Election Results: गुजरात में AAP ने पांच सीटें जीती तो क्यों याद आने लगी ओवैसी की AIMIM की पुरानी कहानी, कहीं फिर वही खेल न हो जाए
Election Results 2022: गुजरात चुनाव में आप अपनी जीत का खाता खोल चुकी है. हालांकि इस बीच एक पुरानी कहानी याद की जा रही है. आइए जानें कौन सी है वो कहानी.
Election Results 2022: गुजरात विधानसभा के चुनाव की तस्वीरें पूरी तरह से साफ हो चुकी है. बीजेपी ने अपनी प्रचंड जीत हासिल कर नया रिकॉर्ड कायम कर लिया है. वहीं, आम आदमी पार्टी गुजरात में भी अपना खाता खोलने में सफल रही है. आप ने राज्य में 5 सीटें हासिल की है. हालांकि अब राज्य में जीत मिलने के बाद आप को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल जाएगा क्योंकि दिल्ली और पंजाब में आप की सरकार है तो वहीं गोवा और गुजरात में आप कुछ सीटें हासिल कर सकी है जिससे अब लोगों के बीच कांग्रेस और बीजेपी के अलावा तीसरा विकल्प बन कर उभरेगी.
क्या आ सकती है AIMIM जैसी स्थिति
आप पहले गोवा में दो सीटें तो अब गुजरात में 5 सीटें हासिल कर चुकी है. इस जीत नें आप को राष्ट्रीय पार्टी बना दिया है लेकिन अभी भी आप की चुनौतियां खत्म नहीं हुई है. दरअसल आम आदमी पार्टी के पांच सीटें जीतने पर लोग एक पुरानी कहानी याद कर रहे हैं. कहानी बिहार विधानसभा चुनाव की है. लोग बातें कर रहे हैं कि आप के साथ एआईएमआईएम जैसा हाल हो सकता है यदि आप ने अपने विधायकों पर पकड़ नहीं बनाए रखी. दरअसल, पिछली विधानसभा चुनाव में बिहार में एआईएमआईएम ने 5 सीटें हासिल की थी. बाद में उसके विधायकों में चार आरजेडी में शामिल हो गए थे.
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान को छोड़कर 4 विधायक आरजेडी में शामिल हो गए थे. जिन विधायकों ने पार्टी का साथ छोड़ आरजेडी का दामन थामा उनमें शाहनवाज, मोहम्मद अनजर नईमी, मोहम्मद इजहार असफी और सैयद रुकनुद्दीन शामिल थे. एआईएमआईएम से 4 विधायकों के आरजेडी में शामिल होने से बिहार में वह सबसे बड़ी पार्टी बन गई थी. बता दें कि वर्तमान में आरजेडी के पास अब कुल 80 विधायक हैं जबकि बीजेपी के पास 78 विधायक हैं.
आप के लिए कड़ी चुनौती
गुजरात में भले ही आप कुछ सीटें हासिल करने में सफल रही हो, लेकिन अभी चुनौतियों के पहाड़ से आप को गुजरना होगा. यदि आप को गुजरात में एआईएमआईएम जैसी स्थिति का सामना करना पड़ा तो वह मिलने वाले राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खो सकती है. इसलिए आप के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि गुजरात में जीते आप के विधायक किसी भी अन्य दल में शामिल न हो जाए. आप को अपने विधायकों पर मजबूत पकड़ बनाए रखनी होगी.
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