Gujarat Election 2022: गुजरात में पिछले 27 साल से भारतीय जनता पार्टी सरकार को इस बार कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी चुनौती दे रही है. बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी अपनी-अपनी रणनीति के तहत चुनाव प्रचार कर रही हैं. सभी पार्टियां एक-एक करके जातियों को साधने में जुटी हुई हैं. राज्य में एससी/एसटी समुदाय 50 से ज्यादा सीटों पर प्रभाव रखते हैं. यह जाति किसी भी पार्टी की किस्मत बनाने से साथ बिगाड़ सकती है.


साल 2022 के विधानसभा चुनाव में कोई भी राजनीतिक दल यह दावा नहीं कर सकता कि एससी/एसटी वर्ग उन्हीं को वोट करेगा. क्योंकि पिछले दो विधानसभा के चुनावों आंकड़े देखने पर पता चलता है कि इस समुदाय ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों पर ही भरोसा किया है, लेकिन बीजेपी इसमें थोड़ा ज्यादा आगे दिखाई देती है. 


कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी आगे...
2012 चुनाव में, कच्छ, उत्तर-मध्य गुजरात और अहमदाबाद-गांधीनगर के शहरी क्षेत्रों में फैली ज्यादातर एससी सीटों पर बीजेपी ने बाजी मारी थी. इस इलाके में अनुसूचित जाति की बीजेपी को 20 में से 15 सीटें हासिल हुई थीं. जबकि कांग्रेस को महज 5 सीटें से संतोष करना पड़ा था. लेकिन 2017 के चुनावों में कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए 10 सीटें जीती थीं, जबकि बीजेपी को 9 सीटें मिलीं. 


2017 में आंदोलन का फायदा कांग्रेस को मिला 
बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले हार्दिक पटेल की अगुवाई में पाटीदार आंदोलन, अल्पेश ठाकोर की अगुवाई में ओबीसी आंदोलन और जिग्नेश मेवाणी की अगुवाई में दलित आंदोलन हो रहा था. इन आंदोलनों का कांग्रेस को फायदा मिला था. लेकिन इन तीनों युवा नेताओं का साथ इस बार कांग्रेस को नहीं मिलेगा क्योंकि जिग्नेश मेवाणी को छोड़कर बाकी के दोनों नेता बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. 


32 एसटी सीटों पर कांग्रेस रही थी आगे
वहीं, गुजरात की 32 एसटी सीटों में से ज्यादातर मध्य प्रदेश की सीमा से लगती हैं. एसटी बाहुल्य इन 32 सीटें पर 2012 और 2017 के विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी का प्रदर्शन लगभग समान रहा था. 2012 के चुनाव में बीजेपी ने 15 और कांग्रेस 16 सीटें जीती थीं. लेकिन 2017 के चुनाव में बीजेपी कांग्रेस से पीछे थी. एसटी वर्ग ने कांग्रेस पर ज्यादा भरोसा जताया था और कांग्रेस ने 17 सीटें जीत हासिल कर ली, वहीं बीजेपी को 14 सीटों पर जीत मिली.


इस बार देखना होगा कि एससी/एसटी किसका साथ देता है क्योंकि बीजेपी के समर्थन से द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति बनी हैं. भगवा पार्टी द्रौपदी मुर्मू का नाम आगे करके आदिवासियों का अपने पक्ष में करने की कोशिश करती है. 


यह भी पढ़ें: Gujarat Election 2022: 'मोदी सरकार पर भरोसा मत करो, शादी कर लो...': केंद्र के '2 करोड़ नौकरियों' के वादे पर ओवैसी का तंज