Gujarat Assembly Elections 2022: जडेजा तो केवल पत्नी रिवाबा के लिए प्रचार कर रहे, इन पांच क्रिकेटरों ने तो खुद राजनीति में आजमाया हाथ
Gujarat Assembly Elections 2022: कई क्रिकेटर संन्यास लेने के बाद राजनीति मेंआए. आइए नजर डालते हैं उन भारतीय क्रिकेटरों पर जिन्होंने राजनीति में कदम रखा है.
Gujarat Assembly Elections 2022: रिवाबा जडेजा जो महशूर क्रिकेटर रविंद्र जडेजा की पत्नी हैं वो इस बार गुजरात विधानसभा चुनाव में जामनगर उत्तर सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं. उन्होंने बीजेपी 2019 में ज्वाइन की थी. भले ही रविंद्र जडेजा चुनाव नहीं लड़ रहे लेकिन उनको चुनाव प्रचार में खूब देखा जा रहा है. हालांकि क्रिकेट और राजनीति का साथ बहुत पुराना है. कई क्रिकेटर संन्यास लेने के बाद राजनीति में आए हैं. आइए नजर डालते हैं उन भारतीय क्रिकेटरों पर जिन्होंने राजनीति में कदम रखा है.
गौतम गंभीर
गौतम गंभीर 2019 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे. गंभीर ने लोकसभा चुनाव 2019 में पूर्वी दिल्ली सीट से चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. गंभीर ने अपने करियर की राजनीतिक पारी का सफल आगाज किया. राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद, गंभीर एक विवाद के केंद्र में थे. उन पर आप विरोधी आतिशी के खिलाफ अपमानजनक और जातिवादी टिप्पणी वाले पर्चे बांटने का आरोप लगाया गया था. आरोप के जवाब में, गंभीर ने आतिशी, केजरीवाल और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को मानहानि का नोटिस भेजा, जिसमें उनके खिलाफ "अपमानजनक" टिप्पणी करने के लिए बिना शर्त माफी की मांग की गई थी. इस मामले ने काफी सुर्खियां बटोरी थी.
पूर्वी दिल्ली संसदीय निर्वाचन क्षेत्र राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है.
मोहम्मद अजहरुद्दीन
पूर्व भारतीय कप्तान ने राजनीति में अपना करियर 2009 में शुरू किया जब वह कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए थे. उन्होंने 2009 में उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा और सांसद बने. अजहरुद्दीन ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 50,000 से अधिक मतों से हराया था. 2014 के लोकसभा चुनाव में वो हार गए थे. उन्होंने 1990 के दशक के दौरान 47 टेस्ट में भारतीय टीम का नेतृत्व किया था. 2000 में मैच फिक्सिंग कांड में नाम आने के बाद बीसीसीआई ने उन पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया था.
नवजोत सिंह सिद्धू
नवजोत सिंह सिद्धू ने अपना राजनीतिक सफर 2004 में शुरू किया था. बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने 2004 में सिद्धू को बीजेपी में शामिल किया था. इसके बाद सिद्धू बीजेपी में रहने के दौरान भी और उसे छोड़ने के बाद भी हमेशा जेटली को ही अपना सियासी गुरु मानते रहे. साल 2004 में ही सिद्धू ने पहली बार अमृतसर लोकसभा सीट से बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ा. सिद्धू ने कांग्रेस के कद्दावर नेता रघुनंदन लाल भाटिया को 1,09,532 वोटों से हराया. साल 2006 में सिद्धू ने हत्या के आरोपों का सामना करने के बाद लोकसभा से अपना इस्तीफा दे दिया था. सुप्रीम कोर्ट की ओर से चुनाव लड़ने की इजाजत मिलने के बाद साल 2007 में अमृतसर से ही सिद्धू ने उप-चुनाव लड़ा. इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस नेता सुरिंदर सिंगला को हराया. मोदी सरकार ने अप्रैल 2016 में सिद्धू को राज्यसभा में नामांकित किया. हालांकि, उन्होंने भाजपा से साल 2016 को राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था. साल 2017 में सिद्धू कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए. जिसके बाद उसी साल पंजाब विधानसभा चुनावों में पूर्वी अमृतसर से चुनाव जीता.
कीर्ति आजाद
कीर्ति आजाद राजनीतिक नेताओं के परिवार से हैं. उनके पिता भागवत झा आज़ाद, एक कांग्रेस नेता थे जिन्होंने 1988 से 1989 तक बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया था. वह 34 वर्ष की आयु में बीजेपी में शामिल हुए और बिहार की दरभंगा सीट से जीतकर दो दशकों से अधिक समय तक पार्टी का प्रतिनिधित्व किया है. 2018 में क्रिकेटर ने बीजेपी पार्टी छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गए थे.
मंसूर अली खान पटौदी
भारत के पूर्व कप्तान मंसूर अली खान पटौदी राजनीति में आने से पहले क्रिकेटर थे. पटौदी को देश के महानतम क्रिकेट कप्तानों में से एक माना जाता था. उन्होंने हरियाणा के भिवानी और मध्य प्रदेश के भोपाल से दो बार लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए. टीम इंडिया के खिलाड़ी मोहम्मद कैफ, एस श्रीसंत और चेतन चौहान भी पहले राजनीति में किस्मत आजमा चुके हैं. कैफ ने 2014 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर उत्तर प्रदेश के फूलपुर से लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. 2013 के आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग कांड के बाद आजीवन प्रतिबंध लगने के बाद, तेज गेंदबाज एस श्रीसंत ने तिरुवनंतपुरम से 2016 के केरल विधानसभा चुनाव लड़े लेकिन हार गए. चेतन चौहान क्रमशः 1991 और 1998 में उत्तर प्रदेश की अमरोहा सीट से दो बार सांसद चुने गए थे.