Aam Aadmi Party Gujarat: गुजरात विधानसभा को लेकर कई अलग-अलग सर्वे में दावा किया जा चुका है कि भारतीय जनता पार्टी एक बार सत्ता में वापसी कर रही है. लेकिन इन सबके बीच सबकी नजरें आम आदमी पार्टी पर टिकी हुई हैं. सबके मन में एकमात्र सवाल यह है कि आम आदमी पार्टी का गुजरात में प्रदर्शन कैसा रहेगा और इससे कांग्रेस और बीजेपी को कितना नुकसान हो सकता है? बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी से उभरती चुनौती के सामने अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार कर रहे हैं.


AAP इसलिए लड़ाई में...
गुजरात में पार्टी पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही है. ऐसे में राज्य की 'आप' इकाई को बेदाग छवि का फायदा मिल रहा है. हालांकि यह किसी भी नए राजनीतिक दल को पहले चुनाव में मिलता है. 'आप' पार्टी गुजरात में मजबूती से चुनाव लड़ती हुई इसलिए भी दिखाई दे रही है क्योंकि केजरीवाल के चुनाव लड़ने का तरीका, पार्टी द्वारा दिल्ली और पंजाब में दी गईं मुफ्त योजनाएं, बेहतर सोशल मीडिया अभियान, पंजाब में मनोबल बढ़ाने वाली भारी जीत और कथित दिल्ली मॉडल की बात है. 


क्या वोट में सेंधमारी करने के लिए ये सब काफी? 
क्या यह सब आम आदमी पार्टी को बीजेपी और कांग्रेस के गढ़ में सेंधमारी करने के लिए काफी होगा? राज्य में साल 1995 से दोनों दलों में ही मुख्य लड़ाई रही है, हालांकि यहां बीटीपी जैसे कुछ छोटे दोलों ने बीजेपी-कांग्रेस का प्रभुत्व तोड़ने की कोशिश की मगर नाकाम रहे. 1995 के बाद से कांग्रेस राज्य की सत्ता पर भले ही काबिज ना हो पाई हो लेकिन तब से ही मुख्य विपक्षी पार्टी बनी हुई है. 


वोट शेयर का खेल
एबीपी सी-वोटर और हिंदू-सीएसडीएस सर्वे के मुताबिक आम आदमी पार्टी का गुजरात में 20 फीसदी के आसपास वोट शेयर रहेगा. सर्वे के अनुसार गुजरात चुनाव में अगर 'आप' को 20 फीसदी वोट मिल भी जाते हैं तो क्या यह इसे सीटों में परिवर्तित कर सकता है? यह बहस का विषय है. चुनाव में मिले कुल वोटों की बजाय हर विधानसभा क्षेत्र आम आदमी पार्टी को ज्यादा से ज्यादा वोट पाने होंगे और यही मायने भी रखता है. यानी कि पार्टी को वोट शेयर के साथ-साथ अधिक सीटें भी जीतनी होंगी. 


इसको ऐसे भी समझा जा सकता है कि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में 20 प्रतिशत वोट शेयर पाकर तीसरे नंबर की पार्टी रही थी. लेकिन उस चुनाव में बसपा की सीटें शून्य हो गई थीं. इसी तरह पिछले साल हुए गांधीनगर नगर निगम चुनाव में 'आप' को 20 फीसदी वोट मिले थे मगर वह सिर्फ एक सीट ही जीत सकी थी.


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