीच हाईस्पीड बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण का विरोध किया था. उन्होंने वड़ोदरा और मुंबई के बीच एक्सप्रेसवे परियोजना के लिहाज से भूमि अधिग्रहण का भी विरोध किया.


राजनीतिक दलों का किन मुद्दों पर ध्यान है?


अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने 'सत्ता में आने के तीन महीने के भीतर' मुफ्त बिजली, बेरोजगार युवाओं के लिए 10 लाख नौकरियां और यहां तक ​​कि युवाओं को नौकरी न मिलने तक बेरोजगारी भत्ता देने का भी वादा किया है. वहीं कांग्रेस ने भी आप की बराबरी करने के लिए मुफ्त बिजली और 10 लाख नौकरियों का वादा किया है. 


उधर, प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने अपनी ओर से राज्य में 6,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का शुभारंभ किया. राज्य सरकार ने यह भी घोषणा की कि उसने गुजरात में एक समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के अधीन एक समिति का गठन किया था, केजरीवाल ने यह जानना चाहा कि पार्टी केवल राज्य में ही क्यों कर रही है, पूरे भारत में नहीं.


गुजरात बीजेपी ने अभी तक चुनावी घोषणापत्र जारी नहीं किया है. हालांकि, बीजेपी अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी करने से पहले मतदाताओं की इच्छा जानने के लिए लोगों तक पहुंचने के लिए एक अभियान शुरू करने के लिए तैयार है. गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष सीआर पाटिल शनिवार को पार्टी मुख्यालय में 'अग्रेसर गुजरात' या गुजरात अहेड नाम के इस अभियान की शुरुआत करेंगे.


ये भी पढ़ें- ABP C-Voter Opinion Poll: उत्तर और दक्षिण गुजरात में कौन मार रहा बाजी? सर्वे में हुए चौंकाने वाले खुलासे, इस पार्टी को लग सकता है झटका