Gujarat Election 2022: दो कमरों का मकान, बाहर एक सामान्य बाथरूम जिसमें नल तक नहीं था, जानिए सौराष्ट्र के उस CM की कहानी जो अपनी सादगी के लिए जाने जाते हैं
Gujarat Election 2022: आलीशान जीवन जीने वाले वर्तमान के मुख्यमंत्रियों से ढेबरभाई अलग थे. वे दो कमरे के मकान में रहते थे. बाहर एक सामान्य बाथरूम था, जिसमें नल भी नहीं लगा था.
Gujarat Election 2022: किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री का नाम आते ही जेहन में एक राजनेता, उसका आलीशान बंगला, सुरक्षा के इंतजाम और ठाठबाट से भरी प्रभावशाली तस्वीर सामने आती है. मुख्यमंत्री किसी भी राज्य का मुखिया होता है, राज्य की सभी शक्तियां उसके अंतर्गत समाहित होती हैं. लेकिन इतिहास में कुछ ऐसे भी मुख्यमंत्री हुए हैं जो सादगी भरा जीवन जीना पसंद करते थे. आइए आपको इस स्टोरी में बताते हैं ऐसे ही सादगीपूर्ण जीने वाले मुख्यमंत्री के बारे में.
मुख्यमंत्री उछरंगरभाई ढेबर
दरअसल, साल 1960 में गुजरात राज्य के रूप में अस्तित्व में आया. गुजरात के राज्य बनने से छह साल पहले सौराष्ट्र विधानसभा अस्तित्व में आई और सदन के नेता और सौराष्ट्र राज्य के पहले मुख्यमंत्री उछरंगरभाई ढेबर बने थे. बेहद सादगीपूर्ण जीवन और प्रशासनिक दक्षता रखने वाले उछरंगभाई ढेबर 'ढेबरभाई' के नाम से लोकप्रिय थे. पेशे से वकील ढेबरभाई गांधीजी के संपर्क में आए और वकालत छोड़कर पूर्णकालिक सार्वजनिक जीवन में उतर गए.
ढेबरभाई अलग थे
आलीशान जीवन जीने वाले वर्तमान के मुख्यमंत्रियों से ढेबरभाई अलग थे. वे दो कमरे के मकान में रहते थे. बाहर एक सामान्य बाथरूम था, जिसमें नल भी नहीं लगा था. बाथरूम में बाहर से बाल्टी भरकर पानी ले जाना पड़ता था. ढेबरभाई कमरे में बिछे कालीन पर बैठते, अपने मंत्रियों के साथ चर्चा भी वहीं करते थे और दोपहर के खाने के बाद वे वहीं लेट जाया करते थे. जनता का प्रतिनिधि मंडल या कोई व्यक्ति उनसे मिलने आता था तो वह भी उसी कमरे में मिलता.
लाइमलाइट से कोसों दूर
ढेबरभाई लाइमलाइट से कोसों दूर रहने और जनता के कामों के लिए पूरी तरह कटिबद्ध गांधीवादी, लोकप्रिय और कुशल मुख्यमंत्री के रूप में जाने जाते थे. ढेबरभाई का रहन-सहन एकदम सादगीपूर्ण और बहुत साधारण था. ढेबरभाई का निवास राजकोट के तत्कालीन डॉक्टर केशुभाई का पुराना और जर्जर सेनेटेरियम था. उनके सोने के कमरे में लकड़ी का एक पलंग था. ढेबरभाई विधुर होने के कारण अकेले रहते थे. उनसे कोई मिलने के लिए आए तो उसके बैठने के लिए घर में सोफा या कुर्सी भी नहीं थी. सामान्य बिछौने पर मेहमानों को बैठना पड़ता था.
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