Gujarat Assembly Elections: गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 में सभी पार्टियां अपनी सियासी चालों से एक दूसरे को पटखनी देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है, गुजरात चुनाव और दिलचस्प होता जा रहा है. यहां की 182 विधानसभा सीटों के लिए 1 और 5 दिसंबर को वोटिंग होनी है. जबकि चुनावी नतीजे 8 दिसंबर को आएंगे. 


वहीं, गुजरात चुनाव में सभी पार्टियों ने चुनाव प्रचार और प्रबंधन में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. बीजेपी की तरफ से खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार की कमान संभाली हुई है. कांग्रेस 27 साल के बाद सत्ता में वापसी करने की हरसंभव कोशिश कर रही है, पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी गुजरात में दो बड़ी रैलियों को संबोधित करने वाले हैं, वहीं आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल गुजरात के लगातार दौरे कर रहे हैं. 


सभी की निगाहें गुजरात पर टिकी हुई हैं, क्योंकि गुजरात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य है. गुजरात बीजेपी के लिए नाक की लड़ाई भी है, जिसे पार्टी कभी नहीं गंवाना चाहेगी. इसके साथ ही गुजरात में मजबूती से चुनाव लड़ रहीं तीनों पार्टियों की कुछ ताकत है तो वहीं कुछ कमियां भी हैं. आइए जानते हैं कि बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की कमी और मजबूती के बारे में... 


गुजरात में बीजेपी की ताकत, कमजोरी और खतरा क्या है?


ताकत:
गुजरात में बीजेपी की लगातार 1995 से सरकार है. यह पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का गृह राज्य भी है. जिन दो बड़े नेताओं की वजह से बीजेपी ने देश में अपने इतिहास में सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है उसका फायदा पार्टी को मिलेगा. गुजरात में पीएम मोदी सक्रिय रहते हैं, इसके अलावा पीएम गुजरात में कई बड़ी रैलियों को संबोधित करने वाले हैं.  


कमजोरी:
गुजरात में बीजेपी के खिलाफ ऐसा कुछ दिखाई नहीं देता जिससे कि सत्ता विरोधी लहर बने और विपक्ष को फायदा हो. लेकिन इसी महीने मोरबी में हुए हादसे से बीजेपी को नुकसान हो सकता है. क्योंकि पुल हादसे में कुल 135 लोगों की मौत हो गई थी और इसमें सरकार की कई कमियां खुलकर सामने आई थीं, जो मतदाताओं के दिमाग को प्रभावित कर सकता है. आम आदमी पार्टी से व्यापक रूप से कांग्रेस के वोटों को छीनने की उम्मीद की जा रही है, लेकिन अगर यह बीजेपी के समर्थन आधार में भी सेंध लगाती है तो इससे बीजेपी को परेशानी हो सकती है. 


इसके अलावा गुजरात में पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल को हटाना और भूपेंद्र भाई पटेल को नया मुख्यमंत्री बनाकर सत्ता सौंपना भी बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकता है.  


खतरा:
गुजरात में भारतीय जनता पार्टी की पिछले 27 साल से सरकार है. मगर, बीजेपी को इस बार कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी का सॉफ्ट हिंदूत्व और गुड गवर्नेंस की छवि खतरा बन सकती है. बीजेपी को 'आप' के चुनाव प्रचार में आक्रामक तेवर से पार पाना होगा वरना आम आदमी पार्टी बड़ा उलटफेर कर सकती है. 
 
गुजरात में कांग्रेस की ताकत, कमजोरी और खतरा क्या है?


ताकत: 
गुजरात में बीजेपी की मजबूत पकड़ का मतलब यह नहीं है कि यहां कांग्रेस कमजोर गो गई है. पिछले 2017 के चुनाव में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए 77 सीटें जीती थीं और बीजेपी को 99 सीटों पर समेट दिया था. इसके अलावा पिछले चुनाव में 35 ऐसी सीटें थीं, जिसपर हार का अंतर महज 5 हजार का था. कांग्रेस 15 सीटों पर एक से पांच हजार वोटों के मामूली अंतर से हारी थी. इस तरह कांग्रेस के पास अभी भी चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करते हुए सरकार बनाने का मौका है. 


कमजोरी:
गुजरात में कांग्रेस की आखिरी बार 27 साल पहले सरकार बनी थी. यानी कि 1995 में कांग्रेस की सरकार गई तो फिर अबतक दोबारा लौट कर नहीं आई. वहीं, अन्य दूसरे राज्यों की तरह ही गुजरात में भी कांग्रेस पार्टी अपने कमजोर संगठन और मुख्य बड़े चेहरों के नदारद होने की वजह से बेबस नजर आ रही है. पाटीदार नेता हार्दिक पटेल का बीजेपी में जाना कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है. क्योंकि हार्दिक पटेल जिस पाटीदार समुदाय से आते हैं उनका राज्य की राजनीति में खासा प्रभाव है.  


खतरा:
इस बार के चुनाव में आम आदमी पार्टी कांग्रेस के लिए नया खतरा बनकर उभरी है. अभी तक के चुनाव प्रचार में 'आप' की चर्चा जोरों पर होने लगी है, जिससे कांग्रेस के वोटरों में बंटवारा हो सकता है. 


गुजरात में आम आदमी पार्टी की ताकत, कमजोरी और खतरा क्या है?


ताकत: 
गुजरात में आम आदमी पार्टी पहला विधानसभा चुनाव लड़ाने जा रही है. पहली बार चुनाव लड़ने की वजह से वोटर बीजेपी और कांग्रेस के अलावा उसपर भी भरोसा कर सकते हैं. इसके साथ ही 'आप' गुजरात में भी दिल्ली मॉडल पर चल रही है जिसके तहत स्कूल, अस्पताल की बात कर रही है. वहीं, पार्टी को पंजाब में मिली बड़ी जीत से कार्यकर्ताओं में आत्मविश्वास है. 


कमजोरी:
यह आम आदमी पार्टी का गुजरात में पहला चुनाव है. पार्टी का संगठन बीजेपी और कांग्रेस के मुकाबले कमजोर है, 'आप' के पास पंजाब और दिल्ली जैसे बड़े चेहरे नहीं हैं. गुजरात में आम आदमी पार्टी सीएम केजरीवाल के चेहरे पर ही चुनाव लड़ रही है. अरविंद केजरीवाल का चेहरा और उनकी अपील शहरी सीटों और इसके आसपास ही असर कर सकती है, जिससे पार्टी ग्रामीण क्षेत्रों में कमजोर रह सकती है. 


खतरा:
आम आदमी पार्टी गोवा और उत्तराखंड में अपनी पूरी ताकत के साथ विधानसभा के चुनाव लड़ चुकी है, लेकिन पार्टी का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है. गोवा और उत्तराखंड में  'आप' के सामने मुकाबले में बीजेपी और कांग्रेस ही थे, गुजरात में भी यही दोनों बड़ी पार्टियां हैं. दोनों दलों का मजबूत पार्टी संगठन आम आदमी पार्टी के लिए खतरा बन सकता है.