Gujarat Election 2022: गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 पहले चरण में 89 सीटों के लिए 1 दिसंबर को और दूसरे चरण के लिए 5 दिसंबर को मतदान होंगे. पिछले 2017 के चुनाव में कांग्रेस से जबरदस्त टक्कर मिलने के बाद इस बार के चुनाव में बीजेपी फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. दरअसल, इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सामने कांग्रेस के अलावा बीजेपी को आम आदमी पार्टी से भी चुनौती मिल रही है, जिससे पार्टी को पार पाना है. यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने गृह राज्य में गुजरात में दो हफ्ते में 50 से ज्यादा रैलियां करने वाले हैं.
गुजरात में पिछले 27 सालों से सरकार
पीएम मोदी जिस भारतीय जनता पार्टी से आते हैं उसकी गुजरात में पिछले 27 सालों से सरकार है, मोदी यही से आते है. इसके अलावा मोदी के सबसे करीबी सहयोगी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी यहीं आते हैं. इसको देखते हुए कहीं न कहीं गुजरात बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा की भी लड़ाई है, क्योंकि गुजरात का संदेश समूचे देश में जाएगा. साल 1995 के बाद से हर विधानसभा चुनाव में बीजेपी की सीटें कम हुई हैं. जिसमें साल 2002 में 126, 2007 में 117, 2012 में 115, और 2017 में 99 सीटें मिलीं. लेकिन 2017 के चुनाव से इस बार राज्य में कांग्रेस के लिए बहुत कुछ बदल चुका है.
कमजोर होती कांग्रेस
साल 2017 के चुनाव में कांग्रेस 77 सीटें जीती थीं, जिसमें से 13 विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं या तो बीजेपी में शामिल हो गए हैं. पाटीदार नेता हार्दिक पटेल और ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर बीजेपी में जा चुके हैं, इन दोनों युवा नेताओं ने पिछले चुनाव को खासा प्रभावित किया था. इन सभी समीकरणों को देखते हुए संभावना जताई जा रही है कि बीजेपी को कांग्रेस के कम खतरा है. मगर, पार्टी के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी गुजरात में एक नई चुनौती के तौर पर उभरी है.
'आप' ने साल 2017 का गुजरात विधानसभा चुनाव लड़ा था. लेकिन पार्टी की सभी 29 सीटों पर जमानत जब्त हो गई थी. लेकिन इसी साल मार्च में पंजाब विधानसभा चुनाव में पार्टी के शानदार प्रदर्शन के बाद कोई भी पार्टी उन्हें हल्के में नहीं ले रहा है. पंजाब में पार्टी ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार को हटाने में कामयाब रही.
केजरीवाल ही मोदी के विकल्प
बता दें कि आम आदमी पार्टी का जन्म साल 2012 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से हुआ था. पार्टी ने 2014 में मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी की सरकार के विरोध में भी माहौल बनाया. तब से ही 'आप' ने कांग्रेस और बीजेपी दोनों से समान दूरी बनाए रखने की कोशिश की है. इसके साथ ही पार्टी यह दर्शाने की कोशिश रही है कि केजरीवाल ही मोदी के सबसे अच्छे विकल्प हैं.
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